संगमरमर की तराशी मूर्ति हो तुम ,
या अजन्ता की कोई जीवित कला ।
याकि हो अभिशप्त उतरी मृत्युभू पर ,
देवबाला हो कि .........कोई अप्सरा ।
शांत यमुना सी सुकोमल सुमन सी ,
श्याम घन सम केश सुन्दर कामिनी ।
या कि.......... भादौं की अँधेरी रात में ,
चीर घन चमकी हो चंचल दामिनी ।
स्वर्ण सी काया महक चन्दन उठे ,
या सुमन की मधुर मोहक गंध हो ।
या मनुज-स्वप्नों की अद्भुत सुन्दरी ,
या किसी कवि का सरस मधु छंद हो ।
वाह भाई
ReplyDeleteसुन्दर, सुन्दर....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
अच्छी कल्पना है "सुरेन्द्र जी" सुन्दरता की .....लेकिन इन सुन्दरियों के "झंझट" में मत पड़ना ...!
ReplyDeletewah bahut acchhe prateekon...bimbo ka prayog kiya hai.
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावाव्यक्ति शब्द संयोजन कमाल का बधाई
ReplyDeleteसुन्दर कल्पना से भी सुन्दर...
ReplyDeletebahut sundar prastuti...
ReplyDeletekavi ke chhand me sab kuchh samaya hai.
ReplyDeleteati sundar.
वाह वाह, कमाल की प्रस्तुति
ReplyDeleteभाई केवल राम जी की सलाह पर जरूर गौर कीजियेगा,झंझट भाई.
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुति श्रृन्गार रस में पगी अच्छी लगी.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.
श्रृंगार का ऐसा सरस चित्रण अब कम ही देखने को मिलता है. बहुत ही सुंदर.
ReplyDeleteवाह! सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत बधाई...
अच्छी लगी कविता
ReplyDeleteBahut achachi kavita.
ReplyDelete" या किसी कवि का सरस मधु छंद हो " । - आखिरी लाइन बेहद रोचक ! हम नहीं तो वो सुन्दरता नहीं ! बधाई जी !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteVisit my new blog post @
ReplyDeletehttp://rahulpoems.blogspot.in/2012/02/blog-post.html
सुन्दर रूपसी चित्रण ...
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
कमाल की प्रस्तुति....
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति , स:परिवार होली की हार्दिक शुभकानाएं.......
बहुत अच्छी प्रस्तुति| होली की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteकमाल की रचना ...
ReplyDeleteरंगोत्सव पर आपको शुभकामनायें !
श्रृंगार रस से परिपूर्ण सरस प्रस्तुति....
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