Tuesday, December 14, 2010

बाँसुरी और तबला

मन की बाँसुरी से
नहीं निकलती
अब सुरीली तान..
तन के तबले की
थाप भी  
करती है भांय-भांय..
लगता है शायद
टूटने लगी है
बांसुरी की साँस
और
तबले पर मढ़ा चाम
ढीला पड रहा है..

तितली और भंवरा

खिले फूल पर
बैठी तितली
बड़ी देर से
नहीं उड़ी..
लगता है
किसी बदजात भँवरे ने
उसके
सुनहले परों को
कहीं से नोच दिया है..


गुलाब और कमल

देवता के शीश  पर
चढ़ा गुलाब 
बगल में पड़े हुए  
कमल से बोला ,
'मेरी जैसी सुन्दरता तुझमे कहाँ ?
काँटों में रहकर भी खिला हूँ ,
मैं हर पल
मुस्कुराने का सिलसिला हूँ |'
कमल बोला,'क्यों शेखी बघारता है ?
डींगें मारता है
लान के गमलों में खिलने वाले
तू विस्तार क्या जाने ?
मौसम की मार क्या जाने ?
तूने पहले कांटे उगाये हैं
फिर फूल आये हैं
मैंने कीचड़ में जन्म लिया
फिर भी उसमे नहीं सना
अथाह सरोवर की गहराई नापकर
सर्वोच्च सतह पर आकर
पूरे मन से खिला हूँ ,
मैं जिंदगी जीने की कला हूँ |'


17 comments:

  1. "किसी बदजात भँवरे ने
    उसके
    सुनहले परों को
    कहीं से नोच दिया है"

    सच कहूँ तो अत्यंत सुन्दर पंक्तियाँ, लेखनी को साधुवाद.

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  2. .

    मैंने कीचड़ में जन्म लिया
    फिर भी उसमे नहीं सना
    अथाह सरोवर की गहराई नापकर
    सर्वोच्च सतह पर आकर
    पूरे मन से खिला हूँ ,
    मैं जिंदगी जीने की कला हूँ |....

    ----------

    कमल से कोई सीखे - आर्ट ऑफ़ लिविंग !

    बेहतरीन प्रस्तुति -बधाई।

    .

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  3. और तबले पर मढा चाम 'ढीला पड़ रहा है।
    बांसुरी, तितली अओर गुलाब तीनों कविता सुन्दर और भाव पूर्ण ।
    बधाई।

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  4. तीनो ही प्रस्तुतियाँ गज़ब की हैं…………हर रचना खुद बयाँ हो रही है और ज़िन्दगी का सबब समझा रही है…………………शानदार प्रस्तुति…………इसी तरह लिखते रहें।

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  5. हर रचना इक से बढ़कर इक. हाँ, गुलाब और कमल सबसे बेहतरीन लगी.
    --
    पंख, आबिदा और खुदा के लिए

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  6. कमल और गुलाब की तकरार में बहुत कुच्छ कह गए आप! बहुत खूब !

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  7. लान के गमलों में खिलने वाले
    तू विस्तार क्या जाने ?
    मौसम की मार क्या जाने ?
    तूने पहले कांटे उगाये हैं
    फिर फूल आये हैं
    मैंने कीचड़ में जन्म लिया
    फिर भी उसमे नहीं सना
    अथाह सरोवर की गहराई नापकर
    सर्वोच्च सतह पर आकर
    पूरे मन से खिला हूँ ,
    मैं जिंदगी जीने की कला हूँ |'

    bahut hi acchi panktiya....
    over all lines are best but these lines i like most..

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  8. बांसुरी और तबला ....ज़िंदगी का फलसफा ...

    तितली और भंवर ...आज की त्रासदी ...

    गुलाब और कमल जीवन दर्शन ...तीनों रचनाएँ बेशकीमती ...बहुत अच्छी प्रस्तुति .

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  9. एक से बढकर एक
    शुभकामनाये

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  10. मैंने कीचड़ में जन्म लिया
    फिर भी उसमे नहीं सना
    अथाह सरोवर की गहराई नापकर
    सर्वोच्च सतह पर आकर
    पूरे मन से खिला हूँ
    मैं जिंदगी जीने की कला हूं।

    बहुत ही भावमयी कविता।
    उत्तम भावों की श्रेष्ठ अभिव्यक्ति।

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  11. गुलाब और कमल की तकरार पसंद आई

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  12. आपके भाव अच्छे लगे। धन्यवाद। मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  13. तीनो रचनायें महाकाव्य की महानता और अर्थ समेटे हुए है,

    दो लाइनें आप के लिए -

    वाणी के सौन्दर्य का शब्दरूप है काव्य
    किसी व्यक्ति के लिए है कवि होना सौभाग्य।

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  14. काँटों में रहकर भी खिला हूँ ,
    मैं हर पल
    मुस्कुराने का सिलसिला हूँ |'
    xxxxxxxxxxxxxxx
    बहुत सुंदर भाई ...बात दिल में समाई ..और आपको बधाई

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