मुझे लिखना है
हाँ , बहुत कुछ लिखना है
किन्तु
कहाँ से शुरू करूँ ?
क्या लिखूँ प्रारंभ में ?
एक पंक्ति में
लटकते हुए
अनगिनत
रंगीन बल्बों की तरह
कई-कई बातें ....
शिकायतें , आक्रोश , क्षोभ-
ग्लानि , दुःख , पश्चाताप...
और
इन्हीं के बीच
दिपदिपाते जुगनू
क्षणिक खुशियों के !
किस को कहाँ स्थान दूँ ?
कहाँ-कहाँ टाँक दूँ ?
किस-किस को ...
बस
इसी कशमकश में
जूझने लगता हूँ ..
जब भी उठाता हूँ-
कलम और कागज़
और
हर बार रह जाता है
अलिखित
बहुत कुछ......
वाह कशमकश को सुन्दर अभिव्यक्ति दी है...ये दुविधा हम सब की है...
ReplyDeleteनीरज
सबकी हालत ऐसी ही लगाती है ! समझौता गमो से कर लो - खुशिया अपने आप आ जाएगी !
ReplyDeleteबस
ReplyDeleteइसी कशमकश में
जूझने लगता हूँ ..
जब भी उठाता हूँ-
कलम और कागज़
और
हर बार रह जाता है
अलिखित
बहुत कुछ......हम चाहे कितना ही प्रयास कर ले फिर भी वो नही लिख पाते जो लिखना चाहते है...
बस यही कशमकश होती है जो लिखना होता है वही अलिखित रह जाता है...
ReplyDeleteमन की कशमकश को बखूबी उकेरा है।
ReplyDeleteसभी लेखकों के मन की अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteKabhi -kabhi aesa bhi hota han ....
ReplyDeleteयही कशमकश तो जीवंत रखती है.सुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteकलम और कागज़
ReplyDeleteऔर
हर बार रह जाता है
अलिखित
बहुत कुछ......
हर मन की पीड़ा लिख दी सुरेन्द्र भाई...
सादर आभार...
एक रचनाकार की यही तो खासियत होती है की वो हमेशा अपने दिल की करता है.
ReplyDeleteकविमन की निश्छलता का बहुत ही सुंदर शब्दांकन| बधाई मित्र|
ReplyDeleteअलिखित ही रहे... ताकि हर बार कुछ लिखा जाए ...
ReplyDeleteसुरेन्द्र जी, आखिर आपने कह दिया ...
ReplyDeleteहम प्रायः उन ही बातों को सामने ला पाते हैं जो तुकांत होती हैं. वैचारिक रूप से प्रोढ़ होती हैं अथवा मासूम या निर्दोष होती हैं. ऐसे में हम न जाने कितने ही भावों को उकेर नहीं पाते...अलिखित रहा जाता बहुत कुछ... रह जाते हैं कलम द्वारा उधेड़े जाने से कितने ही भाव.
bahut hi sunder sanjog aur kavi ki kavitha
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति ... आज एक प्रसंग पढ़ रही थी .. अभी यह तो याद नहीं किसका ब्लॉग था ... शीर्षक था ... अधूरा गीत ...
ReplyDeleteगुरुदेव के अंतिम समय में किसी ने कहा कि आपने ६००० गीत लिखे हैं ..इतना साहित्य तो किसी ने नहीं लिखा होगा ..उनका जवाब था कि जो लिखना चाहता था वो गीत अधूरा ही रह गया ..उसको पूरा करने में ही ये सब गीत लिखे गए ...लेकिन जो लिखना चाहता था वो गीत आज भी अधूरा ही है ..
हां, शायद हर कवि के पास ऐसी ही बहुत सारी अलिखित सामग्री संचित रहती है।
ReplyDeleteजैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
ReplyDeleteदुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मनाले ईद.
ईद मुबारक
विचारों की गहन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकिस को कहाँ स्थान दूँ ?
ReplyDeleteकहाँ-कहाँ टाँक दूँ ?
किस-किस को ...
बहुत सुंदर कविता और भावाभिव्यक्ति.
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteईद की हार्दिक शुभकामनाएं.
सुन्दर प्रस्तुति...ईद मुबारक़
ReplyDeleteबस इसी तरह लिखते रहें ! सुंदर रचना ...शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteमन की सुन्दर अभिव्यक्ति ........ईद की मुबारकबाद ....
ReplyDeleteझंझट जी,
ReplyDeleteरामराम!
हज़ार मील की यात्रा, पहले कदम से शुरू होती है! शुरू हो जाइए....
आशीष
सचमुच यही सबसे बड़ी समस्या है। बहुत सुंदर।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर कविता भाई सुरेन्द्र जी बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहर बार रह जाता है
ReplyDeleteअलिखित
बहुत कुछ......
सुरेन्द्र जी
अलिखित के बहाने बहुत कुछ लिख दिया है आपने … बधाई !
कवी मन की निश्छल अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteआशा
गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना ! उम्दा प्रस्तुती !
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
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अलिखित ...सुन्दर लिखा है और सबकुछ भी..
ReplyDeleteमन की कशमकश को बखूबी उकेरा.....सुरेन्द्र जी
ReplyDeleteइन शब्दों के द्वन्द से बाहर आना होगा कवि को ... तभी तो रचना का आविष्कार होगा ...
ReplyDeleteकहीं से भी लिखना शुरू कीजिये, पढने वाले अलिखित भी पढ़ लेते हैं...
ReplyDeleteइस अलिखित की पीड़ा कैसी होती है, सहज ही समझा जा सकता है...
ReplyDeleteअंतर्व्यथा को प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति दी आपने...
सही लिखा है सर! रचना पसंद आई!
ReplyDeleteकवी-ह्रदय की कशमकश को बहुत खूब शब्दों में पिरोया है आपने!
ReplyDeleteकविता पढ़ कर आनंद आ गया!
अलेखक का अलिखित ही जीवन की सज्ञां है वैसे आपने लिखने को बाकी कहां छॊड़ा कुछ
ReplyDeleteSurendra jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
ReplyDeleteआप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए...
BINDAAS_BAATEN कृपया यहाँ चटका लगाये
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MITRA-MADHUR कृपया यहाँ चटका लगाये
अलिखित का तो पता नहीं, पर जो आप लिख देते हैं
ReplyDeleteवह बहुत शानदार होता हो.सुन्दर लेखन यूँ ही अविराम चलता रहे.
आभार.
बहुत ही प्यारी कशमकश । पर रोशनी वाले खुशी के टांगिये । दुखों के तो फ्यूज्ड बल्ब हैं ।
ReplyDeletegagar me sagar bharne ki kavi man ki chah me paida hui kashis ko darshati ek shaandaar jaankari...
ReplyDeletewah!!!
ReplyDeleteBahut khub...
www.poeticprakash.com