झंझट के झटके
Friday, August 27, 2010
मन हुआ मस्त तो कबीरा है
पीर ऊंची उठी तो मीरा है |
मन हुआ मस्त तो कबीरा है |
आदमी आदमी को परखे तो
आदमी सबसे बड़ा हीरा है |
प्रेम में डूबना जरूरी है |
चार दिन भी जियो तो पूरी है |
मशीन बनके जियो कितना भी
समझ लो जिन्दगी अधूरी है |
1 comment:
ओशो रजनीश
August 27, 2010 at 3:09 PM
अच्छी पंक्तिया है .....
http://oshotheone.blogspot.com/
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अच्छी पंक्तिया है .....
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