Monday, February 7, 2011

कुछ बासंती छंद ...

चिड़ियन  सी चहक चमक चंचलता चपला सी ,
चंदा  की  चाँदनी   सी  चित  की  सितलाई है |
चन्दन  सी  चारु  महक  चटकीली  चंपा  सी ,
चकित    चकात   जात    चटक   गोराई   है |
कचक  कचोट चोट  चितवनि  सुलोचनि की ,
रुचिर    सुचक्री      चितचोरनी     बनाई  है |
चकई  चकोर  प्रीति   चलत  सुचाल  ब्याल ,
चित चोरिबे  को चली   चित  में   समाई  है |

लखिकै चहुँ ओर  सुनैनन सों  जस मोरनी कंठ  घुमाय गयी |
चमकी-दमकी बिजुरी बनिकै  बिजुरी जियरा पै गिराय गयी |
रूप की रानी सयानी जवानी सों पानी मा आगि लगाय गयी |
उर पीर उठै  न घटे  न बढे  अस  नैन सों  तीर  चलाय गयी  |

सखि लागेहु बौर रसाल की डाल सुगंध समीर हू डोलन लागे |
फूलि रहीं सरसों  अलिहूँ सखि !  कोष पराग के खोलन लागे |
प्रीति भरी रससानी सी बानी में कोकिल को मन बोलन लागे |
स्वाती के बूँद लखौं अजहूँ पिय आये नहीं कछु नीक न लागे |

ऋतुएँ नहि सोहैं बसंत बिना  निशि चंद बिना  कवि छंद बिना |
नहि सोहै सुमन मकरंद बिना जिमि कामिनि प्रेम प्रबंध बिना |
भगवान न सोहत भक्त बिना   वन सोहै   न  मत्त गयंद  बिना |
छलकै रस कुम्भ  सुरेन्द्र चहै  पर  नारि  न सोहत कंत बिना |

26 comments:

  1. bahut sundar rachna
    surendraji,

    basant panchmi ki hardik badhai

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  2. सुरेन्द्र सिंह " झंझट " जी
    बहुत प्रभावी ...आपका अंदाज बहुत बढ़िया है .....यूँ ही लिखते रहें

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  3. चित्त चोरिबे को चली चित्त में समायी है ....
    छंद लिखना ही अपने आप में समग्रता का परिचायक होता है....भव लिखना सरल है सुरेन्द्र जी पर काव्य लिखना कठिन.... और आप छंद को भी उसे सहजता से लिखते हैं जैसे मुक्तक .... मुझे आप पर फक्र है सुरेन्द्र जी.

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  4. कोमल भावों से सजी ..
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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  5. वसन्त की आप को हार्दिक शुभकामनायें !

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  6. उत्कृष्ट रचना, दिलकश अंदाज.
    बसन्त की हार्दिक शुभकामनाओं सहित...

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  7. कोमल भाव, वसन्त की हार्दिक शुभकामनायें !

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  8. सखि लागेहु बौर रसाल की डाल सुगंध समीर हू डोलन लागे |
    फूलि रहीं सरसों अलिहूँ सखि ! कोष पराग के खोलन लागे |
    प्रीति भरी रससानी सी बानी में कोकिल को मन बोलन लागे |
    स्वाती के बूँद लखौं अजहूँ पिय आये नहीं कछु नीक न लागे |

    बहुत ही बढ़िया छंद.भाषा पर आपकी पकड़ अद्भुत.
    शुभ कामनाएं.

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  9. बहुत अच्छे छंद हैं । उत्कृष्ट , अद्भुत

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  10. आपकी रचनायें मन मोह लेती हैं !

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  11. कोमल भावों से परिपूर्ण सुन्दर बासन्ती गीत के लिये सुरेन्द्र जी को शत शत बधाई।

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  12. बहुत ही सुन्दर श्रीमान जी ! आभार.

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  13. बहुत सुंदर
    वसन्त की हार्दिक शुभकामनायें !

    http://unluckyblackstar.blogspot.com/

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  14. झंझट के झटकों में वसंत के मौसम के लटके-झटके बहुत खूबसूरत बन पड़े हैं. हिन्दी साहित्य का रीति-कालीन माहौल इन छंदों में छा गया है. बधाई और वसंत-पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं .

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  15. कोमल भावों से परिपूर्ण सुन्दर बासन्ती गीत,
    सुन्दर आलेख के लिए आभार और वसंत-पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं .

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  16. अहहहहः...परमानन्द की प्राप्ति हो गयी...
    नीरज

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  17. वाह ......
    बसंत को छंद में सजा दिया आपने तो .....
    बहुत खूब .....

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  18. खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
    सादर,
    डोरोथी.

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  19. aapko vasant panchami ki dher saari shubhkaamna.

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  20. सुरेन्द्र सिंह जी ,
    नमस्कार !

    बसंत के रंग और रस से भीगे कवित्त और सवैयों के लिए जितना आभार व्यक्त करूं , जितनी बधाई दूं , कम है ।

    ऐसा प्रतीत होता है कि रीतिकालीन किसी छंद के उद्भट विशेषज्ञ कवि को पढ़ रहे हैं … वाह वाह !

    बहुत सुंदर !

    बसंत पंचमी की शुभ कामनाओं सहित
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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  21. आप सभी विद्वान/विदुषी रचनाकारों का मैं हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ | आप ने मेरे ब्लॉग पर आकर रचनाओं को पढ़ा और अपनी अनमोल टिप्पड़ियों से मेरा उत्साहवर्धन किया ,मैं वास्तव में अभिभूत हूँ | पुनः आप सब को कोटिशः धन्यवाद |

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