Thursday, February 10, 2011

बसंत पंचमी की शुभ तिथि पर .....आ जा मातु भारती

(कल बसंत पंचमी का सुन्दर एवं पावन पर्व था | संयोगवश मुझे कल प्रातःकाल ही यात्रा पर जाना पड़ा | आज अभी शाम को वापस लौटा हूँ |  कल कला ,साहित्य और संगीत की देवी माँ सरस्वती का जन्मदिन था | साथ ही साथ कामदेव की भी जयंती थी | हिंदी साहित्याकाश के दैदीप्यमान सूर्य पं० सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' जी का भी जन्म दिवस था | यात्रा में होने के कारण ब्लॉग पर कल कुछ पोस्ट न कर सका )
        आज माँ वीणापाणि की वंदना के दो छंद पोस्ट करके माँ की पूजा-अर्चना अवश्य करना चाहूँगा |
          
                                    .....आ जा मातु भारती 
     
     घोर  तम  विदारती  प्रसारती   प्रकाशपुंज ,
     सुकृति   सुयश    छंद-बंध  को   सुधारती |
     लोभ मोह ईर्ष्या-पिशाचिनी विनाशती  माँ ,
     कवित-विवेक    रस    रचना      सँवारती |
     वीणा वर धारि कर   कमल सुआसनी  माँ ,
     धवल   सुवस्त्र        वेद मंत्रन     उचारती |
     मारती मदान्धता     संहारती  सकल दुष्टि,
     आ जा मातु भारती तू आ जा मातु भारती |

     आदिशक्ति   जगजानकी  तू है   त्रिकाल  रूप ,
     आज  तू  समाज  में  विराज  मातु   दाहिनी |
     शक्ति के समेत   विष्णु  ब्रह्म  हे पुरारि   नाथ ,
     काली  हे   कराल रूप    पाप-ताप    दाहिनी |
     साजि दे समाज अम्ब कवियों की भावना भी ,
     करि   दे   अभय     पाहिमाम   विश्वपाहिनी |
     मातु  हंसवाहिनी  तू आ जा रे  बजाती  वीन ,
     सिंह  पे सवार  मातु   आ जा    सिंहवाहिनी |
  



26 comments:

  1. बहुत सुंदर वंदना माँ सरस्वती को नमन , बधाई

    ReplyDelete
  2. bahut sunder
    maa saraswati ji ko naman
    hum sab par maa ki kirpa bani rahe

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर वंदना माँ सरस्वती को नमन , बधाई

    ReplyDelete
  4. वाह ! बहुत सुन्दर. माँ सरस्वती को नमन

    आभार.

    ReplyDelete
  5. आ जा मातु भारती तू आ जा मातु भारती |
    विद्या,बुद्धि,विवेक आज की महती आवश्यकता है !
    सरस्वती के चरणों में प्रार्थना के लिए धन्यवाद !

    ReplyDelete
  6. माँ सरस्वती के प्रति व्यक्त की गयी भावनाएं श्रद्धा और भक्ति की तरफ प्रेरित करती हैं ..आपका शुक्रिया सुरेन्द्र जी

    ReplyDelete
  7. बहुत ही रस पूर्ण वंदना.
    आप का शब्द कोष बहुत ही समृद्ध है.
    सलाम

    ReplyDelete
  8. वाह ! बहुत सुन्दर. माँ सरस्वती को नमन...
    शुभकामनाओं सहित...

    ReplyDelete
  9. सबसे पहले तो माँ सरस्वती को नमन
    आपने माँ के चरणो मे सुन्दर भाव के पुष्प अर्पित किये है
    बधाई एवं शुभकामनाये

    ReplyDelete
  10. सरस्वती वन्दना की सुंदर प्रस्तुति के लिए आभार. बहुत-बहुत शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  11. bahut hi sunder surendra jee...........saraswati vandana ke liye aapko dher saari shubhkaamna...

    ReplyDelete
  12. सुरेन्द्र जी धन्यवाद, ये याद दिलाने के लिए कि बसंत पंचमी पर माँ शारदे की आराधना भी होती है......कब वसंत आया कब माँ शारदे का जन्म दिवस था कुछ पता हुई नही चलता भाई अब तो.....ट्रकों पर लदी हुई विसर्जन के जाती मूर्तियों को देखकर ...लगा की अभी कुछ लोगों को याद है.....लज्जा भी हुई की मैं इन सबका हिस्सा क्यूँ नही हूँ...खैर...आपको साधुवाद और सम्मान आपको और आपकी कर्त्तव्य परायणता को !!

    ReplyDelete
  13. ओह...अद्वितीय !!!

    मन विभोर कर दिया इस अर्चना ने...

    माता सबको पावन बुद्धि दें..

    बहुत बहुत aabhaar आपका इस पवित्र वंदना की रचना के लिए...

    ReplyDelete
  14. माँ शारदे की सुन्दर स्तुति.
    माँ शारदे को नमन.

    ReplyDelete
  15. वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकानाएं।

    ---------
    ब्‍लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।

    ReplyDelete
  16. आपको बसंत पंचमी व बसंत ऋतु की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  17. अच्छी रचना है। आज हर स्तर पर माता सरस्वती की कृपा की आवश्यकता पहले से कहीं ज्यादा है।

    ReplyDelete
  18. बहुत सुन्दर. माँ सरस्वती को नमन

    ReplyDelete
  19. बहुत सुन्दर वंदना माँ सरस्वती को प्रणाम !

    ReplyDelete
  20. बहुत सुंदरता से माँ की वंदना की है |
    बधाई
    आशा

    ReplyDelete
  21. बेहतरीन शब्दसामर्थ्य के साथ इस शारदा वंदना को पढ़कर आनंद आ गया !
    शुभकामनायें आपको !

    ReplyDelete
  22. साजि दे समाज अम्ब कवियों की भावना भी,
    करि दे अभय पाहिमाम विश्वपाहिनी ।

    मां वीणापाणि से सभी के लिए कल्याण की कामना करती उत्कृष्ट रचना।
    मां सरस्वती को नमन।

    ReplyDelete
  23. bahut sunder shaarda wandanaa.....

    maa shaarda ko naman.........

    basamt ritu ki haardik shubhkaamnaye....

    ReplyDelete
  24. एक निवेदन-
    मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।

    ReplyDelete
  25. प्रार्थना के एक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...

    ReplyDelete
  26. आप सभी का मेरे ब्लॉग पर आने और अपनी अनमोल टिप्पड़ियाँ देने का बहुत-बहुत हार्दिक आभार | कृपा बनाये रखें , सविनय

    अनुरोध है |

    ReplyDelete