Monday, September 27, 2010

"---मैं हिन्दोस्तान हूँ "

         आरतों का अब   करुण क्रंदन न   होना चाहिए |
         विषधरों  के अंक में    चन्दन  न  होना चाहिए |
         गर प्रतिष्ठा है बचानी  हमको  अपने देश की, तो-
          दोस्त ! गद्दारों का अभिनन्दन न होना चाहिए | 

          हर तरफ छाया हुआ है धुआं काला-काला |
          देश  अब कौन  तेरी   फिक्र है   करने वाला |
          तेरे   टुकड़े  हज़ार  करने वाले हैं  तो बहुत ,
          कोई दिखता नहीं तेरी शान पे मरने वाला |

          दिल में सहेजे   दर्द का   सारा  जहान हूँ |
          चीखों से-कराहों से     भरा   आसमान हूँ |
          अपनों ने किया जर्जर फिर  भी महान हूँ |
          कवि नहीं हूँ दोस्त !   मैं हिन्दोस्तान हूँ |

5 comments:

  1. kavi nahi hu dost main hindustan hu
    bahut hi sahi kaha hai aapne.

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  2. दिल में सहेजे दर्द का सारा जहान हूँ |
    चीखों से-कराहों से भरा आसमान हूँ |
    अपनों ने किया जर्जर फिर भी महान हूँ |
    कवि नहीं हूँ दोस्त ! मैं हिन्दोस्तान हूँ |
    ....वाह, उत्तम रचना..बधाई. कभी 'शब्द-शिखर' पर भी पधारें.

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  3. सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत आभार.

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