Saturday, May 21, 2011

रेडियो रोता है

उसकी बातें क्यूँ  करते हो ?
वो  तो भारत का नेता है  !
एम.पी. है , एम.एल.ए. है 
मिनिस्टर है , कुछ भी है ..
सेन्ट्रल लाटरी का बम्पर विजेता है |


तुमने जिताया है , संसद पहुँचाया है ,
राजधानी दिखलाया है ..
उसने भी इलेक्सन में लाखों उड़ाया है ..
क्या बुरा ?
आज वह तुम्हीं से लेता है...भारत का नेता है !

रोना  है रोते रहो,
जागो या सोते रहो ..
वह तो होशियार है -
जगता है... देश सोता है !

उसके रोने का ढंग भी अजीब है-
कभी चम्बल, कभी बेहमई
कभी भागलपुर , कभी पंजाब
कभी असम
तो कभी कश्मीर में रोता है ..

झंझट ! तुम मरो या जियो
कोई परवाह नहीं
मगर जब वो मरता है...तो रेडियो रोता है |   


55 comments:

  1. कटाक्ष करने में सफल रचना |

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  2. such ko samne lane ka khubsurat kosish... very nice rachna...

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  3. बहुत सुन्दर कविता भाई सुरेन्दजी बधाई

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  4. उसके रोने का ढंग भी अजीब है-
    कभी चम्बल, कभी बेहमई
    कभी भागलपुर , कभी पंजाब
    कभी असम
    तो कभी कश्मीर में रोता है ..
    waah... bahut khoob likha hai

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  5. उसकी बातें क्यूँ करते हो ?
    वो तो भारत का नेता है !
    एम.पी. है , एम.एल.ए. है
    मिनिस्टर है , कुछ भी है ..
    सेन्ट्रल लाटरी का बम्पर विजेता है |
    ओह! क्या बात कही है और बेहतरीन बिम्ब प्रयोग् बहुत सुन्दर रचना दिल को छू गयी।

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  6. सुन्दर व्यंग्य्।

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  7. बढ़िया कहा है. रेडियो रोता भी हैं तो उसी की याद में. किसी और के बारे में रो कर तो देखे.

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  8. झंझट ! तुम मरो या जियो
    कोई परवाह नहीं
    मगर जब वो मरता है...तो रेडियो रोता है |

    क्या बात कही है आपने।

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  9. तुमने जिताया है , संसद पहुँचाया है ,
    राजधानी दिखलाया है ..
    उसने भी इलेक्सन में लाखों उड़ाया है ..
    क्या बुरा ?
    आज वह तुम्हीं से लेता है...भारत का नेता है !

    सच कह रही है, आपकी रचना ..
    जी हाँ यही तो होता है....
    मगर जब वो मरता है...तो रेडियो रोता है..

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  10. झंझट ! तुम मरो या जियो
    कोई परवाह नहीं
    मगर जब वो मरता है...तो रेडियो रोता है |
    jhnjht ji aapke jhnjht bade niraale haae >

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  11. BDHIYA VAYANG KIYA SIR JI. .
    JAI HIND JAI BHARAT

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  12. बहुत सटीक व्यंग। अंतिम पंक्ति बहुत जबरदस्त लगी।

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  13. जोरदार और धारदार व्यंग्य . बधाई और आभार .

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  14. लाख टके की बात कह दी आपने...

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  15. बहुत सुन्दर व्यंग्य् सुरेन्द भाई बधाई...

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  16. कटाक्ष करने में सफल रचना|धन्यवाद|

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  17. आपने आखिर इस रेडियो को रुला ही दिया ! बेचारा !

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  18. रोना है रोते रहो,
    जागो या सोते रहो ..
    वह तो होशियार है -
    जगता है... देश सोता है

    Bilkul sahi..... Umda kataksh...

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  19. झंझट ! तुम मरो या जियो
    कोई परवाह नहीं
    मगर जब वो मरता है...तो रेडियो रोता है ।

    वाह, झंझट जी ,वाह, बहुत खूब।
    क्या धारदार व्यंग्य है...
    केवल रेडियो ही रोता है, जनता चैन की सांस लेती है।

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  20. जब वो मरता रेडिओ रोता है ...सटीक व्यंग्य ...भारत का नेता है ...सेक्युँल्र नेता है ....

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  21. रोना है रोते रहो,
    जागो या सोते रहो ..
    वह तो होशियार है -
    जगता है... देश सोता है !

    बहुत ही अच्छा लिखा है

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  22. बहुत सटीक व्यंग ,बधाई ...............

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  23. ab to ye vyang se bhi nahi marte . pahle ke neta to aksar vyang se hi mar jaya karte the.

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  24. झंझट ! तुम मरो या जियो
    कोई परवाह नहीं
    मगर जब वो मरता है...तो रेडियो रोता है |

    बहुत सटीक व्यंग..लाज़वाब प्रस्तुति..

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  25. बहुत ही सुन्दर और शानदार कविता! सटीक व्यंग्य!

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  26. बहुत बहुत सही कहा....

    आम और ख़ास का फर्क बड़ा बखूबी बताया आपने...

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  27. बेहतरीन व्यंग्य

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  28. सुरेन्दजी
    बहुत सुन्दर कविता ... बधाई

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  29. यही तो आज का राजा है ... जो भी करे उसको क्या फ़र्क पढ़ता है ... अच्छा व्यंग है ...

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  30. आद.झंझट जी,

    एकदम सटीक और करारा व्यंग्य !
    इतनी सुन्दर रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें !
    आभार !

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  31. तुमने जिताया है , संसद पहुँचाया है ,
    राजधानी दिखलाया है ..
    उसने भी इलेक्सन में लाखों उड़ाया है ..
    क्या बुरा ?
    आज वह तुम्हीं से लेता है...भारत का नेता है !......................
    मुझे लगता है उपरोक्त चुनिन्दा पंक्तियाँ ही सम्पूर्ण रचना की जान है ,अतेव उपरोक्त पंक्तियों को लाक किया जाय....
    आभार उपरोक्त रचना हेतु ..........

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  32. संसद में बहुमत तो इन्ही प्रकार के नेताओ का है.

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  33. उसके रोने का ढंग भी अजीब है-
    कभी चम्बल, कभी बेहमई
    कभी भागलपुर , कभी पंजाब
    कभी असम
    तो कभी कश्मीर में रोता है ..

    ...insaniyat ke dusamano ke liye kisi ko to rona hi padta hai...jo insaan hoga use fark to padta hi hai...
    bahut chintanprad rachna..aabhar

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  34. जोरदार और धारदार व्यंग्य| धन्यवाद|

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  35. बढ़िया व्यंग्य ....!
    शुभकामनाये स्वीकारें ....

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  36. धारदार व्यंग्य . बधाई और आभार

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  37. सुंदर और सटीक व्यंग किया आपने.....अति सुंदर सर !!

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  38. वाह वाह क्या खूब लिखा आपने पर हम इसे पढ़कर फ़िर सोने जा रहे हैं भाई क्या करे हिंदुस्तानी जो ठहरे

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  39. मजेदार व्यंग्य रचना

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  40. रेडियो रोने के लिए मजबूर है |

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  41. उसकी बातें क्यूँ करते हो ?
    वो तो भारत का नेता है !
    एम.पी. है , एम.एल.ए. है
    मिनिस्टर है , कुछ भी है ..
    सेन्ट्रल लाटरी का बम्पर विजेता है |
    saty baya kartee vyangatmak lekhan asardaar hai.

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  42. वो नेता है वोट लेता है और दर्द देता है ।
    बहुत ही अच्छा व्यंग्य है ।

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  43. झंझट ! तुम मरो या जियो
    कोई परवाह नहीं
    मगर जब वो मरता है...तो रेडियो रोता है |

    बहुत सुंदर कटाक्ष आज के माहौल पर और आजकी व्यवस्था पर.
    सुंदर कविता के लिए असीम बधाइयाँ.

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  44. ऐसे मारो तीर कि बिंधने वाला रह जाये मौन,
    पूछ न पाए प्रश्न कि तीर चलाने वाला कौन.
    प्रथम आगमन में ही कायल हो गए

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  45. आप सभी विद्वान् /विदुषी रचनाकारों /लेखकों /लेखिकाओं ने मेरे ब्लाग पर आकर मेरी रचना को पढ़ा और अपनी अनमोल टिप्पड़ियों से मेरा उत्साह वर्धन किया , इसके लिए मैं ह्रदय से आप सबका आभारी हूँ | विश्वाश है कि ऐसे ही स्नेह बनाए रखेंगे |

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  46. झंझट ! तुम मरो या जियो
    कोई परवाह नहीं
    मगर जब वो मरता है...तो रेडियो रोता है |

    झंझट भाई रोने वालो में रेडियो ही नहीं,टीवी अखबार और नेता भी रोतें हैं.फिर उनके रोने पर हमको भी तो रोना पड़ता है ना.

    आपके कटाक्ष का भी जबाब नहीं.

    इस बार मेरे ब्लॉग पर आने में देरी क्यूँ ?

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  47. usne bhi election me lakhon udaya hai.kya bura hai aj o tumhi se leta hai.Bharat ka neta hai.

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  48. bahut acchi rachna hai.is samay is tarah ki rachna post kiye bahut achha kiye .jai hind.

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  49. मामला गंभीर है ..

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