Friday, November 18, 2011

चल मेरे मीत नदी-तीर चलें

संग-सँग  राँझा  चलें , हीर  चलें |
चल  मेरे  मीत   नदी -तीर चलें |

चलें कुंजों की घनी छावों में |
प्यार  के  रंग  भरे गाँवों  में |
मस्त भँवरे हैं, गुनगुनाते हैं |
रस में डूबे हैं , गीत  गाते हैं |

दिल की तनहाइयों को चीर, चलें |

समां   बसंत   की   सुहानी है |
जहाँ    महकती   रातरानी है |
चाँदनी धरा-तल पे बिखरी है |
रूप  की  धवलपरी   उतरी है |

ऐसे में मन को कहाँ धीर ? चलें |

परिंदे    प्रेम-धुन     सुनाते हैं |
सैकड़ों    तारे     मुस्कराते हैं |
लताएँ    झूम-झूम   जाती हैं |
डालियाँ   चूम-चूम   जाती हैं |

प्यार  के  डोर बंधी पीर, चलें |

सिर्फ हरियाली ही हरियाली है |
हाय,  कैसी   छटा   निराली है !
कोई   बंदिश  है  ना  बहाना है |
एक   दूजे   में    डूब   जाना है |

आज हम तोड़ के जंजीर चलें |

47 comments:

  1. प्यार के डोर बंधी पीर, चलें |
    सुन्दर और खरी सच्चाई!
    सुन्दर गीत!

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  2. ऐसे में मन को कहाँ धीर ? चलें |
    बहुत बढि़या ।

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  3. चलें कुंजों की घनी छावों में |
    प्यार के रंग भरे गाँवों में |
    मस्त भँवरे हैं, गुनगुनाते हैं |
    रस में डूबे हैं , गीत गाते हैं |
    bahut hi badhiyaa

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  4. समां बसंत की सुहानी है |
    जहाँ महकती रातरानी है |
    चाँदनी धरा-तल पे बिखरी है |
    रूप की धवलपरी उतरी है |

    वाह ....खूबसूरत पंक्तियाँ

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  5. आपकी रचना से फिल्म पाकीज़ा का गीत याद आ गया: "चलो दिलदार चलो चाँद के पार चलो....."

    नीरज

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  6. हमेशा की तरह बेमिशाल रचना
    प्यारा गीत
    शुभकामनाये

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  7. सिर्फ हरियाली ही हरियाली है |
    हाय, कैसी छटा निराली है !
    कोई बंदिश है ना बहाना है |
    एक दूजे में डूब जाना है |
    बहुत प्यारा गीत रच डाला बधाई ........

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  8. बहुत अच्छी एवं रचना।
    धन्यवाद

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  9. आय हाय..! कासे कहूँ..! कासे गीत यह गुनगुनाऊँ!...सुनाऊँ..! कासे कहूँ..!
    ..मस्त कर दिये भाई।

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  10. चलें कुंजों की घनी छावों में |
    प्यार के रंग भरे गाँवों में |
    मस्त भँवरे हैं, गुनगुनाते हैं |
    रस में डूबे हैं , गीत गाते हैं |
    बहुत सुन्दर गीत...

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  11. प्रवाहमयी सुंदर कविता. प्रकृति के साथ गुँथे भाव बहुत अच्छी तरह संप्रेषित हुए.

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  12. चलें कुंजों की घनी छावों में |
    प्यार के रंग भरे गाँवों में |
    मस्त भँवरे हैं, गुनगुनाते हैं |
    रस में डूबे हैं , गीत गाते हैं |

    Waah !! bahut sunder geet.

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  13. मन -मयूर नाच उठा सुन्दर गीत पर.

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  14. चलें कुंजों की घनी छावों में |
    प्यार के रंग भरे गाँवों में |
    मस्त भँवरे हैं, गुनगुनाते हैं |
    रस में डूबे हैं , गीत गाते हैं |
    बहुत खूब ....चलो सजना जहाँ तक घटा चले ...

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  15. Bahut achhi kavita,sundar bhaav !

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  16. चाँदनी धरा-तल पे बिखरी है |
    रूप की धवलपरी उतरी है |

    ऐसे में मन को कहाँ धीर ? चलें |

    सरस गेय और सुमधुर प्रेममयी कविता भैया ..बहुत सुंदर !

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  17. परिंदे प्रेम-धुन सुनाते हैं ।
    सैकड़ों तारे मुस्कराते हैं ।
    लताएँ झूम-झूम जाती हैं ।
    डालियाँ चूम-चूम जाती हैं ।

    कोमल, मधुर, मनभावन गीत...।

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  18. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  19. प्रेम पथ पर चलते हुए सारी सृष्टि का सौंदर्य आँखों में समा जाता है.बहुत सौंदर्यपूर्ण कविता.

    झंझट की प्रेम धुन सुन लीजे
    बन भ्रमर मकरंद चुन लीजे
    प्रेम का नगर यहीं बसाना है
    स्वर्ग सा दृश्य यहाँ सुहाना है.
    मीत अब न कहना,काश्मीर चलें...
    चल मेरे मीत, नदी तीर चलें......

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  20. दिल की तनहाइयों को चीर, चलें |बहुत बढि़या |

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  21. दिल की तनहाइयों को चीर, चलें |बहुत बढि़या |

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  22. दिल की तनहाइयों को चीर, चलें |

    सुन्दर गीत!

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  23. बहुत सुन्दर .... दिल की तनहाइयों को चीर चले...

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  24. Really very nice song! Congrats!

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  25. सुन्दर गीत मनोहर गीत गेय और सांगीतिक लय ताल लिए .भाव और माधुर्य की बयार लिए .

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  26. परिंदे प्रेम-धुन सुनाते हैं |
    सैकड़ों तारे मुस्कराते हैं |
    लताएँ झूम-झूम जाती हैं |
    डालियाँ चूम-चूम जाती हैं |

    बहुत सुंदर शाब्दिक श्रृंगार लिए पंक्तियाँ ...... बहुत बढ़िया

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  27. मनमोहक प्रकृति चित्रण.

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  28. आज दोबारा पढ़ा और गुनगुनाया भी। सुंदर सुंदर सुंदर। धीर - चलें ; बहुत खूब। बधाई सुरेन्द्र भाई।

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  29. बेहतरीन प्रकृति का सुंदर चित्रण,आपकी
    यह रचना पाकीजा फिल्म के एक गाने
    की याद दिलाती है सुंदर पोस्ट,...
    मेरे पोस्ट में आकार अपने विचार देने के लिए,
    दिल से आभार,शुक्रिया...

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  30. परिंदे प्रेम-धुन सुनाते हैं |
    सैकड़ों तारे मुस्कराते हैं |
    लताएँ झूम-झूम जाती हैं |
    डालियाँ चूम-चूम जाती हैं |

    बहुत बेहतरीन प्रस्तुति... !

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  31. आज हम तोड़ के जंजीर चलें |
    सुंदर गीत

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  32. bhawon men sunder lay bandha hai......

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  33. " कोई बंदिश है ना बहाना है |
    एक दूजे में डूब जाना है |"
    बहुत ही सुन्दर हवा के रंग ! बिना भेद - भाव के !

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  34. प्रिय सुरेन्द्र सिंह "झंझट" जी
    सस्नेहाभिवादन !


    प्यारा गीत है

    सिर्फ हरियाली ही हरियाली है |
    हाय, कैसी छटा निराली है !
    कोई बंदिश है ना बहाना है |
    एक दूजे में डूब जाना है |

    आज हम तोड़ के जंजीर चलें |



    श्रेष्ठ रचना के लिए बधाई !
    मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  35. परिंदे प्रेम-धुन सुनाते हैं
    सैकड़ों तारे मुस्कराते हैं
    लताएँ झूम-झूम जाती हैं
    डालियाँ चूम-चूम जाती ह

    वाह प्रेम की उन्मुक्त बयार बह रही है ...

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  36. सिर्फ हरियाली ही हरियाली है |
    हाय, कैसी छटा निराली है !
    कोई बंदिश है ना बहाना है |
    एक दूजे में डूब जाना है |

    आज हम तोड़ के जंजीर चलें |

    manbhaawan rachna...

    .

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  37. खूबसूरत पंक्तियों से सजी भावपूर्ण कविता...

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  38. सुरेन्द्र जी,
    मेरे नए पोस्ट आपका इंतज़ार है,....

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  39. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...

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  40. वाह!! आनन्द आ गया...बहुत खूब!!

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  41. बहुत ख़ूबसूरत एवं भावपूर्ण गीत ! सुन्दर प्रस्तुती!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  42. मस्त मस्त सुन्दर प्रस्तुति.
    पढकर मन मग्न हुआ जी.

    बहुत बहुत आभार.

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  43. परिंदे प्रेम-धुन सुनाते हैं |
    सैकड़ों तारे मुस्कराते हैं |
    लताएँ झूम-झूम जाती हैं |
    डालियाँ चूम-चूम जाती हैं |

    प्यार के डोर बंधी पीर, चलें |waah

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