बिस्तर पर लेटे-लेटे
मै अपनी अलसाई आँखों को
हाथों से मल रहा हूँ , और -
बार-बार देख रहा हूँ
दीवारों पर टँगी तस्वीरें |
ये तस्वीरें ! जो बोलती हैं
ये तस्वीरें ! जो देखती हैं
ये तस्वीरें ! जो हँसती हैं
और रोती भी हैं
हर तस्वीर मात्र तस्वीर नहीं
एक भरी-पुरी कहानी है
संघर्ष भरे जीवन की
वह बोलती है कि
जब इंसान उठा तो -
कम पड़ गई ऊँचाई आसमान की
और जब गिरा पतन के गर्त में
तो महासागर की गहराई भी
छिछली दिखलाई पड़ी
इन्हीं तस्वीरों में है -
राम का वनवास
एक विमाता की निष्ठुरता
एक पिता की विवशता
भरत और लक्ष्मण जैसे भाइयों का
अनूठा भ्रात्रिप्रेम
तस्वीर फरफराती है -
हवा के हल्के झोंके से
हिलते-हिलते कह जाती है कहानी -
राम के सर्वस्व त्याग की
शबरी और निषाद के प्रेम की
जटायु के पौरुष की
विद्वान् रावण के अहंकार की -
मोह की
और फिर उस महासंग्राम की
उनीदी आँखें गीली हो जाती हैं -
जब आता है प्रसंग
सीता-वनवास का !
नारी की विवशता तब और अब
सीता की अग्निपरीक्षा
तब और अब
तब भी जली - आग में नहीं
घुटन भरे निर्वासित जीवन में
और शायद आज भी
जल ही रही है --अनवरत
इन्हीं तस्वीरों में है-
कृष्ण की रासलीला
प्रेम का अद्भुत दर्शन
मक्खन चुरा-चुरा कर खा रहा है वह
और खिला भी रहा है -
अपने सखा ---ग्वाल-बालों को
वह ब्रज के पौरुष को
सबल बना रहा है
दूध दही मक्खन बाहर जाने से रोककर
गोपियों का चीरहरण करता है
जिससे वे दुबारा न नहा सकें -
निर्वस्त्र होकर
लज्जाहरण से बचा रहा है -
द्रौपदी को
वस्त्रों के अम्बार दे रहा है
चीर बढ़ती जा रही है
भरी सभा में हो रहे चीरहरण -
को रोक रहा है
नारी अस्मिता की -
रक्षा कर रहा है वह
मै देखता हूँ - देखता जाता हूँ
कल की द्रौपदी और आज की
कृष्ण कहाँ है ? खोज रहा हूँ
इन्हीं तस्वीरों में हैं -
नानक बुद्ध गाँधी
ईसा और कबीर
एक सम्पूर्ण जीवन
जो जिया गया -
मानव और समाज के -
कल्याण के लिए
हम उन्हें दीवारों पर टांगकर
शोभा बढ़ा रहे हैं -
अपने कमरों की
कभी-कभी निगाह पड़ती है -
अचानक
नहीं तो सब कुछ चलता रहता है
और ये तस्वीरें टँगी रहती हैं
हँसती हैं ये तस्वीरें हम पर -
हमारी जिन्दगी पर
जो हम जी रहे हैं - इंसानी जिन्दगी कहकर
आदर्शों को ओढ़कर
हँसती हैं ये तस्वीरें क्योंकि -
ये जानती हैं हमारी इस वितृष्णा से भरी
सूअर सी जिंदगी का परिणाम
तस्वीरें फरफराती हैं -
हवा के हल्के झोंकों से
और मै देखता जा रहा हूँ इन्हें
उनीदी आँखों से
marvelous lines :
ReplyDeleteहँसती हैं ये तस्वीरें हम पर -
हमारी जिन्दगी पर
जो हम जी रहे हैं - इंसानी जिन्दगी कहकर
आदर्शों को ओढ़कर
हँसती हैं ये तस्वीरें क्योंकि -
ये जानती हैं हमारी इस वितृष्णा से भरी
सूअर सी जिंदगी का परिणाम
heart touching poetry !
kuch sochne par mazboor karti hai ye rachna
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