Monday, May 30, 2011

राधिका और बाँसुरी

साँस-साँस में बसी थीं,दोनों जग से निराली '
इनके सिवा  न कृष्ण  की  थी कोई साँस री |
अधरों  से खेलती थीं , साथ साथ  रहती थीं ,
सारे जग  की बुझातीं, आत्मा  की प्यास री |
नाचते थे धुनि  सुनि , नारद- विरंचि- शिव ,
प्रकृति भी , गोपियों की श्वाँस प्रति श्वाँस री |
वाह रे कन्हैया ! कभी जान नहीं पाया कोई ,
बाँसुरी थी राधिका  कि  राधिका थीं बाँसुरी | 

37 comments:

  1. बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी |

    वाह क्या भाव भरे हैं…………रोम रोम पुलकित हो गया।

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  2. वाह...वाह...वाह...'बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी.' बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति. इतना बढ़िया सृजन और इस छंद में बुना हुआ. रीतिकाल के कई कवियों की रचना के समकक्ष.

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  3. बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी....
    बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति.........
    इतना सुन्दर शब्द संयोजन देखकर मन खुश हो गया...
    बहुत सुन्दर........

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  4. वाह रे कन्हैया ! कभी जान नहीं पाया कोई ,
    बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी | ... radha hi to thi baansuri

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  5. वाह सुरेन्द्र जी , गजब की अभिव्यक्ति ! बहरीन भाव और शिल्प । मन तृप्त हुआ।

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  6. वाह रे कन्हैया ! कभी जान नहीं पाया कोई ,
    बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी |

    वाह सुरेंद्र भाई, आनंद आ गया| घनाक्षरी छन्द माहौल को सुगंधित करने लगे हैं| जय हो|

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  7. जय हो, जय हो झंझट भाई की जय हो.
    आपकी सुन्दर अभिव्यक्ति के बारे में अब क्या कहूँ?
    दिल छीन ले गई यह तो.

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  8. इतना सुन्दर शब्द संयोजन देखकर मन खुश हो गया...
    बहुत सुन्दर......

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  9. बांसुरी थी राधिका की राधिका थी बांसुरी ....बहुर अभिनव प्रयोग ...मानिनी राधा को मुग्धा ...कृष्ण को राधामय बनाता हुआ .

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  10. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति|धन्यवाद|

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  11. बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी
    ..बहुत सुंदर।

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  12. बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी |

    बहुत ही सुंदर....

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  13. बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी |
    बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति....

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  14. बाँसुरी राधा लगे या राधिका लगे बाँसुरी
    ग्वाल बालों संग देखो गोपियाँ हैं बावरी.
    भाव विभोर कर दिया सुरेन्द्र जी !!!!!

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  15. बाँसुरी राधा लगे या राधिका लगे बाँसुरी

    अद्भुत तारतम्य स्थापित कर दिया आपने इन शब्दों के माध्यम से ....आपका आभार

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  16. वाह वाह!! क्या बात है...

    बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी |

    झूम गये!!

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  17. waah! bhut bhut hi acchi rachna hai...

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  18. कड़-कड़ में श्याम ....हम नादान भूल बैठे

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  19. कृष्ण व राधिका के मधुर संबंध को आपने बासुरी के मिठाश के साथ बखुबी व्यक्त किया अनुपम रचना !

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  20. नमामि राधे, नमामि कृष्णम...
    राधा-कृष्ण की युगल मूर्ती की भांति
    बड़ी प्यारी सी पोस्ट सुरेन्द्र भाई....
    सादर...

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  21. बहुत सुंदर काव्य रचना और बेहतरीन भावाभिव्यक्ति.

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  22. वाह रे कन्हैया ! कभी जान नहीं पाया कोई ,
    बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी |

    क्या बात है.बहुत प्यारा लिखा है

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  23. वाह रे कन्हैया ! बहुत ही सुंदर ...

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  24. वाह रे कन्हैया ! कभी जान नहीं पाया कोई ,
    बांसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बांसुरी |

    घनाक्षरी छन्द के माध्यम से शानदार सौन्दर्य उत्पन्न किया है।
    मनोरम प्रस्तुति!!

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  25. साँस-साँस में बसी थीं,दोनों जग से निराली '
    इनके सिवा न कृष्ण की थी कोई साँस री |
    अधरों से खेलती थीं , साथ साथ रहती थीं ,
    सारे जग की बुझातीं, आत्मा की प्यास री |

    बहुत ही सुंदर

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  26. आप भी सादर आमंत्रित हैं
    एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति का परिचय
    ये मेरी पहली पोस्ट है
    उम्मीद है पसंद आयेंगी

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  27. रोम रोम में रोमांच भर आया पढ़कर...
    मन भावुक पुलकित हो गया...
    किन शब्दों में प्रशंसा करूँ...?????

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  28. हरित बांस की बांसुरी मुरली ली लुकाय ....की याद आगे आपकी रचना पढके .
    ताज़ा रचना प्रतीक्षित है .

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  29. This comment has been removed by the author.

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  30. वाह रे कन्हैया ! कभी जान नहीं पाया कोई ,
    बाँसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बाँसुरी |

    बेहद शानदार लाजवाब .....

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  31. प्रिय सुरेन्द्र सिंह जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    मनहरण कवित्त का शानदार नमूना !
    आप वार्णिक छंदों में निष्णात हैं ...

    वाह रे कन्हैया ! कभी जान नहीं पाया कोई ,
    बाँसुरी थी राधिका कि राधिका थीं बाँसुरी |


    छंद जब स्वयं अपने विशुद्ध स्वरूप में उपस्थित हों तो आनंद की उत्पत्ति होती है ...
    और इसके निमित्त आप हैं ...
    बहुत बहुत मंगलकामनाएं!
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  32. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति..

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  33. मनमोहन कान्हा विनती करू दिन रैन

    http://shayaridays.blogspot.com

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  34. बिल्कुल अलग अन्दाज़ की...सुन्दर शब्द संयोजन

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