Tuesday, April 26, 2011

...जरूरी तो नहीं

चन्द  लफ़्ज़ों  का  असर  हो.... ये जरूरी  तो  नहीं |
मेरे   नगमों   में   हुनर हो...... ये  जरूरी  तो  नहीं |

दिल से लिखता हूँ , ग़ज़ल है   कि  ग़ज़ल  जैसी है ,
मेरी  आहों  में  बहर  हो...... ये   जरूरी   तो   नहीं |

सिर्फ   साँसों  का  सफ़र है ......ये  जिंदगी  अपनी ,
रोज़  घुट-घुट  के  गुज़र  हो ...ये  जरूरी  तो  नहीं |

उसके घर के बगल में. अपना घर है.. क्या कहना ,
अब  उसकी  मुझ पे नज़र हो....ये  जरूरी तो नहीं |

दर्द  पी पी  के  ही  जीना  है ...........जिंदगी  यारों ,
उम्र  जलवों  में  बसर  हो ......ये जरूरी  तो  नहीं |

कहते  हो  आदमी जहरीला है ...साँपों  सा  मगर ,
सभी  साँपों  में  ज़हर  हो......ये  जरूरी  तो  नहीं | 

अपनी दीवानगी से खुश हूँ ..क्यूँ  अफ़सोस करूँ ,
होश  में  सारा  शहर  हो......ये  जरूरी  तो  नहीं |   


44 comments:

  1. उसके घर के बगल में. अपना घर है.. क्या कहना ,
    अब उसकी मुझ पे नज़र हो....ये जरूरी तो नहीं |
    kya baat hai

    ReplyDelete
  2. कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
    सभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं |

    बहुत खूब... हर पंक्ति बहुत कुछ कहती है....

    ReplyDelete
  3. चन्द लफ़्ज़ों का असर हो.... ये जरूरी तो नहीं |
    मेरे नगमों में हुनर हो...... ये जरूरी तो नहीं |
    दिल से लिखता हूँ , ग़ज़ल है कि ग़ज़ल जैसी है ,
    मेरी आहों में बहर हो...... ये जरूरी तो नहीं |
    ह्रदय से प्रिय और मार्ग दर्शक भाई सुरेन्द्र जी....ये है ग़ज़ल...नाहक मेरी तुकबंदी की तारीफ कर आते हैं आप !
    एक एक मिसरा....काटता हुआ निकल रहा है अन्दर तक किसी एक को कोट कैसे करूं भाई जी ...
    मैं बड़ा खुस नसीब हूँ जो आप पहले ही दिन से मेरे साथ हैं......
    हाँ इस शेर के लिए अलग से दाद लें भाई जी...

    अपनी दीवानगी से खुश हूँ ..क्यूँ अफ़सोस करूँ ,
    होश में सारा शहर हो......ये जरूरी तो नहीं |
    ...भाई जी एक दिन क्या मैं आप जैसी और कुंवर साहब (कुंवर कुसुमेश जी ) जैसी ग़ज़ल लिख सकूंगा क्या ??

    ReplyDelete
  4. कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
    सभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं |
    bahut sateek bat .badhai

    ReplyDelete
  5. कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
    सभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं

    aapki gazal padhi padhkar hosh me aayen ye zaroori to nahi.

    ReplyDelete
  6. कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
    सभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं |

    वाह ……………क्या बात कही है…………मन को छू गयी…………शानदार गज़ल्।

    ReplyDelete
  7. इसीलिए कहते है पांचो अंगुलिया बराबर नहीं होतीं ! बहुत सुब्दर...घाव गंभीर ......!

    ReplyDelete
  8. होश में सारा शहर हो ये जरूरी तो नहीं वाकई सुरेन्द्र भाई लाजवाब गज़ल बधाई |

    ReplyDelete
  9. वाह सुरेन्द्र भाई बहुत सुन्दर भाव निम्न बहुत अच्छा लगा -बधाई हो सुन्दर रचना

    दर्द पी पी के ही जीना है ...........जिंदगी यारों ,
    उम्र जलवों में बसर हो ......ये जरूरी तो नहीं |

    मेरी आहों में बहर हो. हमें समझ नहीं आया कठिन शब्द का अर्थ नीचे देंगे तो मजा आएगा ..

    ReplyDelete
  10. कहते हो आदमी जहरीला है साँपों सा मगर ,
    सभी साँपों में ज़हर हो ये जरूरी तो नहीं ।

    आदमी और सांप की तुलना एक अलग अंदाज़ में की है आपने, वाह, यह मौलिक प्रयोग अच्छा लगा।
    जीवन दर्शन से भरपूर इस अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई।

    ReplyDelete
  11. कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
    सभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं |

    अपनी दीवानगी से खुश हूँ ..क्यूँ अफ़सोस करूँ ,
    होश में सारा शहर हो......ये जरूरी तो नहीं |
    भाई साहब क्या लिखा है। आह! दिल खुश कर दिया। इस पर क्या टिप्पणी करूं ... सिर्फ़ वाह-वाह करते रह्ने का मन कर रहा है।

    ReplyDelete
  12. .....फिर भी अच्छी लगी

    ReplyDelete
  13. एक शेर याद आ रहा है शायर का नाम अभी जहन में नहीं है
    नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है
    उनकी आगोश में सिर हो अपना यह जरुरी तो नहीं |
    आपके शेर इनसे उन्नीस नहीं है , बधाई

    ReplyDelete
  14. कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
    सभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं

    बहुत बढ़िया बात कही.... बेहतरीन अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  15. अपनी दीवानगी से खुश हूँ ..क्यूँ अफ़सोस करूँ ,
    होश में सारा शहर हो......ये जरूरी तो नहीं |
    ....

    kya baat hai!...........itni khoobsurat nazm padhane ke liye shukriya..........

    ReplyDelete
  16. आपकी कविता तो पसंद आई है सभी को
    पर सभी टिपण्णी करें यह जरूरी तो नहीं
    मुझको तो यह बहुत पसंद आई इसीलिए टिपण्णी की,
    अब आपको मेरी टिप्पणी पसंद आये ये जरूरी तो नहीं

    क्या खूब लिखते हो झंझट भाई
    सभी को झंझट में डाल देते हो.
    'जरूरी नहीं' कह कर.

    ReplyDelete
  17. चन्द लफ़्ज़ों का असर हो.... ये जरूरी तो नहीं |
    मेरे नगमों में हुनर हो...... ये जरूरी तो नहीं |
    दिल से लिखता हूँ , ग़ज़ल है कि ग़ज़ल जैसी है ,
    मेरी आहों में बहर हो...... ये जरूरी तो नहीं |


    बहुत उम्दा शेर...
    जि़न्दगी से बात करती ग़ज़ल... लाजवाब....

    ReplyDelete
  18. वाह ... बहुत खूब कहा है आपने ... हर पंक्ति लाजवाब ।

    ReplyDelete
  19. "apni divaangee se khush hun ...kyoo afsos karoo
    ,khabr tujhko bhi ho meri ...ye zaroori to nahin "
    veerubhai .
    khoobsoorat hain andaaaz aapke ,
    daad ham dete rahen ...ye zaroori to nahin .
    Mubarak ho bhaisahib .

    ReplyDelete
  20. बहुत उम्दा शेर...
    ....वाह..क्या खूब लिखा है आपने।

    ReplyDelete
  21. बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

    ReplyDelete
  22. अपनी दीवानगी से खुश हूँ ..क्यूँ अफ़सोस करूँ ,
    होश में सारा शहर हो......ये जरूरी तो नहीं |



    Vaah..vaah...vaah.....vah.

    kYa bAAt haI jHaNJHAt sAAb! gZal beHad psANd AYi.

    ReplyDelete
  23. दिल से लिखता हूँ , ग़ज़ल है कि ग़ज़ल जैसी है ,
    मेरी आहों में बहर हो...... ये जरूरी तो नहीं |

    bilkul sahi farmaya, ye zaroori nahi.......khoobsurat rachna.

    ReplyDelete
  24. बहुत अच्छी ग़ज़ल है। सुंदर रचना के लिए साधुवाद!

    ReplyDelete
  25. कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
    सभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं |


    bahut khoob..

    ReplyDelete
  26. प्रभावशाली और सार्थक ग़ज़ल ....बधाई।

    ReplyDelete
  27. बहुत ही सुन्दर सरस गजल लगी आपकी. साधुवाद

    ReplyDelete
  28. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  29. आप का दिल खूबसूरत है.
    गुस्ताख़ी माफ़.
    पर एक बात कहूँ ............
    मुस्कुराना ज़रूरी है.
    हर पल,
    हालात चाहे जैसे भी हो.

    ReplyDelete
  30. कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
    सभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं |

    कितनी सामान्य बात है यह...पर आपने जिस प्रकार इसका यहाँ प्रयोग किया...कितना गंभीर बना दिया...

    बेहतरीन ग़ज़ल....

    ReplyDelete
  31. दिल से लिखता हूँ , ग़ज़ल है कि ग़ज़ल जैसी है ,
    मेरी आहों में बहर हो...... ये जरूरी तो नहीं |

    ओह, दिल की बात को बखूबी उकेर दिया है शब्दों में बन्धुवर

    ReplyDelete
  32. .

    Excellent creation ! All the couplets are quite motivating and full of philosophy...Lovin' it.

    Thanks.

    .

    ReplyDelete
  33. हरेक शेर पर दिल वाह वाह करने को कह रहा है। आपकी लेखनी को शत शत नमन।

    ReplyDelete
  34. कविता अच्छी है, मैंने टिप्पणी तो कर दी पर....
    सोचता हूं, आप को अच्छी लगे, यह ज़रूरी तो नहीं:)

    ReplyDelete
  35. बहुत बढ़िया झंझट जी...बहुत अच्छा लगा कम तारीफ करूँगा ज़्यादा समझिएगा...धन्यवाद

    हर बात कहूँ दिल की, ज़रूरी तो नही है,
    कह दूँ कि क्या हासिल की,ज़रूरी तो नही है,
    ब्लॉगिंग जो करूँगा तो बिजली भी खर्च होगी,
    चिंता करूँ मैं बिल की,ज़रूरी तो नही है,
    बहुत बढ़िया झंझट जी...बहुत अच्छा लगा कम तारीफ करूँगा ज़्यादा समझिएगा...धन्यवाद

    हर बात कहूँ दिल की, ज़रूरी तो नही है,
    कह दूँ कि क्या हासिल की,ज़रूरी तो नही है,
    ब्लॉगिंग जो करूँगा तो बिजली भी खर्च होगी,
    चिंता करूँ मैं बिल की,ज़रूरी तो नही है,

    ReplyDelete
  36. हर शेर कुछ अलग ही कहानी कहता है .... बहुत लाजवाब ...

    ReplyDelete
  37. BAHUT JANDAR GAJAL HAI .HUM GHAR AA RAHEN HAIN.

    ReplyDelete
  38. दिल से लिखता हूँ , ग़ज़ल है कि ग़ज़ल जैसी है ,
    मेरी आहों में बहर हो...... ये जरूरी तो नहीं |

    the best lines !!

    keep it up !

    ReplyDelete
  39. बेहद खूबसूरत गजल...हर एक शेर उम्दा लाजवाब ..लेकिन पढ़ने वाला जानकार हो यह जरूरी तो नहीं... :))

    ReplyDelete
  40. आप सभी विद्वान /विदुषी रचनाकारों ने मेरे ब्लाग पर आकर अपनी बहुमूल्य टिप्पड़ियों से मेरा उत्साहवर्धन एवं
    मार्गदर्शन किया | आप सब के इस स्नेह और अपनापन पर मैं श्रद्धावनत हूँ | बहुत-बहुत आभार प्रकट करता हूँ |
    इसी तरह प्रेमपूर्ण ब्लाग संवाद कायम रहे , आप सबका स्नेहाशीष मिलता रहे -यही कामना है |

    ReplyDelete
  41. सिर्फ साँसों का सफ़र है ......ये जिंदगी अपनी ,
    रोज़ घुट-घुट के गुज़र हो ...ये जरूरी तो नहीं |
    बहुत लाजवाब ...

    ReplyDelete
  42. दिल से लिखता हूँ , ग़ज़ल है कि ग़ज़ल जैसी है ,
    मेरी आहों में बहर हो...... ये जरूरी तो नहीं

    man ki baat kah dii aapne to ,

    शब्दों का हरिश्चन्द हूँ ,जयचंद नहीं हूँ ||
    बेबाक कलमकार हूँ ,अनुबंध नहीं हूँ || "

    unique ,unchuaa khayal ,,,ni:shabd karti hai ye panktiyan

    aapka blog tak aana shobhagy ki baat hai ,is hausla_afzaai ka tah-e-dil se shukria

    ReplyDelete