चाँद तारे दिखाते, बड़े लोग हैं |
देश आगे बढाते, बड़े लोग हैं |
छीनकर रोटियाँ,हम गरीबों की ये ,
एक टुकड़ा दिखाते, बड़े लोग हैं |
माँगने वोट आते, बड़े लोग हैं |
जीत संसद में जाते, बड़े लोग हैं |
झूठे वादों की घुट्टी पिलाकर हमें ,
कोठी अपनी बनाते, बड़े लोग हैं |
योजनायें बनाते , बड़े लोग हैं |
हक करोड़ों का खाते, बड़े लोग हैं |
देखने को हमारी फटी जिंदगी ,
हेलीकाप्टर से आते, बड़े लोग हैं |
आग पहले लगाते, बड़े लोग हैं |
फिर बुझाने भी आते, बड़े लोग हैं |
राख हो जातीं जब अम्न की बस्तियाँ,
तब कुआँ ये खुदाते, बड़े लोग हैं |
टू जी टेल्फोन खाते, बड़े लोग हैं |
राष्ट्र मंडल चबाते , बड़े लोग हैं |
लाल बत्ती मिले या मिलें गड्डियाँ ,
रोज़ बिकते- बिकाते, बड़े लोग हैं |
लाल बत्ती मिले या मिलें गड्डियाँ ,
ReplyDeleteरोज़ बिकते- बिकाते, बड़े लोग हैं |
बहुत इमानदारी से मन की बात लिखी है एक एक शब्द काबिले तारीफ़ है ...!!
सभी के मन की बात कह दी आपने ऐसे ही होते है बड़े लोग...प्रभावशाली पंक्तियां।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रभावशाली प्रस्तुति, सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआग पहले लगाते, बड़े लोग हैं |
ReplyDeleteफिर बुझाने भी आते, बड़े लोग हैं |
राख हो जातीं जब अम्न की बस्तियाँ,
तब कुआँ ये खुदाते, बड़े लोग हैं |
वाह सुरेन्द्र भाई.... जबरदस्त रचा है... अच्छी खबर ली है आपने... सुन्दर...
सादर..
.
ReplyDeleteदे घुमा के ऽऽऽ …
आदरणीय सुरेन्द्र जी
सस्नेहाभिवादन !
रोज़ बिकते- बिकाते, बड़े लोग हैं
बेशर्मों के जोर की झापड़ लगाई है …
हिंदुस्तान के हर ईमानदार नागरिक की भावनाओं की अभिव्यक्ति और संतुष्टि है आपकी रचना में
कमीने मक़्क़ार विलेन की फिल्म के आख़िरी दृश्यों में जब भयंकर धुलाई होती है और आम दर्शक को जो सब्र होता है वैसे ही कुछ भाव उत्पन्न करने वाली रचना …
हर पंक्ति के लिए
हार्दिक बधाई !
शुभकामनाओं सहित …
-राजेन्द्र स्वर्णकार
ये 'बड़े लोग' भी बहुत छोटापन ही दिखातें हैं.
ReplyDeleteछोटों के बल पर ही खड़े हो 'बड़े लोग' कहलाते हैं.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आपकी.
बहुत बहुत आभार.
आग पहले लगाते, बड़े लोग हैं |
ReplyDeleteफिर बुझाने भी आते, बड़े लोग हैं |
राख हो जातीं जब अम्न की बस्तियाँ,
तब कुआँ ये खुदाते, बड़े लोग हैं |
ऐसे करके तो बड़े बनते हैं यह तथाकथित बड़े लोग.....
बड़े लोगों की अच्छी और सटीक परिभाषा .. अच्छी रचना
ReplyDeleteआग पहले लगाते, बड़े लोग हैं |
ReplyDeleteफिर बुझाने भी आते, बड़े लोग हैं |
राख हो जातीं जब अम्न की बस्तियाँ,
तब कुआँ ये खुदाते, बड़े लोग हैं |.......
सारे गुल खिलते हैं ये तथाकथित बड़े लोग !
हेलीकाप्टर से आते,
ReplyDeleteवाह सुरेन्द्र भाई वाह, आप का बात कहने का अंदाज़ काफी प्रभावित करता है| बधाई स्वीकार करें मित्र|
सार्थक और सटीक प्रस्तुति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
टू जी टेल्फोन खाते, बड़े लोग हैं |
ReplyDeleteराष्ट्र मंडल चबाते , बड़े लोग हैं |
लाल बत्ती मिले या मिलें गड्डियाँ ,
रोज़ बिकते- बिकाते, बड़े लोग हैं |
वाह वाह
धज्जिय उडा दी बड़े लोगो की
बड़े लोगों के बारे में प्रभावशाली रचना. आम जनता में पहले इनके प्रति आक्रोश था जो अब तीखी घृणा में बदलने लगा है.
ReplyDeleteसच्ची बात कही है आपने... अन्दाज-ए-बयाँ अच्छा लगा.
ReplyDeleteदेखने को हमारी फटी जिंदगी ,
हेलीकाप्टर से आते, बड़े लोग हैं |
वाह!! वैसे सब कमाल के शब्द है लेकिन इसमें मेरी सहमति है
यथार्थ के धरातल पर रची गयी एक सार्थक प्रस्तुति !
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुती....
ReplyDeleteबढे लोगों की बढ़ी बातें ....
ReplyDeleteइन गुणों को अपना कर कोई भी छोटा आदमी बढा बन सकता है, और इस रचना को पढकर कई छोटे लोग भविष्य में लाभान्वित होंगे ऐसी उम्मीद के साथ उपरोक्त पोस्ट हेतु आपका आभार.
अच्छी खबर ली है बडे लोगो की…………शानदार रचना।
ReplyDeleteहम ही इन्हें बड़ा बनाते , क्योकि बड़े लोग है ! बहुत सुन्दर ! जोर का थप्पड़
ReplyDeleteहम बड़ा बनाते जाते है और ये बनते जाते है फिर इन्हें बड़े रहने की ही आदत बन जाती है .एक एक शब्द सार्थक अभिव्यक्ति के साथ .......
ReplyDeletebakai shandar ghazal..lekin aap ki bibidhtaon ka bhi jabab nahin...pranam ke sath
ReplyDeleteबडे़ लोगों की बातें कुछ अजीब ही होती है। सच बयां करती हुई खुबसुरत पोस्ट।
ReplyDeleteयोजनायें बनाते बड़े लोग हैं ,
ReplyDeleteहक करोड़ों का खाते बड़े लोग हैं ।
देखने को हमारी फटी जिंदगी,
हेलीकाप्टर से आते बड़े लोग हैं ।
बहुत खूब..
एकदम करारा व्यंग्य है।
जबरदस्त जबरदस्त जबरदस्त .
ReplyDeleteमित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
ReplyDeleteएस .एन. शुक्ल
हेलीकाप्टर से आते,बड़े लोग हैं, धुल आँख में हमारी भर जाते है| बड़े लोग .....बहुत सुंदर , बधाई
ReplyDeleteआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक- 08-08-2011 सोमवार के चर्चा मंच पर भी होगी, सूचनार्थ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रभावशाली प्रस्तुति, सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteइतनी सरल भाषा में यह रचना आपकी ही पहचान है ....बहुत खूबसूरत ...शुभकामनायें !
ReplyDeleteआग पहले लगाते, बड़े लोग
ReplyDeleteहैं |
फिर बुझाने भी आते, बड़े लोग
हैं |
राख हो जातीं जब अम्न
की बस्तियाँ,
तब कुआँ ये खुदाते, बड़े लोग
हैं |
..superb sir.....:)आग पहले लगाते, बड़े लोग
हैं |
फिर बुझाने भी आते, बड़े लोग
हैं |
राख हो जातीं जब अम्न
की बस्तियाँ,
तब कुआँ ये खुदाते, बड़े लोग
हैं |
..superb sir.....:)
bahut sunder bhavmai,pravhvshaali rachanaa.badhaai aapko.
ReplyDelete"ब्लोगर्स मीट वीकली {३}" के मंच पर सभी ब्लोगर्स को जोड़ने के लिए एक प्रयास किया गया है /आप वहां आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ को
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
टू जी टेल्फोन खाते, बड़े लोग हैं |
ReplyDeleteराष्ट्र मंडल चबाते , बड़े लोग हैं |
लाल बत्ती मिले या मिलें गड्डियाँ ,
रोज़ बिकते- बिकाते, बड़े लोग हैं |
दिल से निकली दास्ताँ. बहुत सुंदर.
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती! बधाई!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com
आग पहले लगाते, बड़े लोग हैं |
ReplyDeleteफिर बुझाने भी आते, बड़े लोग हैं |
राख हो जातीं जब अम्न की बस्तियाँ,
तब कुआँ ये खुदाते, बड़े लोग हैं |
बिल्कुल सही सच बात है हर काम वही तो करवाते हैं और खुद एक तरफ होकर तमाशा देखते हैं | सटीक रचना |
बहुत ही बढि़या
ReplyDeleteनीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
चलो मेरा लिखा मत पढ़ो,
पोस्ट आपका इंतजार कर रहीं हैं
नोट कच्चे चबाते बड़े लोग हैं ,
ReplyDeleteखाता इटली चलाते बड़े लोग हैं .
काम झंझट के आते बड़े लोग हैं .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
माहवारी से सम्बंधित आम समस्याएं और समाधान ....
Links to this post at Tuesday, August 09, २०११
http://sb.samwaad.com/
...क्या भारतीयों तक पहुंच सकेगी जैव शव-दाह की यह नवीन चेतना ?
Posted by veerubhai on Monday, August 8
कैसे कैसे बड़े लोग हैं !
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति !
योजनायें बनाते , बड़े लोग हैं |
ReplyDeleteहक करोड़ों का खाते, बड़े लोग हैं |
देखने को हमारी फटी जिंदगी ,
हेलीकाप्टर से आते, बड़े लोग हैं |
har ek line sachchaai se rubaru karati hai.atiuttam...atiuttam.
कविता, ह्रदय से निकल कर ह्रदय
ReplyDeleteतक पहुँचती है, आपकी रचना ने
आम आदमी की वेदना को बड़े ही
सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है.
अति सुन्दर रचना.
आनन्द विश्वास.
आग पहले लगाते, बड़े लोग हैं |
ReplyDeleteफिर बुझाने भी आते, बड़े लोग हैं |
राख हो जातीं जब अम्न की बस्तियाँ,
तब कुआँ ये खुदाते, बड़े लोग हैं |..आज की व्यवस्था पर बोलती तस्वीर..सुन्दर भाव...
बेहद खुबसूरत रचनाएं हैं आपकी.... बहुत बढ़िया....
ReplyDeleteप्रेम का मजाक उड़ाते बड़े लोग हैं
ReplyDeleteऔरत के जिस्म से खेलते बड़े लोग हैं
कोई कैसे आवाज़ उठाये इनके खिलाफ
रुपयों से खेलते ये बड़े लोग हैं .....
बड़े लोग आखिर बड़े लोग हैं ....
सम-सामयिक विषय पर सहजता से गहन विचार को अभिव्यक्त किया गया है.
ReplyDeleteहाँ ! हम छोटे लोग केवल बड़े लोगों का गुणगान ही तो करते हैं .अच्छा लगता है आपको पढ़ना
ReplyDeleteगहरे भाव के साथ बहुत ख़ूबसूरत कविता , लाजवाब प्रस्तुती!
ReplyDeleteप्रभावशाली कविता
ReplyDeleteबड़े लोग ...बहुत ही बढ़िया रचना ।
ReplyDeleteरक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.
ReplyDeleteआग पहले लगाते, बड़े लोग हैं |
ReplyDeleteफिर बुझाने भी आते, बड़े लोग हैं |
राख हो जातीं जब अम्न की बस्तियाँ,
तब कुआँ ये खुदाते, बड़े लोग हैं |
Excellent creation ! It's bitter truth . Unfortunately we are so helpless in present circumstances.
.
बहुत ही सुंदर रचना
ReplyDeleteआज का आगरा ,भारतीय नारी,हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल , ब्लॉग की ख़बरें, और एक्टिवे लाइफ ब्लॉग की तरफ से रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं
सवाई सिंह राजपुरोहित आगरा
आप सब ब्लॉगर भाई बहनों को रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई / शुभकामनाएं
प्रभावी रचना .. पता नहीं कब छुटकारा मिलेगा इन तथाकथित बड़े लोगों से ... अच्छा व्यंग है ...
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
Bahut hi prabhavshaali rachna Jhanjhat Ji... Har ek samanya logon ke man ki baat kah di aapne.. Badhai
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार "सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया"की तरफ से भारत के सबसे बड़े गौरक्षक भगवान श्री कृष्ण के जनमाष्टमी के पावन अवसर पर बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें लेकिन इसके साथ ही आज प्रण करें कि गौ माता की रक्षा करेएंगे और गौ माता की ह्त्या का विरोध करेएंगे!
ReplyDeleteमेरा उदेसीय सिर्फ इतना है की
गौ माता की ह्त्या बंद हो और कुछ नहीं !
आपके सहयोग एवं स्नेह का सदैव आभरी हूँ
आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
सबकी मनोकामना पूर्ण हो .. जन्माष्टमी की आपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें