आप यूँ न रोइए आंसू बहाइये
आजाद देश के हैं जरा मुस्कुराइए
भुखमरी है देश में फैली तो क्या हुआ
सोने से भरी उनकी तिजोरी तो क्या हुआ
झोपड़ी है रोती बिलखती तो क्या हुआ
बंगलों में कैद देश की हस्ती तो क्या हुआ
गोरे गए तो कालों की खिदमत बजाइए
आजाद देश के हैं जरा मुस्कुराइए
देखो चोर -माफिया आजाद हैं यहाँ
भेड़ियों के झुण्ड ही आबाद हैं यहाँ
आज़ाद हुए राजकाज देखने वाले
आजाद हैं वतन की लाज बेचने वाले
गद्दारों को अदब से जरा सर झुकाइए
आजाद देश के हैं जरा मुस्कुराइए
Bade bhaiya,
ReplyDeleteNamaskaar, kafee dino ke baad aapko padh saka.
Muskaraane ko kahte huye aap dard me doobe huye najar aate hai, yahi ada dil ko chhoo jaati hai.
Very good lines, Keep it up.
maine bhi chand lines likhane ki koshish ki hai agar pasand aaye to comments ki ummeed rakhata hoon.
Please visit: http://satishshukladelhi.blogspot.com/
राजनीति
छोटा बोला विज्ञान छोड़ मै राजनीत में जाउंगा.
कुछ ही दिन में मै ए राजा और कलमाड़ी बन जाऊँगा.
देश धर्म, संस्कृति विरासत, इनको दूर भागाउंगा.
जयललिता या कनिमोझी, जैसी को घर में लाऊंगा.
साइंस और टेक्नोलोजी, की सब बाते बेमानी है.
डाक्टर, वैज्ञानिक, साहित्यकार इनकी तो दिखती नानी है
दिन रात एक्विसन साल्व करे, क्या लाभ और क्या हानि है
सुश्री बहन जी के आगे आखिर सब भरते पानी है.
भैया मेरा अब एडमीशन राजनीत शाश्त्र में करवाओ
अपना मेरा और भाभी का लाकर नोटों से भरवाओ
गर मिली मुझे अच्छी बीवी खुद लाकर भर कर लायेगी.
भाग्य अगर फूटे होंगे, वापस मैके को जायेगी.
तो हुआ फैसला अब आगे साइंस नहीं पढ़ना मुझको
आइन्स्टीन राबर्ट हूक, सुश्रुत नहीं बनना मुझको.
भौतिकी रसायन जीव वनस्पति मैथ नहीं पढ़ना मुझको
राजनीति शाश्त्र अब पढ़ करके है बस नेता बनना मुझको
Thanks,
Satish Shukla