मीत न बात पुरानी लिख |
गुम हो गयी जवानी लिख |
सूनी मांग देख ले पहले ,
फिर ग़ज़लें रूमानी लिख |
बड़े , बड़प्पन से खाली हैं ,
तू भी अब मनमानी लिख |
पत्ते पर है जान पिता की ,
बिटिया भई सयानी लिख |
'मोनालिसा' स्वप्न है प्यारे ,
झाँसी की मर्दानी लिख |
लंतरानियों के दिन गुजरे
सच्ची कोई कहानी लिख |
शब्दों की नक्काशी क्या है ?
दिल की बात जुबानी लिख |
पहले कुछ करके दिखला फिर
दुनिया आनी-जानी लिख |
सूख रहा चन्दन का बिरवा ,
कहाँ मिलेगा पानी लिख |
इक मछली फँस गयी जाल में
फूट के रोया पानी लिख |
पैबन्दों में देश की अस्मत ,
राजा की शैतानी लिख |
देश के गद्दारों के हिस्से ,
बस चुल्लू भर पानी लिख |
गुम हो गयी जवानी लिख |
सूनी मांग देख ले पहले ,
फिर ग़ज़लें रूमानी लिख |
बड़े , बड़प्पन से खाली हैं ,
तू भी अब मनमानी लिख |
पत्ते पर है जान पिता की ,
बिटिया भई सयानी लिख |
'मोनालिसा' स्वप्न है प्यारे ,
झाँसी की मर्दानी लिख |
लंतरानियों के दिन गुजरे
सच्ची कोई कहानी लिख |
शब्दों की नक्काशी क्या है ?
दिल की बात जुबानी लिख |
पहले कुछ करके दिखला फिर
दुनिया आनी-जानी लिख |
सूख रहा चन्दन का बिरवा ,
कहाँ मिलेगा पानी लिख |
इक मछली फँस गयी जाल में
फूट के रोया पानी लिख |
पैबन्दों में देश की अस्मत ,
राजा की शैतानी लिख |
देश के गद्दारों के हिस्से ,
बस चुल्लू भर पानी लिख |
देश के गद्दारों के हिस्से ,
ReplyDeleteबस चुल्लू भर पानी लिख |
वाह ! क्या खूब लिखा है ……………बहुत सुन्दर और सामयिक प्रस्तुति।
देश के गद्दारों के हिस्से ,
ReplyDeleteबस चुल्लू भर पानी लिख
wah. kya baat likhi hai.
बहुत सुन्दर और सामयिक प्रस्तुति।
ReplyDeletesooni maang dekh le pahle .... waah
ReplyDeleteये बात !, अत्यंत ही सुन्दर.........वाह जी वाह सुरेद्र जी, सच कहूँ तो इससे सुन्दर और क्या हो सकता है. आपका तहेदिल से आभार.
ReplyDelete"Really inspiring"
सूनी मांग देख ले पहले ,
ReplyDeleteफिर ग़ज़लें रूमानी लिख |
पत्ते पर है जान पिता की ,
बिटिया भई सयानी लिख |.....
क्या कहूं सुरेन्द्र जी अन्दर तक झंझ्कोरती हुई पंक्तियाँ....आप वाकई बहुत सटीक लिखते हैं !
बडी सुंदर गजल, मन प्रसन्न करने वाली।
ReplyDelete---------
हंसी का विज्ञान।
ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
देश के गद्दारों के हिस्से ,
ReplyDeleteबस चुल्लू भर पानी लिख |
2 good
देश के गद्दारों के हिस्से ,
ReplyDeleteबस चुल्लू भर पानी लिख |
वाह क्या बात है ...आज इसकी सकत आवश्यकता है ...शुक्रिया
शब्द-शब्द अनमोल.
ReplyDeleteवर्तमान समदर्भों में बिल्कुल सटीक प्रस्तुति. वाह...
मीत न बात पुरानी लिख |
ReplyDeleteगुम हो गयी जवानी लिख |
....बडी सुंदर गजल.
वाह वाह वाह और बस वाह
ReplyDeleteगजल को पढ कर और कुछ सूझ नही रहा
इक मछली फँस गयी जाल में
ReplyDeleteफूट के रोया पानी लिख |
पत्ते पर है जान पिता की ,
बिटिया भई सयानी लिख |
dil ko choo lene waali panktiya hain...
इक मछली फ़ंस गई जाल में'
ReplyDeleteफ़ूट के रोया पानी लिख।
बेहतरीन शे'र , ख़ूबसूरत ग़ज़ल।
सूनी मांग देख ले पहले ,
ReplyDeleteफिर ग़ज़लें रूमानी लिख |
मोनालिसा' स्वप्न है प्यारे ,
झाँसी की मर्दानी लिख |
सुभानाल्लाह ....
झंझट जी आपने तो सारे झंझट ही खत्म कर दिए
बहुत खूब ...
गज़ब हैं सारे शे'र ....!!
भाई सुरेन्द्र जी,
ReplyDelete'मोनालिसा' स्वप्न है प्यारे ,
झाँसी की मर्दानी लिख |
क्या कमाल की ग़ज़ल है ,हर शेर पर मेरी दाद कबूल फरमाएं!
भाई,एक बार फिर अच्छी ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद !
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत देर से आना हुआ --शर्मिंदा हु -
कभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपनी एक नज़र डालें
शानदार शब्दों में कई व्यथाएं एकसाथ पिरो डाली हैं आपने। गज़ब का लहजा है बात को कहने का। बेबाक कलमकार हूं, अनुबंध नहीं हूं। बहुत अच्छा लगा। मेरी तरफ से बधाई स्वीकार करें।
ReplyDeleteइक मछली फँस गयी जाल में
ReplyDeleteफूट के रोया पानी लिख |
वाह वाह वाह, gajab ka sher, aur utni hi achchi gazal.
सूनी मांग देख ले पहले ,
ReplyDeleteफिर ग़ज़लें रूमानी लिख |
बड़े , बड़प्पन से खाली हैं ,
तू भी अब मनमानी लिख |
...वाह! बहुत खूब!.
कमाल की ग़ज़ल है. बहुत ही सुंदर कही है. वाह.
ReplyDeleteमोनालिसा' स्वप्न है प्यारे ,
ReplyDeleteझाँसी की मर्दानी लिख |
बहुत खूबसूरत गज़ल लिखी है ...
शब्दों की नक्काशी क्या है ?
ReplyDeleteदिल की बात जुबानी लिख ....
शानदार प्रस्तुतीकरण !
.
बहुत सुन्दर गज़ल है आपकी.. शब्द शब्द मोती जैसे ..खूबसूरत ..
ReplyDeleteसच्चे मानस के मोती।
ReplyDeletevery nice binding of words .. too good gajal
ReplyDeleteदेश के गद्दारों के हिस्से ,
ReplyDeleteबस चुल्लू भर पानी लिख |
उत्तम।
क्या कहूँ इस रचना के भाव और कला सौन्दर्य पर...
ReplyDeleteअब मेरा प्रयास रहेगा कि आपका लिखा कुछ भी पढने से न छूटे...
पत्ते पर है जान पिता की ,
ReplyDeleteबिटिया भई सयानी लिख
छोटी बहर में लिखी कमाल की ग़ज़ल है ... बहुत ही लाजवाब ... सुभान अल्ला ...