( आज एक बाल कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ जो सन २००० में प्रकाशित मेरे बाल कविता संग्रह 'बिल्ली का संन्यास' शीर्षक पुस्तक में संग्रहीत है )
मुखड़े को सुन्दरता देती -
है, चेहरे पर सुन्दर नाक |
सारे अंग जरूरी हैं , पर-
सारे अंग जरूरी हैं , पर-
नहीं किसी से कमतर नाक |
दो काली आँखों के नीचे ,
बीचे बांध सरीखी नाक |
मुख से पहले ऊपर बैठी ,
छोटी हो या बड़ी सी नाक |
देखो कितनी अच्छी लगती-
है , तोते की ठोर सी नाक |
अलग से जैसे छोपी लगती ,
होती जो कंडौर सी नाक |
कोई भिन्डी जैसी लम्बी ,
कोई दबी सी चिपटी नाक |
कोई फैले नथुनों वाली ,
ज्यों लुहार की भट्ठी नाक |
तरह-तरह आकारों वाली ,
मोटी हो या पतली नाक |
मुखड़े का भूगोल बनाती ,
होती बहुत जरूरी नाक |
अच्छे काम सदा करते जो ,
ऊँची रहती उनकी नाक |
बुरे काम करनेवालों की ,
बिना कटाए कटती नाक |
अच्छे काम सदा करते जो ,
ReplyDeleteऊँची रहती उनकी नाक |
बुरे काम करनेवालों की ,
बिना कटाए कटती नाक |
bahut achhi naak
बहुत अच्छी रचना !
ReplyDeleteअच्छे काम सदा करते जो , ऊंची रहती उनकी नाक,
ReplyDeleteबुरे काम करने वालों की ,बिन कटाये कटती नाक।
बेहतरीन बाल कविता , बधाई सुरेन्दर जी।
इस बेहतरीन बाल रचना के लिए बधाई ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी है आपकी रचना.
ReplyDeleteबड़ों को भी सीख दे रही है.
सलाम.
सुरेन्द्र जी,
ReplyDeleteनाक की तो बस धाक ही जमा दी आपने. और फिर नाक ऊँचा और नाक कट जाने का जो फंडा आपने बताया वह भी लाजबाब रहा.बहुत बहुत बधाई सुंदर रचना की प्रस्तुति के लिए .
bachcho ke sath sath bado ko bhi seekh deti pyari kavita
ReplyDeleteshubhkamnaye
अच्छे काम सदा करते जो , ऊंची रहती उनकी नाक,
ReplyDeleteबुरे काम करने वालों की ,बिन कटाये कटती नाक
नाक वाकई बड़े काम की चीज है। बाल मन को सीख
देने वाली उत्कृष्ट रचना के लिए बधाई। इस शमा को
जलाए रखिए।
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कुत्ते की नाक अपराधियों का पता लगा लेती है।
"नाक से जब निकलता है खर्राटा।
मानो फटफटिया भरती है फर्राटा।"
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
झंझट जी,
ReplyDeleteखूबसूरत बाल-गीत. और सन्देश देने में सक्षम.
आशीष
--
लम्हा!!!
sundar baal kavita
ReplyDeleteइस बेहतरीन बाल रचना के लिए बधाई ।
ReplyDeleteदिलचस्प बाल-कविता. बच्चों के साथ-साथ बड़ों के लिए भी प्रेरणादायक.
ReplyDeleteआभार .
बहुत सुन्दर व संदेशात्मक प्रस्तुति...
ReplyDeleteसर जी मेरी नाक भी बिल्कुल सही जगह है जैसा आपने कहा है। मजाक कर रहा हुॅ। बहुत ही खुबसुरत बाल कविता। आभार।
ReplyDeleteसीख देती हुई एक अच्छी रचना....
ReplyDeleteशुभकामनाएँ..
बेहतरीन रचना! आभार.
ReplyDeleteआप की नाक वाली बाल - कविता बहुत सुन्दर लगे.! बहुत - बहुत बधाई.
ReplyDeleteअच्छे काम सदा करते जो ,
ReplyDeleteऊँची रहती उनकी नाक |
बुरे काम करनेवालों की ,
बिना कटाए कटती नाक |
बेहतरीन बाल रचना के लिए बधाई......
झंझट जी! माफ कीजियेगा रहा नहीं गया सो धन्यवाद देने चला आया.
ReplyDeleteआप लोगों के मार्गदर्शन से मात्रा सही आ रही हैं ना, लयबद्धता भी आ ही जायेगी एक दिन! आपकी ये आदत ईश्वर बनाए रखे, की मात्र कमी नहीं आप समाधान भी बताते हैं, आपका तहेदिल से आभार.
खूबसूरत बाल-गीत..सीख देती हुई..बहुत सुन्दर कविता..बधाई
ReplyDeleteप्रिय सुरेन्द्र सिंह जी
ReplyDeleteसस्नेहाभिवादन !
अच्छे काम सदा करते जो ,
ऊंची रहती उनकी नाक
सही कहा आपने … :)
अच्छी बाल कविता है … बधाई !
आप विविध काव्य विधाओं में क़लम आज़माइश करते रहते हैं … बहुत बड़ा ईश्वर प्रदत्त गुण है … मंगलकामनाएं !
महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
.
ReplyDeleteचश्मे को ये थामे रखती , अत्यावश्यक है ये नाक ,
सर्दी में ये सुड-सुड करती , लाल-लाल दिखती है नाक ,
रातों में सोने न देती , खुर्राटे भारती ये नाक
.
रोचक और शिक्षाप्रद बहुत ही सुन्दर बाल रचना....
ReplyDeletekya naak hai ,bahut khoob.
ReplyDeleteअच्छे काम सदा करते जो ,
ReplyDeleteऊँची रहती उनकी नाक |
बुरे काम करनेवालों की ,
बिना कटाए कटती नाक |
वाह बहुत खुबसूरत अंदाज़ में लिखी गई रचना |
है तो छोटी सी पर शरीर और समाज दोनों जगह
बनी रहनी बहुत जरुरी |
बहुत खूब दोस्त |
बहुत सुन्दर कविता..बधाई
ReplyDeleteअच्छे काम सदा करते जो ,
ReplyDeleteऊँची रहती उनकी नाक |
बुरे काम करनेवालों की ,
बिना कटाए कटती नाक |
सुन्दर कविता..बधाई
अंत में डराने में कामयाब रहे हो भैया ! शुभकामनाएं !
ReplyDeleteaapne bahut khub kaha ye naak to bili kya har insaan ki kahani hai
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