तुम कहते हो मौसम बहुत सुहाना है |
इसी बात का मातम मुझे मनाना है |
सावन के अंधों किस भ्रम में खोये हो
हरियाली थी कभी आज वीराना है |
महंगाई तो महलों से अनुबंधित है
झोपड़ियों को इसका मोल चुकाना है |
उधर उजाला -इधर अँधेरा रहता है
शायद मेरे देश का सूरज काना है |
nice
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