Friday, May 4, 2012

आँसू  आँखों  में  आ  न  सके |
होठ  भी  कुछ  बता न सके |
बस खता है   निगाहों की यह ,
बात दिल की छुपा न सके | 

17 comments:

  1. यह तो अक्सर होता है ....!

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  2. आँखें बोल ही देती हैं मन की बात...

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  3. क्या बात कही है

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  4. रचना है ये तो अति उत्तम.

    बढ़िया बोलूँ फिर भी है कम.

    शब्दों में बचा नहीं अब दम.

    भावों की देखों बस चमचम.

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  5. कुछ तो बात है इन चार लाईनों मे
    एवज में चार लाईनें
    पास आपके दुनिया का हर सितारा हो
    दूर आपसे गम का किनारा हो
    जब भी आपकी पलकें खुलें सामने वही हो
    जो दुनिया में सबसे प्यारा हो।........अज्ञात

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  6. ankhen dil ka raaj bata hi deti hain..
    bahut sundar..

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  7. बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
    आपकी प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर लगाई गई है!
    चर्चा मंच सजा दिया, देख लीजिए आप।
    टिप्पणियों से किसी को, देना मत सन्ताप।।
    मित्रभाव से सभी को, देना सही सुझाव।
    उद्गारों के साथ में, अंकित करना भाव।।

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  8. बात दिल की छुपा न सके .... Bahut Sunder

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  9. क्या बात है ... निगाहें बिन कहे सब कह देती हैं ...

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  10. man kee baat apno se chupaiyega bhee mat..bahut behtarin rachna..ek jamane se aap ke deedar nahi hue ..sadar badhayee ke sath

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  11. अच्छी रचना है भाई परंतु लिखने मे खाली स्थान (स्पेस) इधर उधर होने से कुछ शब्द आपस में जुड जाने के कारण रस भंग कर रहे हैं, उसे ठीक कर लीजिये!

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  12. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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