तिल तिल जलाता हुआ दिया हूँ |
जाने कितना तिमिर पिया हूँ |
नियति हमारी अँधियारा ,पर -
कितने घर उजियार किया हूँ |
वेदना का घर हूँ मै |
वज्र से बढ़कर हूँ मै |
तुम भी इक ठोकर लगा दो ,
राह का पत्थर हूँ मै |
निर्वासित सा जीवन मेरा
एक अजनबी ,एक अपरिचित |
सन्नाटा ही साथी जिसका
परम मित्र एकांत अपरिमित |
तम का हूँ अभ्यस्त
उजाले से वंचित रहने दो |
गुमनाम मुझे रहने दो |
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