(कल बसंत पंचमी का सुन्दर एवं पावन पर्व था | संयोगवश मुझे कल प्रातःकाल ही यात्रा पर जाना पड़ा | आज अभी शाम को वापस लौटा हूँ | कल कला ,साहित्य और संगीत की देवी माँ सरस्वती का जन्मदिन था | साथ ही साथ कामदेव की भी जयंती थी | हिंदी साहित्याकाश के दैदीप्यमान सूर्य पं० सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' जी का भी जन्म दिवस था | यात्रा में होने के कारण ब्लॉग पर कल कुछ पोस्ट न कर सका )
आज माँ वीणापाणि की वंदना के दो छंद पोस्ट करके माँ की पूजा-अर्चना अवश्य करना चाहूँगा |
.....आ जा मातु भारती
घोर तम विदारती प्रसारती प्रकाशपुंज ,
सुकृति सुयश छंद-बंध को सुधारती |
लोभ मोह ईर्ष्या-पिशाचिनी विनाशती माँ ,
कवित-विवेक रस रचना सँवारती |
वीणा वर धारि कर कमल सुआसनी माँ ,
धवल सुवस्त्र वेद मंत्रन उचारती |
मारती मदान्धता संहारती सकल दुष्टि,
आ जा मातु भारती तू आ जा मातु भारती |
आदिशक्ति जगजानकी तू है त्रिकाल रूप ,
आज तू समाज में विराज मातु दाहिनी |
शक्ति के समेत विष्णु ब्रह्म हे पुरारि नाथ ,
काली हे कराल रूप पाप-ताप दाहिनी |
साजि दे समाज अम्ब कवियों की भावना भी ,
करि दे अभय पाहिमाम विश्वपाहिनी |
मातु हंसवाहिनी तू आ जा रे बजाती वीन ,
सिंह पे सवार मातु आ जा सिंहवाहिनी |
आज माँ वीणापाणि की वंदना के दो छंद पोस्ट करके माँ की पूजा-अर्चना अवश्य करना चाहूँगा |
.....आ जा मातु भारती
घोर तम विदारती प्रसारती प्रकाशपुंज ,
सुकृति सुयश छंद-बंध को सुधारती |
लोभ मोह ईर्ष्या-पिशाचिनी विनाशती माँ ,
कवित-विवेक रस रचना सँवारती |
वीणा वर धारि कर कमल सुआसनी माँ ,
धवल सुवस्त्र वेद मंत्रन उचारती |
मारती मदान्धता संहारती सकल दुष्टि,
आ जा मातु भारती तू आ जा मातु भारती |
आदिशक्ति जगजानकी तू है त्रिकाल रूप ,
आज तू समाज में विराज मातु दाहिनी |
शक्ति के समेत विष्णु ब्रह्म हे पुरारि नाथ ,
काली हे कराल रूप पाप-ताप दाहिनी |
साजि दे समाज अम्ब कवियों की भावना भी ,
करि दे अभय पाहिमाम विश्वपाहिनी |
मातु हंसवाहिनी तू आ जा रे बजाती वीन ,
सिंह पे सवार मातु आ जा सिंहवाहिनी |
बहुत सुंदर वंदना माँ सरस्वती को नमन , बधाई
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeletemaa saraswati ji ko naman
hum sab par maa ki kirpa bani rahe
बहुत सुंदर वंदना माँ सरस्वती को नमन , बधाई
ReplyDeleteवाह ! बहुत सुन्दर. माँ सरस्वती को नमन
ReplyDeleteआभार.
आ जा मातु भारती तू आ जा मातु भारती |
ReplyDeleteविद्या,बुद्धि,विवेक आज की महती आवश्यकता है !
सरस्वती के चरणों में प्रार्थना के लिए धन्यवाद !
माँ सरस्वती के प्रति व्यक्त की गयी भावनाएं श्रद्धा और भक्ति की तरफ प्रेरित करती हैं ..आपका शुक्रिया सुरेन्द्र जी
ReplyDeleteबहुत ही रस पूर्ण वंदना.
ReplyDeleteआप का शब्द कोष बहुत ही समृद्ध है.
सलाम
वाह ! बहुत सुन्दर. माँ सरस्वती को नमन...
ReplyDeleteशुभकामनाओं सहित...
सबसे पहले तो माँ सरस्वती को नमन
ReplyDeleteआपने माँ के चरणो मे सुन्दर भाव के पुष्प अर्पित किये है
बधाई एवं शुभकामनाये
सरस्वती वन्दना की सुंदर प्रस्तुति के लिए आभार. बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeletebahut hi sunder surendra jee...........saraswati vandana ke liye aapko dher saari shubhkaamna...
ReplyDeleteसुरेन्द्र जी धन्यवाद, ये याद दिलाने के लिए कि बसंत पंचमी पर माँ शारदे की आराधना भी होती है......कब वसंत आया कब माँ शारदे का जन्म दिवस था कुछ पता हुई नही चलता भाई अब तो.....ट्रकों पर लदी हुई विसर्जन के जाती मूर्तियों को देखकर ...लगा की अभी कुछ लोगों को याद है.....लज्जा भी हुई की मैं इन सबका हिस्सा क्यूँ नही हूँ...खैर...आपको साधुवाद और सम्मान आपको और आपकी कर्त्तव्य परायणता को !!
ReplyDeleteओह...अद्वितीय !!!
ReplyDeleteमन विभोर कर दिया इस अर्चना ने...
माता सबको पावन बुद्धि दें..
बहुत बहुत aabhaar आपका इस पवित्र वंदना की रचना के लिए...
माँ शारदे की सुन्दर स्तुति.
ReplyDeleteमाँ शारदे को नमन.
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकानाएं।
ReplyDelete---------
ब्लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।
आपको बसंत पंचमी व बसंत ऋतु की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteअच्छी रचना है। आज हर स्तर पर माता सरस्वती की कृपा की आवश्यकता पहले से कहीं ज्यादा है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर. माँ सरस्वती को नमन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर वंदना माँ सरस्वती को प्रणाम !
ReplyDeleteबहुत सुंदरता से माँ की वंदना की है |
ReplyDeleteबधाई
आशा
बेहतरीन शब्दसामर्थ्य के साथ इस शारदा वंदना को पढ़कर आनंद आ गया !
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
साजि दे समाज अम्ब कवियों की भावना भी,
ReplyDeleteकरि दे अभय पाहिमाम विश्वपाहिनी ।
मां वीणापाणि से सभी के लिए कल्याण की कामना करती उत्कृष्ट रचना।
मां सरस्वती को नमन।
bahut sunder shaarda wandanaa.....
ReplyDeletemaa shaarda ko naman.........
basamt ritu ki haardik shubhkaamnaye....
एक निवेदन-
ReplyDeleteमैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
प्रार्थना के एक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteआप सभी का मेरे ब्लॉग पर आने और अपनी अनमोल टिप्पड़ियाँ देने का बहुत-बहुत हार्दिक आभार | कृपा बनाये रखें , सविनय
ReplyDeleteअनुरोध है |