Monday, February 14, 2011

हे महाप्राण..विराट व्यक्तित्व......निराला

(निराला जयंती  पर )


हे महाप्राण
विराट व्यक्तित्व                                
निराला !
साहित्य के सूर्य
ह्रदय के हरिश्चंद
स्वाभिमान के हिमालय
किन शब्दों में करूँ
तुम्हारा वंदन !
हे माँ भारती के-
ललाट के चन्दन !

तुमसे सुख हार गया
जीवन में लड़ते-लड़ते
मगर दुःख साथ रहा
सदा-सदा ,उम्र भर
हे सरस्वती के अनन्य आराधक
अद्वितीय साधक
वाणी के वरद पुत्र
तुम्हारे व्यक्तित्व का विस्तार
ही तो है
तुम्हारा अप्रतिम रचना संसार

हे फक्कड़ युगद्रष्टा !
मनमौजी मलंग
साथ-साथ जन्म  लिए
तुम और अनंग
था तो मधुरिम बसंत
मगर तुम्हे भा गया
पतझड़ अनंत

हे सुन्दर काव्य-घन बरसानेवाले
बंधनमुक्त सर्जक
जीवन के मरुथल में
चले सदा नंगे पाँव
सुविधाओं को दुत्कारा
सिंहासन को ललकारा -
'अबे सुन बे गुलाब !'
हे राम की शक्तिपूजा
समर्पण के तुलसी
मन के कबीर
वात्सल्य के सूर
फुटपाथ के मसीहा
पत्थर तोडती बाला के
माथे पर झलकते श्वेद बिंदु
पेट-पीठ एक किये-
दो टूक कलेजे के
जख्मों के मरहम
'कल्लू बकरिहा '
'चतुरी चमार '
के यारों के यार !
हे प्रलय के आवाहक
'एक बार बस और नाच तू श्यामा'
और फिर अंत में
'दुःख ही जीवन की कथा रही'

हे महादेवी के वीर जी !
साक्षात् काव्यपुरुष
समय पर साहित्य के हस्ताक्षर
जीवन का हलाहल
हँस-हँस पीते रहे
कविता लिखी कहाँ
 कविता ही जीते रहे

चिर वन्दनीय है
तुम्हारा साहित्य सृजन
स्वीकारो
हे महाप्राण
कोटि-कोटि वंदन !  


47 comments:

  1. महाप्राण
    कोटि-कोटि वंदन

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  2. हमारा भी कोटि-कोटि वंदन

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  3. महाप्राण निराला जी छायावादी युग के ऐसे हस्ताक्षर हैं ....जिनका कोई सानी नहीं है .....हिंदी कविता में मुक्त छन्द की अवधारणा के लिए निराला जी का अप्रितम योगदान है ....आपका प्रयास सार्थक है

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  4. महाप्राण निरालाजी को शत शत नमन...

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  5. निराला जी की याद दिलाने के लिए आपका आभार !

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  6. बहुत ही सुन्दर रचना, झंझट जी महाराणा प्रताप को कोटि-कोटि नमन !

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  7. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द रचना ।

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  8. वे दुख में तपकर बने कुंदन थे। नाम ही नहीं,काम भी निराला।

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  9. पहले तो निराला जी को नमन
    और आपको शुभकामनाये
    आपने कविता सम्राट के लिए एक सुन्इर कविता लिखी, बधाई

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  10. निराला जी के लिए आपकी श्रद्धांजलि में हमारी श्रद्धांजलि भी शामिल हैं.

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  11. निराला जी को नमन....कविता के लिए आपको आभार।

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  12. स्वीकारो
    हे महाप्राण
    कोटि-कोटि वंदन !

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  13. निराला जी को नमन
    और आपकी कलम को सलाम.

    आपके कवितामयी चित्रण ने मन मोह लिया है.

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  14. निराला जी को बहुत सुन्दर श्रद्धांजलि दी है आपने ! उनकी कविताओं के शीर्षकों का बहुत बढ़िया प्रयोग किया है आपने......
    उस महान साहित्यकार को मेरा कोटि-कोटि नमन

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  15. राष्ट्र भाषा हिन्दी के महान कवि निराला जी की याद में सराहनीय कविता के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  16. निराला जी की याद दिलाने के लिए आपका आभार !

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  17. प्रेमदिवस की शुभकामनाये !
    कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
    माफ़ी चाहता हूँ

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  18. हे राम की शक्तिपूजा
    समर्पण के तुलसी
    मन के कबीर
    वात्सल्य के सूर
    फुटपाथ के मसीहा
    पत्थर तोडती बाला के
    माथे पर झलकते श्वेद बिंदु....

    लाजवाब अभिव्यक्ति !

    .

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  19. तुमसे सुख हार गया
    जीवन में लड़ते-लड़ते
    मगर दुःख साथ रहा
    सदा-सदा ,उम्र भर

    hardik badhai behtreen post k liye

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  20. महाप्राण निरालाजी को शत शत नमन...

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  21. निराला जी तो सदा ही वदंनीय थे है और रहेगें साथ ही साथ आपका भी इतनी सुंदर रचना के लिए वदंन। देर से आया माफी चाहता हुॅ।

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  22. निरालाजी के वन्दनीय व्यक्तित्व को सुंदर सार्थक श्रद्धांजलि के लिए आभार ...... उन्हें मेरा भी नमन

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  23. aapki yah rachna charchamanch me shukrvaar ko hogi... aap apna vichar vaha bhi jaroor likhen ..

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  24. ओह...क्या कहूँ...



    निराला तो ऐसे ही मेरे प्रेरणास्रोत हैं,उसपर आपने जिस प्रकार उनकी कृतियों,व्यक्तित्व और जीवन को समेटते हुए इस रचना में श्रद्धासुमन उड़ेली है...मन नतमस्तक हो गया...

    माँ शारदा आपके कलम पर सदा सहाय रहें,उनसे करबद्ध प्रार्थना है.....

    इस अद्वितीय रचना के लिए हम आपके आभारी हैं....

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  25. महाप्राण
    कोटि-कोटि वंदन

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  26. सुरेन्द्र जी!

    निराला समग्र को समेट लिया आपने
    क्या कहे
    कुछ बचा ही नहीं

    बस राम की शक्तिपूजा की यही पंक्तियाँ


    "आराधन का दृढ़ आराधन से दो उत्त्तर"

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  27. हे फक्कड़ युगद्रष्टा !
    मनमौजी मलंग
    साथ-साथ जन्म लिए
    तुम और अनंग
    था तो मधुरिम बसंत
    मगर तुम्हे भा गया
    पतझड़ अनंत........

    कविता बहुत सुन्दर और भावपूर्ण है। बधाई।

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  28. महाप्राण निरालाजी को शत शत नमन..

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  29. निराला जी को और उनके प्रति व्यक्त किये गए आपके उद्गारों को बारंबार प्रणाम है सुरेन्द्र जी ...आप हर समय सजग रहा कर अपना कवी धर्म निभाते हो....साधुवाद !

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  30. निराला जी को शत शत नमन !

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  31. किन शब्दों में करूँ
    तुम्हारा वंदन !
    हे माँ भारती के-
    ललाट के चन्दन !
    स्वीकारो हमारा भी कोटि - कोटि नमन...
    और आपको इस सुन्दर श्रद्धांजलि के लिए बहुत - बहुत आभार ...

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  32. निरालाजी को शत शत नमन

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  33. आदरणीय सुरेन्द्र जी
    नमन
    भावपूर्ण सराहनीय कविता
    बहुत बहुत आभार !
    निराला जी को श्रद्धांजलि !


    तीन दिन पहले प्रणय दिवस भी तो था मंगलकामना का अवसर क्यों चूकें ?
    प्रणय दिवस की मंगलकामनाएं !

    ♥ प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !♥
    बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  34. निराला जी को याद दिलाने के लिए आपका आभार। निराला जी को हमारा भी शत शत नमन।

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  35. सुरेंद्र भाई हमारे आप सभी के अग्रज निराला जी के बारे में आपके द्वारा बतियाई बातें अच्छी लगीं

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  36. निरालाजी को शत शत नमन... और इतनी सुन्दर रचना के लिए आपको भी बधाई !

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  37. महाकवि निराला को मैं भूल चुका था ! उनकी जयंती पर इस बेहद अच्छी सार्थक रचना के लिए बधाई एवं निराला को मेरा भी शत शत नमन !

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  38. निराला जी को शत शत नमन...उनके व्यक्तित्व को रेखान्कित करती बहुत सुन्दर रचना

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  39. Nirala ji ko shat shat naman, aur aapki is kavye rachna ko bhi naman!

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  40. ब्लॉग पर आने और अपनी अनमोल टिप्पड़ियों से उत्साह वर्धन के लिए आप सभी विद्वान/विदुषी रचनाकारों
    का मैं ह्रदय से आभारी हूँ | विश्वास है कि अपना स्नेह भविष्य में भी देते रहेंगे | कलम के मैदान में हम सभी कलम के सिपाही हैं | इसमें कोई सेनापति है , कोई जांबाज है , कोई सम्हलकर लडनेवाला है तो कोई कुशल लड़ाकू |
    आप सभी में ये गुण विद्यमान हैं | मैं आप सबके रचनाधर्म को प्रणाम करता हूँ , कलम को नमन करता हूँ |
    हम सबका यह स्नेहिल सम्बन्ध बराबर बना रहे , ईश्वर से यही प्रार्थना है |
    पुनः बहुत-बहुत हार्दिक आभार |

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  41. चिर वन्दनीय है आपका भी ये प्रयास ..निराला तो हमेशा के लिए हैं ही ... ............शुभकामनाएं

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  42. अमृता तन्मय जी ,
    ब्लॉग पर आने और अपनी अमूल्य टिप्पड़ी देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद |

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  43. Pyare jhanjhat bhai , Aapko hardik badhai - is kathin aur virupit samay ke andhkar me - Nirala ji ki smriti-mashal dikhane ke liye.

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  44. सुरेन्द्र भाई, निराला जी पर आपकी यह शानदार कविता देखकर मन प्रसन्न हुआ. सुखद आश्चर्य इस बात का हुआ कि मैंने भी निराला जी पर इक कविता जनवरी २०१० में लिखी थी और दोनों में काफी भावसाम्य है. इक तरह से कहे तो दोनों कवितायेँ इक दूसरे की पूरक है. अपनी कविता यहाँ पर दे रहा है, पढकर बताएँगे कैसा लगा-

    "निराला की याद में "

    बसंत पंचमी माँ शारदे की पूजा का पावन त्यौहार होने के साथ हिंदी के महानतम कवियों में एक महाप्राण महाकवि निराला का जन्मदिन भी है. महाप्राण निराला को याद करते हुए आज के दिन मैंने जो कविता लिखी है उसे आप सबों की सेवा में पेश कर रहा हूँ.


    महाप्राण

    कितना सोच समझ कर चुना था

    अपने लिए निराला उपमान

    कविता ही नही जिन्दगी भी

    निराली जियी



    अपरा, अनामिका से

    कुकुरमुत्ते और नए पत्ते तक की

    काव्य यात्रा में ना जाने

    कितने साहित्य-शिखरों को लांघ

    हे आधुनिक युग के तुलसीदास

    जीवन भर करते रहे तुम राम

    की तरह शक्ति की आराधना

    अत्याचारों के रावण के नाश के लिए

    राम को तो शक्ति का वरदान मिला




    तुम कहो महाकवि

    तुमको क्या मिला?

    जीवन के अंतिम

    विक्षिप्त पलों में

    करते रह गए गिला

    की मैं ही वसंत का अग्रदूत

    जीवन की त्रासदियों से जूझते

    कहते रहे तुम-

    "स्नेह निर्झर बह गया है

    रेत ज्यों तन रह गया है."



    हे महाकवि, हर युग ने

    अपने सबसे प्रबुद्ध लोगों को

    सबसे ज्यादा प्रताड़ित किया है

    सबसे ज्यादा दुःख दिए हैं उन्हें

    तुम्हे दुःख देने में तो

    दुनिया के साथ विधाता भी

    नही रहे पीछे

    पहले प्रिय पत्नी और फिर पुत्री

    'सरोज की करुण स्मृति

    नम करती आई है तुम्हारी कविताओं को

    करुण रस से नही आंसुओं से.



    इतने दुःख को झेला

    फिर भी अपने अक्खड़-फक्कड़

    स्वाभाव को छोड़ा नही

    अपनी शर्तों पर जियी जिन्दगी

    दुनिया छलती रही तुम्हे

    और तुम दुनिया को ललकारते रहे.

    गुलाबों को, अट्टालिकाओं को, धन्ना सेठों को

    चेतावनी देते रहे

    कुकुरमुत्तों, पत्थर तोड़ने वाली, कृषकों

    और भिक्षुक की तरफ से



    महाकवि, हे महाप्राण

    तुम्हारी विद्रोही चेतना का

    एक अंश भी पा जाये तो

    धन्य हो उठे जीवन.

    तुम्हारे जन्मदिन पर हे कविगुरु,

    तुम्हे नमन."

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