साँस-साँस में बसी थीं,दोनों जग से निराली '
इनके सिवा न कृष्ण की थी कोई साँस री |
अधरों से खेलती थीं , साथ साथ रहती थीं ,
सारे जग की बुझातीं, आत्मा की प्यास री |
नाचते थे धुनि सुनि , नारद- विरंचि- शिव ,
प्रकृति भी , गोपियों की श्वाँस प्रति श्वाँस री |
वाह रे कन्हैया ! कभी जान नहीं पाया कोई ,
बाँसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बाँसुरी |
बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी |
ReplyDeleteवाह क्या भाव भरे हैं…………रोम रोम पुलकित हो गया।
वाह...वाह...वाह...'बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी.' बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति. इतना बढ़िया सृजन और इस छंद में बुना हुआ. रीतिकाल के कई कवियों की रचना के समकक्ष.
ReplyDeleteबांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी....
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति.........
इतना सुन्दर शब्द संयोजन देखकर मन खुश हो गया...
बहुत सुन्दर........
वाह रे कन्हैया ! कभी जान नहीं पाया कोई ,
ReplyDeleteबांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी | ... radha hi to thi baansuri
वाह सुरेन्द्र जी , गजब की अभिव्यक्ति ! बहरीन भाव और शिल्प । मन तृप्त हुआ।
ReplyDeleteवाह रे कन्हैया ! कभी जान नहीं पाया कोई ,
ReplyDeleteबांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी |
वाह सुरेंद्र भाई, आनंद आ गया| घनाक्षरी छन्द माहौल को सुगंधित करने लगे हैं| जय हो|
जय हो, जय हो झंझट भाई की जय हो.
ReplyDeleteआपकी सुन्दर अभिव्यक्ति के बारे में अब क्या कहूँ?
दिल छीन ले गई यह तो.
इतना सुन्दर शब्द संयोजन देखकर मन खुश हो गया...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर......
बांसुरी थी राधिका की राधिका थी बांसुरी ....बहुर अभिनव प्रयोग ...मानिनी राधा को मुग्धा ...कृष्ण को राधामय बनाता हुआ .
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति|धन्यवाद|
ReplyDeleteबांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी
ReplyDelete..बहुत सुंदर।
बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी |
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर....
बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी |
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति....
बाँसुरी राधा लगे या राधिका लगे बाँसुरी
ReplyDeleteग्वाल बालों संग देखो गोपियाँ हैं बावरी.
भाव विभोर कर दिया सुरेन्द्र जी !!!!!
बाँसुरी राधा लगे या राधिका लगे बाँसुरी
ReplyDeleteअद्भुत तारतम्य स्थापित कर दिया आपने इन शब्दों के माध्यम से ....आपका आभार
वाह वाह!! क्या बात है...
ReplyDeleteबांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी |
झूम गये!!
waah! bhut bhut hi acchi rachna hai...
ReplyDeleteकड़-कड़ में श्याम ....हम नादान भूल बैठे
ReplyDeleteकृष्ण व राधिका के मधुर संबंध को आपने बासुरी के मिठाश के साथ बखुबी व्यक्त किया अनुपम रचना !
ReplyDeleteनमामि राधे, नमामि कृष्णम...
ReplyDeleteराधा-कृष्ण की युगल मूर्ती की भांति
बड़ी प्यारी सी पोस्ट सुरेन्द्र भाई....
सादर...
बहुत सुंदर काव्य रचना और बेहतरीन भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteWaah Waah !
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना
ReplyDeleteसादर- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
वाह रे कन्हैया ! कभी जान नहीं पाया कोई ,
ReplyDeleteबांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी |
क्या बात है.बहुत प्यारा लिखा है
वाह रे कन्हैया ! बहुत ही सुंदर ...
ReplyDeleteवाह रे कन्हैया ! कभी जान नहीं पाया कोई ,
ReplyDeleteबांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी |
घनाक्षरी छन्द के माध्यम से शानदार सौन्दर्य उत्पन्न किया है।
मनोरम प्रस्तुति!!
साँस-साँस में बसी थीं,दोनों जग से निराली '
ReplyDeleteइनके सिवा न कृष्ण की थी कोई साँस री |
अधरों से खेलती थीं , साथ साथ रहती थीं ,
सारे जग की बुझातीं, आत्मा की प्यास री |
बहुत ही सुंदर
आप भी सादर आमंत्रित हैं
ReplyDeleteएक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति का परिचय
ये मेरी पहली पोस्ट है
उम्मीद है पसंद आयेंगी
रोम रोम में रोमांच भर आया पढ़कर...
ReplyDeleteमन भावुक पुलकित हो गया...
किन शब्दों में प्रशंसा करूँ...?????
हरित बांस की बांसुरी मुरली ली लुकाय ....की याद आगे आपकी रचना पढके .
ReplyDeleteताज़ा रचना प्रतीक्षित है .
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteवाह रे कन्हैया ! कभी जान नहीं पाया कोई ,
ReplyDeleteबाँसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बाँसुरी |
बेहद शानदार लाजवाब .....
प्रिय सुरेन्द्र सिंह जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
मनहरण कवित्त का शानदार नमूना !
आप वार्णिक छंदों में निष्णात हैं ...
वाह रे कन्हैया ! कभी जान नहीं पाया कोई ,
बाँसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बाँसुरी |
छंद जब स्वयं अपने विशुद्ध स्वरूप में उपस्थित हों तो आनंद की उत्पत्ति होती है ...
और इसके निमित्त आप हैं ...
बहुत बहुत मंगलकामनाएं!
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति..
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर
ReplyDeleteमनमोहन कान्हा विनती करू दिन रैन
ReplyDeletehttp://shayaridays.blogspot.com
बिल्कुल अलग अन्दाज़ की...सुन्दर शब्द संयोजन
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