ज़माने की नज़रे इनायत नहीं है |
मगर फिर भी कोई शिकायत नहीं है |
उसी के हैं चर्चे , तुम्हारे शहर में ,
जो अब इस जहां में,सलामत नहीं है |
यहाँ लोग पूजेंगे, जब हम न होंगे
ये भारत है प्यारे! विलायत नहीं है |
जो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
उसे आज हासिल , हिमायत नहीं है |
जो शब्दों में उतरा, वो है दर्द दिल का ,
मेरा शेर 'झंझट' , हिकायत नहीं है |
जो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
ReplyDeleteउसे आज हासिल , हिमायत नहीं है
बिलकुल सही कहा आपने....
जो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
ReplyDeleteउसे आज हासिल , हिमायत नहीं है |
bahut kub sudar
ज़माने की नज़रे इनायत नहीं है |
ReplyDeleteमगर फिर भी कोई शिकायत नहीं है |............
एक से बढकर एक पंक्ति, बेहतरीन प्रस्तुति हेतु आभार.
वाह! बहुत सुन्दर
ReplyDeleteमेरा भारत महान
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
यहाँ लोग जानेंगे , मरने के बाद ,
ReplyDeleteये भारत है प्यारे! बिलायत नहीं है |
जो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
उसे आज हासिल , हिमायत नहीं है |
बहुत ही शानदार और सटीक अभिव्यक्ति।
जो शब्दों में उतरा,वह है दर्द दिल का ,
ReplyDeleteमेरा शेर 'झंझट' , हिकायत नहीं है |
बहुत सुन्दर रचना
जो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
ReplyDeleteउसे आज हासिल , हिमायत नहीं है |
बहुत खूब....
यहाँ लोग जानेंगे , मरने के बाद ,
ReplyDeleteये भारत है प्यारे! बिलायत नहीं है |
जो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
उसे आज हासिल , हिमायत नहीं है |
बहुत सुन्दर..यथार्थपरक ग़ज़ल....
आपका तहेदिल से शुक्रिया मेरे ब्लॉग पे आने के लिए और शुभकामनाएं देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद/शुक्रिया..
ReplyDelete9 दिन तक ब्लोगिंग से दूर रहा इस लिए आपके ब्लॉग पर नहीं आया उसके लिए क्षमा चाहता हूँ ...आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
ज़माने की नज़रे इनायत नहीं है |
ReplyDeleteमगर फिर भी कोई शिकायत नहीं है |
खूब कहा है आपने. सुंदर ग़ज़ल.
यहाँ लोग जानेंगे , मरने के बाद ,
ReplyDeleteये भारत है प्यारे! बिलायत नहीं है |........वाह बहुत खूब
भारत ...अब भारत नहीं रहा और ना ही वो विलायत बन पाया...
अधर में लटक गया .......
anu
आपकी यह रचना दिल को छु गयी... उम्दा
ReplyDeleteमेरा भारत महान
Sach hi kaha hai ..fir bhi Mera Bharat mahan aur aap ki kalam bhi..
ReplyDeleteSach hi kaha hai ..fir bhi Mera Bharat mahan aur aap ki kalam bhi..
ReplyDeleteसार्थक रचना
ReplyDeleteजो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
ReplyDeleteउसे आज हासिल , हिमायत नहीं है |
Bahut teekhe jhtke haen ???????
जो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
ReplyDeleteउसे आज हासिल , हिमायत नहीं है ..
बहुत खूब ... क्या लाजवाब शेर है इस गज़ल का .. ये ज़माना बहुत हरजाई है ...
जो शब्दों में उतरा,वह है दर्द दिल का ,
ReplyDeleteमेरा शेर 'झंझट' , हिकायत नहीं है |
वाह! क्या बात है सुरेन्द्र भाई.... शानदार ग़ज़ल...
सादर....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति सुरेन्द्र जी, बधाई
ReplyDeleteजय हो सच को झूठ कहना सीखो भईया ये भारत है विलायत नही
ReplyDeleteजो शब्दों में उतरा,वह है दर्द दिल का ,
ReplyDeleteमेरा शेर 'झंझट' , हिकायत नहीं है |
आप तो झटके पे झटका दिए जाते है झंझट भाई.
एक से एक जोरदार.
शानदार प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरी पोस्ट आपका इंतजार कर रही है.
शानदार गजल।
ReplyDeleteजो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
ReplyDeleteउसे आज हासिल , हिमायत नहीं है |
एकदम सही कहा है भाई
जो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
ReplyDeleteउसे आज हासिल , हिमायत नहीं है
सच्चाई को उजागर करती खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
ज़माने की नज़रे इनायत नहीं है |
ReplyDeleteमगर फिर भी कोई शिकायत नहीं है |
बहुत बढ़िया रचना । शुभकामनाएँ ...
'ये भारत है प्यारे! बिलायत नहीं है' एक और बेहतरीन सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअरे वाह!...बहुत ख़ूब
ReplyDeleteKhoob...Ekdam Steek Panktiyan
ReplyDeleteयहाँ लोग जानेंगे , मरने के बाद ,
ReplyDeleteये भारत है प्यारे! बिलायत नहीं है |
जो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
उसे आज हासिल , हिमायत नहीं है |
बहुत खूब कहा है आपने ।
जो शब्दों में उतरा,वह है दर्द दिल का ,
ReplyDeleteमेरा शेर 'झंझट' , हिकायत नहीं है |
बहुत खूब... बहुत सुन्दर रचना...
जो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
ReplyDeleteउसे आज हासिल , हिमायत नहीं है ।
एक-एक शेर सच को उजागर करता हुआ।
बढ़िया ग़ज़ल।
जो शब्दों में उतरा,वह है दर्द दिल का ,
ReplyDeleteमेरा शेर 'झंझट' , हिकायत नहीं है |
बहुत खूब लिखा है आपने !शानदार और सार्थक रचना!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
यहाँ लोग पूजेंगे, जब हम न होंगे
ReplyDeleteये भारत है प्यारे! विलायत नहीं है |
बहुत सही कहा है, मरने के बाद दिल में जगह हो न हो ड्राइंगरूम में तस्वीर लगाकर माला ज़रूर डाल देंगे।
bahut kadwe bachan lekin bahut hi satik kaha hai aapne.
ReplyDeleteउम्दा ग़ज़ल.
ReplyDeleteक्या कहूँ ?शब्द छूट से रहे है..तारीफ़ के अच्छी लगी रचना .
ReplyDeleteजो सच बोलता है अकेला खडा है ,
ReplyDeleteउसे आज हासिल हिमायत नहीं है .
मनोज जी ,सुभद्रा कुमारी चौहान की "महालक्ष्मी बेटी स्वरूपा "पर बेहतरीन मन मुदित करने वाली कविता आपने पढवाई .शुक्रिया .
जो सच बोलता है अकेला खडा है ,
ReplyDeleteउसे आज हासिल हिमायत नहीं है .
झन झट जी , बेहतरीन मन मुदित करने वाली कविता आपने पढवाई .शुक्रिया .माफ़ी चाहूंगा दो रेडिओ स्टेशन एक साथ लग गए थे पहली टिपण्णी में .
जो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
ReplyDeleteउसे आज हासिल , हिमायत नहीं है |
जो शब्दों में उतरा, वो है दर्द दिल का ,
मेरा शेर 'झंझट' , हिकायत नहीं है |
umda ghazal! bahut khoob Surendar ji!
जो शब्दों में उतरा, वो है दर्द दिल का ,
ReplyDeleteमेरा शेर 'झंझट' , हिकायत नहीं है |
बहुत खूब एक से बढ कर एक शेर ।
हिकायत का मतलब तो मुझे नही मालूम, कहीं ये शिकायत तो नही ।
सुन्दर रचना। मुझे हिकायत शब्द का अर्थ नहीं मालूम!
ReplyDeleteजो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
ReplyDeleteउसे आज हासिल , हिमायत नहीं है |
Very impressive couplets. Quite realistic and thoughtful. In the world full of liars , we hardly find anyone honest. Unfortunately the honest people do not get the required support also. Ultimately they wither untimely . But of course few can withstand the hardships and opposition as well.
.
आदरणीया आशा जी , भाई अनुराग शर्मा जी ;
ReplyDelete'हिकायत' का अर्थ है ..'किसी पूर्व वर्णित गाथा अथवा कहानी का उद्धरण/अंश'
kisi ek ashaar ki baat karna bemani hogi jab puri ghazal hi umda ho..kabhi kabhi itne acchi tarike se meter mein bandhi ghazal dekhne ko milti hain..hardik badhayee
ReplyDeleteज़माने की नज़रे इनायत नहीं है |
ReplyDeleteमगर फिर भी कोई शिकायत नहीं है |
Aapke kayal ho gaye hum Surendra Ji.. Aabhar..
यहाँ लोग पूजेंगे, जब हम न होंगे
ReplyDeleteये भारत है प्यारे! विलायत नहीं है |
जो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
उसे आज हासिल , हिमायत नहीं है |
वाह कितनी सटीक बात कही। बहुत खूब बधाई।
उसी के हैं चर्चे , तुम्हारे शहर में ,
ReplyDeleteजो अब इस जहां में,सलामत नहीं है |
यहाँ लोग पूजेंगे, जब हम न होंगे
ये भारत है प्यारे! विलायत नहीं है |
जो सच बोलता है , अकेला खड़ा है ,
उसे आज हासिल , हिमायत नहीं है |
बेहतरीन शेर....बेहतरीन ग़ज़ल ....
अनुभव की बातें। अच्छा हुआ,आपने शेयर किया।
ReplyDeleteउसी के हैं चर्चे , तुम्हारे शहर में ,
ReplyDeleteजो अब इस जहां में,सलामत नहीं है |
यह हुई ना सही बात....
सच्चे लोग अलग - थलग हो गए है ! बहुत सुन्दर
ReplyDeleteउसी के हैं चर्चे , तुम्हारे शहर में ,
ReplyDeleteजो अब इस जहां में,सलामत नहीं है |