माया के अपार मोहजाल में भुलान कोऊ ,
कोऊ राम नाम में लगाय रह्यो मन है |
कामिनी कमान नैन बींधि गयो काहू उर ,
कोऊ भाव भगति भुलाय दियो तन है |
कोऊ दोऊ हाथन सों बाँटि रह्यो भुक्ति-मुक्ति ,
कोऊ दोऊ हाथ सों बटोरि रह्यो धन है |
साधो ! ऐसा जग है बेढंगा बहुरंगा ,
कोऊ काहू में मगन कोऊ काहू में मगन है |
सही बात है सब अपने अपने मे मगन हैं।
ReplyDeleteकोऊ दोऊ हाथन सों बाँटि रह्यो भुक्ति-मुक्ति ,
ReplyDeleteकोऊ दोऊ हाथ सों बटोरि रह्यो धन है |
बहुत अच्छी यथार्थवादी रचना...
बहुत बदिया,बहुत सुन्दर,लाजबाब झंझट भाई.
ReplyDeleteकमाल की कुंडली है.बेहतरीन प्रस्तुति है.
आप ने 'मगन' कर दिया मन को.
आपने मेरे ब्लॉग पर आने में इस बार इतनी देर क्यूँ लगाई ?
बहुत सार्थक, बहुत अच्छी यथार्थवादी रचना...
ReplyDeleteसही बात है सब अपने अपने मे मगन हैं। धन्यवाद|
ReplyDeleteवाह....अद्वितीय ...
ReplyDeleteभक्तिकालीन कविता की स्मृति करा दी आपने....मन आनंदित हो गया...
बहुत अच्छा दोहा लिखा है आपनेबहुत सुन्दर,आप ने 'मगन' कर दिया मन को. लेकिन एक कमी है अंत में होना चाहिए
ReplyDeleteकह झंझट कवि राय, यह जग है बड़ा अनोखा ,
कोई खेलैहै धन में,कोई के धन रामनाम रतन है|
sahi kaha hai ji...
ReplyDeletefollowers ka shatak hone par bhi badhaai....
sunder dohe...
कोऊ राम नाम में लगाय रह्यो मन है |
ReplyDeleteकोऊ काहू में मगन कोऊ काहू में मगन है | bahut hi badhiyaa
कोऊ लिखै मा मगन
ReplyDeleteहम पढै मा मगन ।
बहुत सुन्दर रचना ।
कोऊ काहू में मगन कोऊ काहू में मगन है |
ReplyDeleteसच है ...सब अपनी अपनी राह चल रहे है.....
वाह! वाह! वाह! हजार बार वाह! खूब आनंद आ रहा है गाने में...
ReplyDeleteकहीं पर है ठर्रा, कहीं पर चिलम है।
ReplyDeleteकिए जाओ सपन्न, जो कार्यक्रम है॥
कलम में बड़ी आपके मित्र दम है।
कलम ये नहीं है, प्रखर शब्द-बम है॥
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प्रभावकारी छंद की प्रस्तुति हेतु -बधाई!
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सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
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बस वाह वाह वाह
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सुंदर रचना ! कोई काहू में मगन कोई काहू में !
ReplyDeleteझझट जी मै क्या तारीफ करूँ मूढ़ मगज अग्यानी इंसान हूँ इतनी उम्दा रचना की तारीफ करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है और ना ही इस भावना को परिभाषित कर सकने की सामर्थ्य
ReplyDeleteशानदार है
हम भी मगन हो गए कविता को पढ़ के
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
बधाई
बहुत खूब ....शुभकामनायें आपको !!
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत सार्थक और सुन्दर रचना..शुभकामनायें
ReplyDeleteमाया के अपार मोहजाल में भुलान कोऊ ,
ReplyDeleteकोऊ राम नाम में लगाय रह्यो मन है ।
कामिनी कमान नैन बींधि गयो काहू उर ,
कोऊ भाव भगति भुलाय दियो तन है ।
बहुत सुंदर कवित्त है सुरेन्द्र जी। पढ़ते-पढ़ते गाने लगा मैं।
भाव भी सामयिक संदर्भ से सुमेलित है।
bahut sunder kavita ki har vidha par aditiya pakad !
ReplyDeletewaah waah waah
कौऊ काउ में मगन ,कोई काऊ में मगन ,
ReplyDeleteकौऊ ब्लॉग में मगन ,कोऊ भोग में मगन ,
कौऊ मदन मगन, कौऊ बदन मगन ,
सब मगन मगन ,सब मगन मगन ।
भाई झंझट जी बड़ी लयताल रस लिए हैं आप ,औरों को भी लग सकता है यह राग -रंग .
यही तो प्रकृति का नियम है । हर कोई अपने आप में मगन है , व्यस्त है । यही प्रकृति की सुन्दरता भी है शायद। बहुत सुन्दर रचना है ।
ReplyDeleteआपने सही लिखा है. हर कोई अपने आप में मगन है. रचना पढ़कर बहुत अच्छा लगा.इसके लिए आपको ढेरों शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteप्रभावी अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteबहुत दे के बाद इतना सुंदर कवित्त पढ़ा है. धन्यवाद और बधाई.
ReplyDeleteवाह....आनंद आ गया सुरेन्द्र भाई....
ReplyDeleteसादर...
बहुत सुन्दर, शानदार और सार्थक रचना लिखा है आपने!
ReplyDeleteबहुत खूब और सार्थक रचना
ReplyDeleteझंझट तमाम छोड़ लिखिए घनाक्षरी को
ReplyDeleteअगली दफ़ा इसी का होना आगमन है
सुरेंद्र भाई, ब्राजभाषा का सुंदर प्रयोग करते हैं आप| बधाई|
सुरेन्द्र जी ..आपकी बात पसंद आई. आजकल तो सब अपने में ही मगन हैं. ये बात बिलकुल सत्य है. आपको शुभकामनाएँ.
ReplyDeletewah. bahut achcha laga.
ReplyDeleteआद. झंझट जी,
ReplyDeleteकमाल का लिखा है आपने ! शब्द ,भाव, लय और प्रवाह की जीतनी भी प्रशंसा की जाय कम है !
यथार्थ का प्रभावी शब्द-चित्र !
आभार !
प्रिय बंधुवर सुरेन्द्र जी
ReplyDeleteसस्नेहाभिवादन !
क्या मनहरण कवित्त लिखा है वाह ! वाह !! वाह !!!
कामिनी कमान नैन बींधि गयो काहू उर ,
कोऊ भाव भगति भुलाय दियो तन है |
सच कहूं तो मुझे आपकी लेखनी को प्रणाम कहने में सुख और संतुष्टि मिल रही है …
… आपकी रचनाएं स्वयं आपकी ता'रीफ़ हैं ।
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
कामिनी कमान नैन बींधि गयो काहू उर ,
ReplyDeleteकोऊ भाव भगति भुलाय दियो तन है |
अनुप्रास के सुन्दर प्रयोग ने कविता में चार चांद लगा दिया है....
इस भावभीनी ह्रदयस्पर्शी रचना के लिए हार्दिक बधाई...