Tuesday, December 21, 2010

एक पर्वत हिला के देखेंगे

स्वयं  को   आजमा   के   देखेंगे |
एक   पर्वत   हिला    के    देखेंगे |
सुना, जालिम है बड़ा  ताकतवर,
चलो   पंजा    लड़ा   के   देखेंगे |
चाँद तारों की सजी महफ़िल में,
एक   सूरज  उगा    के    देखेंगे |
आग  बस आग की  जरूरत है,
चाँदनी    में    नहा  के   देखेंगे |
हारकर बैठना आदत  में नहीं ,
जंग   आगे   बढ़ा   के    देखेंगे |
भग्न मंदिर के इस कंगूरे पर,
एक   दीपक  जला  के  देखेंगे |
रात मावस की बड़ी काली है ,
एक  जुगनू   उड़ा    के   देखेंगे |


28 comments:

  1. कदम उठाओगे तो मंजिल मिल ही जाएगी चाहे थोड़ा वक्त लगे !

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  2. Beautiful as always.
    It is pleasure reading your poems.

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  3. वाह क्या हौसला है
    लगो रहो भाई साहब हम भी आपकी साथ है

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  4. रात मावस की बड़ी काली है ,
    एक जुगनू उड़ा के देखेंगे |
    ... bahut khoob !!!

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  5. ट्राई करके देखने में क्या हर्ज़ है। चलिए मैं भी आपके साथ हूँ। दीपक साथ साथ जलायेंगे।

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  6. हौसले से भरा झंझट अच्छा लगा... अक्सर रूबरू होते रहेंगे आपके झंझट के झटके से..

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  7. hausla hai to manjil aapke samne hogi , shubhkamnayen

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  8. चांद तारों की सजी महफ़िल में
    एक सूरज उगा कर देखेंगे।
    बहुत सुनदर।

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  9. स्वयं को आजमा के देखेंगे |
    एक पर्वत हिला के देखेंगे

    हौसला हो तो इंसान क्या नही कर सकता। बेहतरीन रचना। आभार।

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  10. सुना, जालिम है बड़ा ताकतवर,
    चलो पंजा लड़ा के देखेंगे |

    इतना मत गुस्सा हो भाई.
    ज़रा हाथ बचाके.

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  11. स्वयं को आजमा के देखेंगे |
    एक पर्वत हिला के देखेंगे |
    सुना, जालिम है बड़ा ताकतवर,
    चलो पंजा लड़ा के देखेंगे |
    xxxxxxxxxxxxxxxx
    आपके होसले को सलाम भाई ....पंजा लड़ाने की बात समझ में आई ...जीतने के लिए आपको बधाई ...शुभकामनायें

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  12. माना कि आसमान बहुत ऊँचा है...
    हम भी पत्थर उछाल कर देखेंगें...
    बहुत प्यारी रचना...
    मज़ा आ गया...

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  13. हारकर बैठना आदत में नहीं ,
    जंग आगे बढ़ा के देखेंगे |
    रात मावस की बड़ी काली है ,
    एक जुगनू उड़ा के देखेंगे |
    .......सच में बड़ी से बड़ी जंग बिना हौसलों के कोई कहाँ जीत पाया है ...बहुत सुन्दर हौसला भरी इबारत ...
    बहुत अच्छी सार्थक रचना ...

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  14. प्रिय बंधुवर सुरेन्द्र सिंह जी
    सस्नेहाभिवादन !

    स्वयं को आजमा के देखेंगे
    एक पर्वत हिला के देखेंगे

    क्या बात है ! बहुत प्रेरक और जीवटता वाली रचना है ।
    बधाई !
    ~*~नव वर्ष 2011 के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~
    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  15. सुरेन्‍द्र भाई, आपका अंदाजे बयां बहुत ही दिलकश है। हार्दिक बधाई।

    ---------
    मोबाइल चार्ज करने की लाजवाब ट्रिक्‍स।

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  16. चाँद तारों की सजी महफ़िल में,
    एक सूरज उगा के देखेंगे |

    हारकर बैठना आदत में नहीं ,
    जंग आगे बढ़ा के देखेंगे |
    बहुत सकारात्मक, प्रेरक पँक्तियाँ हैं बधाई।

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  17. हौसला हो तो इंसान क्या नही कर सकता। बेहतरीन रचना। आभार।

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  18. बेहतरीन रचना।

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  19. रात मावस की बड़ी काली है,
    एक जुगनू उड़ा के देखेंगे।

    वाह, बहुत ही जानदार शे‘र है।
    पूरी ग़ज़ल बेहद उम्दा है।
    पढ़कर आनंद आया।

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  20. एक बेहतरीन रचना ।
    काबिले तारीफ़ शव्द संयोजन ।
    बेहतरीन अनूठी कल्पना भावाव्यक्ति ।

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  21. 'सुना, ज़ालिम है बड़ा ताकतवर,
    चलो,पंजा लड़ा कर देखेंगे'
    वाकई दिल को झकझोरने वाली रचना . बधाई.

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  22. क्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
    आशीषमय उजास से
    आलोकित हो जीवन की हर दिशा
    क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो
    जीवन का हर पथ.

    आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं

    सादर
    डोरोथी

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  23. रात मावस की बड़ी काली है ,
    एक जुगनू उड़ा के देखेंगे |

    sahi kaha aapne
    kaun kahta hai aasman me chhed nahi ho sakta
    ek pathhar to tabiyat se uchhalo yaaro..:)

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