Tuesday, August 17, 2010

ग़ज़ल

गम खाना और आंसू पीना |
यही ज़िन्दगी यही है जीना |
पीर   पुरानी   घाव    पुराने
नित्य नयी साँसों से सीना  |
पीते   पीते    उम्र    गुजारी
आ न सका पीने का करीना |
बिखरी लट आँखों में दहशत
कहते हैं सब उसे हसीना |
लोग देश की बातें  करते
अमर शहीदों  का हक छीना|
श्वेतबसन चेहरे  ने  देखा
दर्पण को आ गया  पसीना  |
नागफनी हो गए आचरण
पल पल मरना पल पल जीना |

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