(रिपोस्ट ..यह लघुलेख फरवरी २०११ में पोस्ट किया था | मन की आवाज़ पर पुनः पोस्ट कर रहा हूँ |)
लोकतंत्र को निगल गया भ्रष्टाचार का अजगर ..
हाँ ! मैं देख रहा हूँ | क्या आपने नहीं देखा ? आप भी देख रहे हैं | हम सब देख रहे हैं , मगर तमाशबीन की तरह | कुछ करना भी चाहें तो क्या करें ? सिर्फ हो-हल्ला ही तो मचा सकते हैं | मचा भी रहे हैं मगर कोई असर नहीं |
हाँ , तो हम सबने देखा - काफी समय पहले से जिस भ्रष्टाचार के भीमकाय भयंकर अजगर ने देश के लोकतंत्र को निगलना शुरू किया था , अब पूरा का पूरा निगल गया - सिर से पाँव तक ! लोकतंत्र अब अजगर के पेट में है | वह अजगर की आँखों से ही थोडा-बहुत बाहर देख लेता है , उसी की साँस पर जिन्दा है ,बाहर आने को छटपटाता है | अजगर के पेट में फँसा बेचारा हाथ-पाँव मारता है मगर दूसरे ही पल आँखें मूँद लेता है | एक आम आदमी की तरह मौत से जूझ रहा है - बेचारा बेबस लोकतंत्र ! लगता है कि अब जान गई कि तब , पर दूसरे ही क्षण वह फिर हरकत में आ जाता है | मृतप्राय है पर जिजीविषा बाकी है |
क्या कोई चमत्कार होगा ? कोई मसीहा आएगा इसे बचाने ? कौन फाड़ेगा अजगर का पेट ? पेट फाड़कर लकवाग्रस्त हो चुके लोकतंत्र को बड़ी सावधानी से बाहर निकालेगा,उसके क्षतिग्रस्त अंगों की मरहम-पट्टी करेगा , खुली हवा में बाहर घुमायेगा | धीरे-धीरे घायल लोकतंत्र स्वस्थ हो जायेगा | तब वह बेचारा नहीं रहेगा |
अगर फिर कभी अजगर उसे दुबारा निगलने का प्रयास करेगा तो वह अपनी चारों बलिष्ठ भुजाओं से उसके जबड़ों को पकड़कर फाड़ देगा | भ्रष्टाचार का अजगर हमेशा-हमेशा के लिए ख़त्म हो जायेगा | लोकतंत्र की घर-गृहस्थी फिर से बसेगी, उसके आँगन में बच्चों की किलकारियाँ गूँजेगी और वह बड़ी शान से सीना चौड़ा करके पूरे संसार को अपनी बलिष्ठता और स्वतंत्रता की चुनौती देगा |
ना जाने यह भ्रष्टाचार .....!
ReplyDeleteभ्रष्टाचार का अचार भी कितने दिन चलेगा !
ReplyDeleteबहुत सही कहा आपने
ReplyDeleteकोई न कोई बड़ी मुहिम भ्रष्टाचारी सिस्टम को खा जाएगी.
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा है आपने ।
ReplyDeletebilkul sahi
ReplyDeleteवह दिन जल्दी ही आए .....
ReplyDeleteसच हो यह और जिजीविषा जीत जाये!
ReplyDeleteबहुत सही कह रहे हैं आप सार्थक वा सशक्त प्रस्तुति ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका भी स्वागत है
ReplyDeleteउम्मीद की जानी चाहिए कि ऐसा ही होगा
ReplyDeleteस्थिति सचमुच बद है और बदतर हो रही है...
ReplyDeleteसार्थक चिंतन है सुर्नेंद्र भाई....
सादर बधाई....
क्या कोई चमत्कार होगा ? कोई मसीहा आएगा इसे बचाने ? कौन फाड़ेगा अजगर का पेट ? पेट फाड़कर लकवाग्रस्त हो चुके लोकतंत्र को बड़ी सावधानी से बाहर निकालेगा,उसके क्षतिग्रस्त अंगों की मरहम-पट्टी करेगा, खुली हवा में बाहर घुमायेगा | धीरे-धीरे घायल लोकतंत्र स्वस्थ हो जायेगा | तब वह बेचारा नहीं रहेगा |
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
आईये चलिए फिर अपने अंदर हनुमान को जगाएं.
मेरे ब्लॉग पर आप तुरन्त ही चले आयें.
कैसे ख़त्म होगा वह अजगर - जिसे अजगर कहने वाले हम सभी उसे पोषण दे रहे हैं ? अपनी ही आहुति देकर उसे मजबूत करते हैं ? हममे से कितने लोग अपनी हर खरीद का बिल बनवाते हैं - या अधिकतर नहीं बनवाते - क्योंकि दुकानदार कहता है - बिना बिल के इतना - बिल चाहिए तो इतना टैक्स ?
ReplyDeleteबच्चों को बेहतर स्कूल भेजने को भ्रष्टाचार क्या हम नहीं करते ? अपना driving licence बनवाने ? डॉक्टर की line में बैठे हुए उनके attender को १० रुपये दे कर बारी आगे करवाने ? ............ यह सब ही तो उस अजगर को पोषित करता है |
सार्थक, सटीक और सामयिक प्रस्तुति, आभार.
ReplyDeleteसही और सटीक कहा है आपने.
ReplyDeleteआस पर तो जग है ..
ReplyDeleteबहुत सही चित्रण किया है आपने...
ReplyDeleteपर मन हताशा के गहरे भंवर में डूब उतरा रहा है...प्रार्थना तो है परमेश्वर से पर आस बाँधने का कोई आधार नहीं मिला रहा...नहीं लग रहा कि निकट भविष्य में कुछ ऐसा हो जायेगा कि अजगर के पेट में फंसा वह लोकतंत्र मुक्त और स्वस्थ हो पायेगा,क्योंकि किसी भी परिवर्तन से सत्ता परिवर्तन तो होगा पर व्यवस्था परिवर्तन नहीं...
भ्रष्टाचार और लोकतंत्र में युद्ध का काव्यमयी भाषा में अच्छा चित्रण।
ReplyDeleteआशा रखें कि लोकतंत्र विजयी होगा।
जब तक हम आप नही सुधरेगें तब तक भ्रष्टाचार समाप्त नही होगा,....
ReplyDeleteसटीक सामायिक सुंदर पोस्ट ,.....
जब से देश आज़ाद हुआ कमोबेश लोकतंत्र अजगर के पेट में ही रहा है बिनाई ज़रूर उसकी कम ज्यादा होती रही है .अब आस अन्ना से है .किरण बेदी से है ,अना के दूसरे साथियों से है केजरीवाल जी से है .कोई तो चीरेगा अजगर का पेट .
ReplyDeleteएक चिंतनीय आलेख..!
ReplyDeleteमेरे पोस्ट पे आकर उत्साहवर्धन के लिये
तहे दिल से शुक्रिया आपका ..!
Bahut Khoob behtarin rachna.
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण और सार्थक आलेख..
ReplyDeleteपुरानी लिखी हुई बाते भी भविष्य में सच होती रहती है।
ReplyDeleteWell ...your post is really very good! still I feel that we should hope for better! Congrats on writing such a meaningful post!
ReplyDeleteकाश ऐसा ही हो. हम सब दुआ करते है.
ReplyDeleteबहुत सटीक और सार्थक आलेख
ReplyDeleteaaderniy sanjay jee...ajgar ka pet to ham yuwaon ko hee phadna padega...vartmaan ki jwalant samsya per bahut hee akarshak tareeke se dhyan kheencha hai aapne..sadar badhayee ke sath
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, शानदार और सटीक आलेख! सार्थक चिंतन!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
उफ ये भ्रष्टाचार, जो न करे वो थोड़ा है
ReplyDeleteभ्रष्टाचार के अजगर का पेट फाड़ना अत्यंत आवश्यक है. सुंदर पोस्ट.
ReplyDeleteसुंदर सटीक सार्थक पोस्ट ,,,,,
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट में इंतजार है,....
आपने सही लिखा है! सार्थक विवेचन पसंद आया! आपको बधाई !
ReplyDeleteबहुत सार्थक लेख .
ReplyDeleteआशा तो बनाए रखनी ही होगी
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