Saturday, January 1, 2011

आओ हे नव वर्ष........

आओ  हे  नव वर्ष   तुम्हारा  स्वागत है |
घर-घर  भर दो हर्ष तुम्हारा स्वागत है  |
      आये कितने  वर्ष  और  फिर चले गए |
      किन्तु सदा से बस गरीब ही छले गए |
      महके बहुत गुलाब यहाँ के उपवन में ,
      पर  मुरझाये  फूल   पाँव  के तले  गए |
आहत है गत वर्ष तुम्हारा स्वागत है |
आओ हे नव वर्ष  तुम्हारा स्वागत है |
        मनुज, मनुज के  लिए न खाई खोदे ,
        मनुज, मनुज के लिए  न काँटे  बोये |
        फिर से कृष्ण  सुदामा के चरणों को ,
        नयनों के जल से प्रेम थाल में धोएं  |
जीवन हो उत्सर्ग तुम्हारा स्वागत है |
आओ हे नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है |



 

18 comments:

  1. खुशियों भरा हो साल नया आपके लिए

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  2. बहुत खूब ..सुन्दर रचना
    नव वर्ष की शुभकामनाये

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  3. नव वर्ष की सुन्दर प्रस्तुति,

    सुरेन्द्र सिंह जी, नव वर्ष आपके जीवन को नए आयाम दे !

    साधुवाद

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  4. नए साल की हार्दिक शुभकामनायें

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  5. आओ हे नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है |

    खुबसूरत रचना. आभार...

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  6. सुन्दर कविता नव वर्ष के स्वागत में ! आप को नव वर्ष मुबारक !

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  7. आहत है गत वर्ष तुम्हारा स्वागत है |
    आओ हे नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है |
    ... bahut sundar !!

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  8. बहुत सुन्दर रचना……………नए साल की हार्दिक शुभकामनायें

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  9. बेहतरीन रचना। बधाई।
    आपको भी नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं !
    यह नव वर्ष आपके जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्रदान करे ।

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  10. नव वर्ष के आरंभ में मंगलकामनाओं से संयुक्त सुंदर रचना।
    आपकी, हमारी, सबकी शुभ मनोकामनाएं पूर्ण हों।

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  11. मनुज, मनुज के लिए न खाई खोदे ,
    मनुज, मनुज के लिए न काँटे बोये |
    र से कृष्ण सुदामा के चरणों को ,
    नयनों के जल से प्रेम थाल में धोएं ...

    आमीन ...सार्थक सन्देश देती आपकी रचना ,..... .
    आपको और आपके पूरे परिवार को नव वश मंगलमय हो ..

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  12. आदरणीय,
    मुकम्मल रिदम मे इक़ बेहद सार्थक रचना.
    -
    सपरिवार आपको नव वर्ष की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं.
    नव वर्ष २०११ और एक प्रार्थना

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  13. सुन्दर भावनाओं से सराबोर स्वागत- शब्द-पुष्प नव वर्ष को चन्दन सा सुवासित कर रहे हैं !
    गीत में प्रवाह और माधुर्य दोनों हैं !
    आपको सपरिवार नव वर्ष की मंगलकामनाएं!
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  14. Nice post .
    ऐतराज़ क्यों ?
    बड़े अच्छे हों तो बच्चे भी अच्छे ही रहते हैं .
    आज कल तो बड़े ऐसे भी हैं कि 'माँ और बहन' कहो तो भी ऐतराज़ कर डालें.
    ऐसे लोगों को टोकना निहायत ज़रूरी है . गलती पर खामोश रहना या पक्षपात करना
    ही बड़े लोगों को बच्चों से भी गया गुज़रा बनती है .
    रचना जी को मां कहने पर
    और
    दिव्या जी को बहन कहने पर
    ऐतराज़ क्यों ?
    अगर आप यह नहीं जानना चाहते तो कृप्या निम्न लिंक पर न जाएं।
    http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/patriot.html

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  15. आये कितने वर्ष और फिर चले गए |
    किन्तु सदा से बस गरीब ही छले गए |
    महके बहुत गुलाब यहाँ के उपवन में ,
    पर मुरझाये फूल पाँव के तले गए


    अति सुन्दर।

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  16. बेहतरीन गीत. नव वर्ष पर पुरानी बातों से कुछ नई सीख लें सकारात्मक सोच के साथ नव वर्ष का सवागत करें. आपको व आपके परिवार को नव वर्ष कि मंगल कामनाएं

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