स्वयं को आजमा के देखेंगे |
एक पर्वत हिला के देखेंगे |
सुना, जालिम है बड़ा ताकतवर,
चलो पंजा लड़ा के देखेंगे |
चाँद तारों की सजी महफ़िल में,
एक सूरज उगा के देखेंगे |
आग बस आग की जरूरत है,
चाँदनी में नहा के देखेंगे |
हारकर बैठना आदत में नहीं ,
जंग आगे बढ़ा के देखेंगे |
भग्न मंदिर के इस कंगूरे पर,
एक दीपक जला के देखेंगे |
रात मावस की बड़ी काली है ,
एक जुगनू उड़ा के देखेंगे |
कदम उठाओगे तो मंजिल मिल ही जाएगी चाहे थोड़ा वक्त लगे !
ReplyDeletesundar panktiyan
ReplyDeleteBeautiful as always.
ReplyDeleteIt is pleasure reading your poems.
वाह क्या हौसला है
ReplyDeleteलगो रहो भाई साहब हम भी आपकी साथ है
रात मावस की बड़ी काली है ,
ReplyDeleteएक जुगनू उड़ा के देखेंगे |
... bahut khoob !!!
ट्राई करके देखने में क्या हर्ज़ है। चलिए मैं भी आपके साथ हूँ। दीपक साथ साथ जलायेंगे।
ReplyDeleteहौसले से भरा झंझट अच्छा लगा... अक्सर रूबरू होते रहेंगे आपके झंझट के झटके से..
ReplyDeleteshandar prastuti...vadhayi!!!
ReplyDeletehausla hai to manjil aapke samne hogi , shubhkamnayen
ReplyDeleteचांद तारों की सजी महफ़िल में
ReplyDeleteएक सूरज उगा कर देखेंगे।
बहुत सुनदर।
स्वयं को आजमा के देखेंगे |
ReplyDeleteएक पर्वत हिला के देखेंगे
हौसला हो तो इंसान क्या नही कर सकता। बेहतरीन रचना। आभार।
सुना, जालिम है बड़ा ताकतवर,
ReplyDeleteचलो पंजा लड़ा के देखेंगे |
इतना मत गुस्सा हो भाई.
ज़रा हाथ बचाके.
bas yahi hausla banaye rakhiyega.
ReplyDeletewah. bahut sunder likhe hain.
ReplyDeleteस्वयं को आजमा के देखेंगे |
ReplyDeleteएक पर्वत हिला के देखेंगे |
सुना, जालिम है बड़ा ताकतवर,
चलो पंजा लड़ा के देखेंगे |
xxxxxxxxxxxxxxxx
आपके होसले को सलाम भाई ....पंजा लड़ाने की बात समझ में आई ...जीतने के लिए आपको बधाई ...शुभकामनायें
माना कि आसमान बहुत ऊँचा है...
ReplyDeleteहम भी पत्थर उछाल कर देखेंगें...
बहुत प्यारी रचना...
मज़ा आ गया...
हारकर बैठना आदत में नहीं ,
ReplyDeleteजंग आगे बढ़ा के देखेंगे |
रात मावस की बड़ी काली है ,
एक जुगनू उड़ा के देखेंगे |
.......सच में बड़ी से बड़ी जंग बिना हौसलों के कोई कहाँ जीत पाया है ...बहुत सुन्दर हौसला भरी इबारत ...
बहुत अच्छी सार्थक रचना ...
प्रिय बंधुवर सुरेन्द्र सिंह जी
ReplyDeleteसस्नेहाभिवादन !
स्वयं को आजमा के देखेंगे
एक पर्वत हिला के देखेंगे
क्या बात है ! बहुत प्रेरक और जीवटता वाली रचना है ।
बधाई !
~*~नव वर्ष 2011 के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सुरेन्द्र भाई, आपका अंदाजे बयां बहुत ही दिलकश है। हार्दिक बधाई।
ReplyDelete---------
मोबाइल चार्ज करने की लाजवाब ट्रिक्स।
चाँद तारों की सजी महफ़िल में,
ReplyDeleteएक सूरज उगा के देखेंगे |
हारकर बैठना आदत में नहीं ,
जंग आगे बढ़ा के देखेंगे |
बहुत सकारात्मक, प्रेरक पँक्तियाँ हैं बधाई।
her haal me hausle kee neev daalker dekhenge ...
ReplyDeleteहौसला हो तो इंसान क्या नही कर सकता। बेहतरीन रचना। आभार।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना।
ReplyDeleteरात मावस की बड़ी काली है,
ReplyDeleteएक जुगनू उड़ा के देखेंगे।
वाह, बहुत ही जानदार शे‘र है।
पूरी ग़ज़ल बेहद उम्दा है।
पढ़कर आनंद आया।
एक बेहतरीन रचना ।
ReplyDeleteकाबिले तारीफ़ शव्द संयोजन ।
बेहतरीन अनूठी कल्पना भावाव्यक्ति ।
'सुना, ज़ालिम है बड़ा ताकतवर,
ReplyDeleteचलो,पंजा लड़ा कर देखेंगे'
वाकई दिल को झकझोरने वाली रचना . बधाई.
क्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
ReplyDeleteआशीषमय उजास से
आलोकित हो जीवन की हर दिशा
क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो
जीवन का हर पथ.
आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं
सादर
डोरोथी
रात मावस की बड़ी काली है ,
ReplyDeleteएक जुगनू उड़ा के देखेंगे |
sahi kaha aapne
kaun kahta hai aasman me chhed nahi ho sakta
ek pathhar to tabiyat se uchhalo yaaro..:)