नया-नया दरोगा था
एक दिन गश्त में
खूंखार हिस्ट्रीशीटर को पा गया
विधायक जी का पालतू
गब्बर सिंह
अचानक पुलिस की चपेट में आ गया
विधायक जी ...
जा रहे थे विदेश
मिला सन्देश
कार दौड़ाये
सीधे पुलिस स्टेशन आये
इधर दरोगा जी ..
दहशत दिखा रहे थे
पर्दाफाश करने को
डंडा उठा रहे थे
इन्स्पेक्टर के
खूंखार चेहरे को देखकर
हो रही थी
गब्बर सिंह की हालत खराब
इतने में देखा ..
नेता जी आ गए
आँखों में ख़ुशी के आँसू छलके
निकले यही कलाम ...
'मेरे महबूब तुझे सलाम !'
इधर दरोगा ने
नेताजी को देखा ..
ठोंका बड़ा सलाम
अरे हुज़ूर! हो गया आपका काम
गब्बर सिंह को छोड़ दिए
ये कहते हुए ..
'हम बने तुम बने इक दूजे के लिए '
हा हा हा 'हम बने तुम बने एक दूजे के लिए'...नेता और पुलिस के गठजोड़ पर ज़बरदस्त प्रहार किया है लेकिन इन बेशर्मों को शर्म आये तब न?
ReplyDeleteBAHUT BADIYA JI
ReplyDeleteहम बने तुम बने इक दूजे के लिए '
वाह..क्या खूब ...पढ़ कर मन आनंदित हो गया !
ReplyDeleteसही है भैय्या बात तो यही है अपने झटके कल चर्चा मंच पर भी देखियेगा :)
ReplyDeleteबहुत लाजवाब रचना| धन्यवाद|
ReplyDeleteसुरेन्द्र जी, बढ़िया हास्य है और जबर्दस्त कटाक्ष भी है।
ReplyDeleteजबरदस्त प्रहा्र किया है आज …………जोर का झट्का बहुत धीरे से दिया है।
ReplyDeleteगब्बर और इंस्पैक्टर को मिल कर भी गाना चाहिए - हम बने तुम बने एक तीजे के लिए :))
ReplyDeleteha ha ha ...क्या जोड़ी है ..बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteवाह क्या बात है। शानदार व्यग्ंय। यही तो आजकल खुलेआम हो रहा है।
ReplyDeleteजबरदस्त प्रहा्र किया है आज.......
ReplyDeleteसच्चाई को दर्शाती दिल को छू लेने वाली कविता!
सटीक प्रहार किया है आपने...आभार
ReplyDeleteज़बरदस्त..... सही कटाक्ष है...
ReplyDeleteसच्चाई बता दी :)
ReplyDeletebhut badiya tarike se sacchi baat kah di apne...
ReplyDeleteहम बने तुम बने इक दूजे के लिए '
ReplyDeleteबहुत खूब...
बढ़िया कटाक्ष करती हुई रचना....
ReplyDeleteअरे वाह!
ReplyDelete'मेरे महबूब तुझे सलाम !'
गब्बर सिंह को छोड़ दिए
ReplyDeleteये कहते हुए ..
'हम बने तुम बने इक दूजे के लिए '
vastvikta aur vah bhi itni sundar panktiyon me .bhai vah.
बहुत बढ़िया, शानदार और ज़बरदस्त रचना लिखा है आपने!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बेहद धारदार व्यंग है। एक गठजोड़ ने ही तो देश को बर्बाद कर दिया है। नेताओं में नैतिक मूल्य तो शायद है ही नहीं । आँख का पानी भी मर गया है।
ReplyDeleteहकीकत तो यही है हर थाने की ...शुभकामनायें आपको !
ReplyDeleteगब्बर सिंह को छोड़ दिए
ReplyDeleteये कहते हुए ..
'हम बने तुम बने इक दूजे के लिए '
बेहद नुकीला व्यंग है... ये दोनों मिलकर ही तो देश की नाव डुबोने में लगे हैं, और अपना घर भरके सुखी.........
सहज सरल चुभन लिए व्यंग्य -इसीलिए तो हो रहें हैं थाने में बलात्कार ,सड़कों पर रोड रेज ,व्यवस्था गत घुन लगा है संस्थाओं को .सशक्त रचना .
ReplyDeleteझंझट जी ,फिर से आपके झटके को सलाम .नेता बनाये सारे बिगड़े काम...
ReplyDeleteहा हा हा... बहुत खूब... ऐसा ही होता है... "एक दूजे कि लिए" का इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता....
ReplyDeleteझंझट जी aapke vyang par mera sath sath naman !
ReplyDeleteजी हाँ ये तीनो तो एक दूजे के लिए ही बने है.
ReplyDeleteयही तो हो रहा है आजकल
ReplyDeleteझकझोरक झटका दिया आपने...
ReplyDeleteबहुत बहुत बहुत ही सटीक....
और क्या कहूँ ????
बहुत अच्छी लगी |बधाई
ReplyDeleteआशा
'मेरे महबूब तुझे सलाम !'
ReplyDeleteव्यंग्य भी हास्य भी !
साथ में कटाक्ष भी !!
बहुत ख़ूब !
एक समर्थ छंदसाधक की हल्की-फुल्की रचना पढ़ना भी अच्छे अनुभव से गुज़रना होता है … बढ़िया भाई सुरेन्द्र जी !
जबर्दस्त कटाक्ष ....बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता....
ReplyDeleteआभार
आज की व्यवस्था पर करार व्यंग है ...
ReplyDeletebahut hi sundr kataksh
ReplyDeletehamre blog par bhi aapka swagat hai :)
creationsofmansa.blogspot.com
maza aa gaya bhut sunder sabdo ko jodra hai appney wha.
ReplyDeleteआज के राजनेता और पुलिसिया मनोवॄत्ति को अच्छी ख़ुराक दी आपने ....वास्तव में आनन्द आ गया .... आभार !
ReplyDeleteदोनों ही एक सिक्के के दो पहलू है ! दोनों एक दुसरे पर निर्भर और हम भगवान भरोसे ! सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteआपने याद दिलाया, तो मुझे याद आया
ReplyDeleteझंझट भाई आपने जो 'टिपण्णी' का झटका दिया तो
आपके ब्लॉग पर तुरंत आ गया हूँ ,और बस यही गा रहा हूँ
'हम मिले तुम मिले,एक दूजे के लिए'
यह गब्बर सिंह के लिए नहीं,आपके और ब्लॉग जगत के सभी मित्रों के लिए है.
जल्दी ही कारोबार आगे बढ़ाने कि कोशिश करता हूँ.
'हम बने तुम बने इक दूजे के लिए '
ReplyDeleteएकदम सही.
यही तो हो रहा है.
बढ़िया व्यंग्य .आभार
ReplyDeleteइसी एक दूजे के बनने ने बेड़ा गर्क कर रखा है |
ReplyDeletebahut hi sundar vyngy kavita badhai bhai surendraji
ReplyDeleteसही बात है दोनो एक दूसरे के लिये ही बने हैं। करारी चोट।
ReplyDeleteबहुत सुंदर..क्या बात है
ReplyDeleteजोरदार व्यंग ।
ReplyDeletebhiaya main bahut dinon baad aaya hun...kshama kar dena.
ReplyDelete'हम बने तुम बने इक दूजे के लिए '
aur aaya to aapka ek aur roop dekha bahuuuuuuut achha bhaiya aap kuchh bhi likho bhiya aapka har vidha par poorn adhikaar hai.
वाह..क्या खूब ...पढ़ कर मन आनंदित हो गया !
ReplyDeleteसही बात है दोनो एक दूसरे के लिये ही बने हैं। करारी चोट।
kya baat kahi hai
ReplyDeletemarvelous marvelous.......
गब्बर सिंह की हालत खराब
ReplyDeleteइतने में देखा ..
नेता जी आ गए
आँखों में ख़ुशी के आँसू छलके
निकले यही कलाम ...
'मेरे महबूब तुझे सलाम !'...bahut accha...behtareen...
गठजोड़ का सच।
ReplyDeleteहाहा.. यह गीत अभी सुन रहा था सुबह-सुबह.. क्या से क्या जोड़ दिया आपने तो! :)
ReplyDeletehansate hansate hakikat bata di..kya baat hai ..lajab
ReplyDeletehansate hansate hakikat bata di..kya baat hai ..lajab
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