आओ हे नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है |
घर-घर भर दो हर्ष तुम्हारा स्वागत है |
आये कितने वर्ष और फिर चले गए |
किन्तु सदा से बस गरीब ही छले गए |
महके बहुत गुलाब यहाँ के उपवन में ,
पर मुरझाये फूल पाँव के तले गए |
आहत है गत वर्ष तुम्हारा स्वागत है |
आओ हे नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है |
मनुज, मनुज के लिए न खाई खोदे ,
मनुज, मनुज के लिए न काँटे बोये |
फिर से कृष्ण सुदामा के चरणों को ,
नयनों के जल से प्रेम थाल में धोएं |
जीवन हो उत्सर्ग तुम्हारा स्वागत है |
आओ हे नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है |
खुशियों भरा हो साल नया आपके लिए
ReplyDeletehum sab milkar swagat karte hain navbarsh ka
ReplyDeleteबहुत खूब ..सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत खूब ..सुन्दर रचना
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनाये
नव वर्ष की सुन्दर प्रस्तुति,
ReplyDeleteसुरेन्द्र सिंह जी, नव वर्ष आपके जीवन को नए आयाम दे !
साधुवाद
नए साल की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteआओ हे नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है |
ReplyDeleteखुबसूरत रचना. आभार...
सुन्दर कविता नव वर्ष के स्वागत में ! आप को नव वर्ष मुबारक !
ReplyDeleteआहत है गत वर्ष तुम्हारा स्वागत है |
ReplyDeleteआओ हे नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है |
... bahut sundar !!
बहुत सुन्दर रचना……………नए साल की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबेहतरीन रचना। बधाई।
ReplyDeleteआपको भी नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं !
यह नव वर्ष आपके जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्रदान करे ।
नव वर्ष के आरंभ में मंगलकामनाओं से संयुक्त सुंदर रचना।
ReplyDeleteआपकी, हमारी, सबकी शुभ मनोकामनाएं पूर्ण हों।
मनुज, मनुज के लिए न खाई खोदे ,
ReplyDeleteमनुज, मनुज के लिए न काँटे बोये |
र से कृष्ण सुदामा के चरणों को ,
नयनों के जल से प्रेम थाल में धोएं ...
आमीन ...सार्थक सन्देश देती आपकी रचना ,..... .
आपको और आपके पूरे परिवार को नव वश मंगलमय हो ..
आदरणीय,
ReplyDeleteमुकम्मल रिदम मे इक़ बेहद सार्थक रचना.
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सपरिवार आपको नव वर्ष की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं.
नव वर्ष २०११ और एक प्रार्थना
सुन्दर भावनाओं से सराबोर स्वागत- शब्द-पुष्प नव वर्ष को चन्दन सा सुवासित कर रहे हैं !
ReplyDeleteगीत में प्रवाह और माधुर्य दोनों हैं !
आपको सपरिवार नव वर्ष की मंगलकामनाएं!
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
Nice post .
ReplyDeleteऐतराज़ क्यों ?
बड़े अच्छे हों तो बच्चे भी अच्छे ही रहते हैं .
आज कल तो बड़े ऐसे भी हैं कि 'माँ और बहन' कहो तो भी ऐतराज़ कर डालें.
ऐसे लोगों को टोकना निहायत ज़रूरी है . गलती पर खामोश रहना या पक्षपात करना
ही बड़े लोगों को बच्चों से भी गया गुज़रा बनती है .
रचना जी को मां कहने पर
और
दिव्या जी को बहन कहने पर
ऐतराज़ क्यों ?
अगर आप यह नहीं जानना चाहते तो कृप्या निम्न लिंक पर न जाएं।
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/patriot.html
आये कितने वर्ष और फिर चले गए |
ReplyDeleteकिन्तु सदा से बस गरीब ही छले गए |
महके बहुत गुलाब यहाँ के उपवन में ,
पर मुरझाये फूल पाँव के तले गए
अति सुन्दर।
बेहतरीन गीत. नव वर्ष पर पुरानी बातों से कुछ नई सीख लें सकारात्मक सोच के साथ नव वर्ष का सवागत करें. आपको व आपके परिवार को नव वर्ष कि मंगल कामनाएं
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