दो कुण्डलियाँ
' राजा ' ने तो कर दिया दूर दूर संचार |
करूणानिधि का हाथ है फिर क्या सोच-विचार |
फिर क्या सोच-विचार शिष्य का धर्म निभाया |
लूट-पाट कर देश गुरू के चरण चढ़ाया |
मनमोहन,सोनिया जाएँ तो कहाँ को कहाँ को जाएँ ?
भ्रष्टाचार मिटायें कि अब सरकार चलायें ?
घोटालों का दौर है घपलों की भरमार |
हर कुर्सी पर जमे हैं रंगे हुए सियार |
रंगे हुए सियार इन्हें अब कौन उतारे ?
कौन है ऐसा गधा दुलत्ती खींच के मारे ?
कह झंझट झन्नाय सुनो हे भारतवासी |
देश बन गया बेईमानी का , काबा-काशी |
कह झंझट झन्नाय सुनो हे भारतवासी |
ReplyDeleteदेश बन गया बेईमानी का , काबा-काशी |
बिल्कुल सही कह रहे हैं……………करारा व्यंग्य्।
राम ने सीत छोड़ी धोभी के कहने से, आज का राम गधा न छोडे लाख दुलत्ती सहने से !
ReplyDeleteघोटालों का दौर है घपलों की भरमार |
ReplyDeleteहर कुर्सी पर जमे हैं रंगे हुए सियार |
..karara jhanatedaar vyang...kursi kee mahima nayari hai, janta to bechari hai....
... bahut khoob ... saraahaneey lekhan !!!
ReplyDelete... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
ReplyDeleteबिल्कुल सही
ReplyDeletesateek vyangya
' राजा ' ने तो कर दिया दूर दूर संचार |
ReplyDeleteकरूणानिधि का हाथ है फिर क्या सोच-विचार |
bahut khub......
happy new year in advance.
ReplyDeleteकह झंझट झन्नाय सुनो हे भारतवासी |
ReplyDeleteदेश बन गया बेईमानी का , काबा-काशी |
सच को बड़ी ही सुंदरता से शब्दों में ढाल दिया हैं आपने,
आत्मीय साधुवाद.
कह झंझट झन्नाय सुनो हे भारतवासी |
ReplyDeleteदेश बन गया बेईमानी का , काबा-काशी |
क्या खीच के तमाचा मारा है आपने। मुबारक हो।
दोनों कुंडलियां बेजोड़! ये विधा आपने बड़े संतुलन के साथ जिन्दा रखी है।
ReplyDeleteदोनों कुंडलियां बहुत ही अच्छी. सचमुच देश तो बेईमानों से ही भरा है......... अच्छी प्रस्तुति.
ReplyDeleteफर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी
रमिया काकी
लूट पाट कर देश गुरू चरण पे चढाया।
ReplyDeleteतीखा और सार्थक व्यंग। बधाई।
घोटालों का दौर है घपलों की भरमार
ReplyDeleteहर कुर्सी पर जमे हैं रंगे हुए सियार
अच्छा व्यंग है
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ReplyDeleteसुरेन्द्र जी ,
इन रंगे हुए सियारों को खूब पहचाना आपने। काश आप जैसी बुलंद आवाज़ रखने वाला कोई सत्ता में भी होता तो इन रंगे हुए सियारों को ज़ोरदार दुलत्ती मिलती और इनके होश ठिकाने आ जाते।
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बहुत बढ़िया ....
ReplyDeleteएक बात कहना चाहूंगी ...यह छंद कुंडलिया जैसा है ...पूरी तरह से कुण्डलियाँ नहीं कहा जा सकता ...ऐसा मुझे लगा ...
पर मैं छंद से ज्यादा भाव या वक्तव्य को महत्त्व देती हूँ ....बहुत सटीक और सार्थक लिखा है ...
AAP SABHI VIDWANO/VIDUSHIYON NE APNE ANMOL COMMENTS BLOG PAR AAKAR DIYE ,HRIDAY SE AABHARI HOON.
ReplyDeleteSANGEETAJI,
AAPNE BILKUL SAHI KAHA HAI.KUNDALI ME CHHAND KA PAHLA AUR ANTIM SHABD EK HI HOTA HAI.
CHALIYE ISE KUNDLINUMA MAN LETE HAIN.
सटीक अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
सटीक व्यंग!
ReplyDeleteबिल्कुल सही कह रहे हैं……………करारा व्यंग्य्।
ReplyDeleteकह झंझट झन्नाय सुनो हे भारतवासी |
ReplyDeleteदेश बन गया बेईमानी का , काबा-काशी |
सटीक अभिव्यक्ति और सटीक व्यंग
बहुत खूब ... पूरा कुनबा ही ऐसे लोगों से भरा है .. पर जनता क्या करे ... सब ऐसे ही हैं ...
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