Friday, October 8, 2010

दीवार पर टँगी तस्वीरें

बिस्तर पर लेटे-लेटे
मै अपनी अलसाई आँखों को
हाथों से मल रहा हूँ , और -
बार-बार देख रहा हूँ
दीवारों पर टँगी तस्वीरें |
ये तस्वीरें ! जो बोलती हैं
ये तस्वीरें ! जो देखती हैं
ये तस्वीरें ! जो हँसती हैं 
और रोती भी हैं 
हर तस्वीर मात्र तस्वीर नहीं 
एक भरी-पुरी कहानी है 
संघर्ष भरे जीवन की
वह बोलती है कि
जब इंसान उठा तो -
कम पड़ गई ऊँचाई आसमान की
और जब गिरा पतन के गर्त में 
तो महासागर की गहराई भी 
छिछली दिखलाई पड़ी 
इन्हीं तस्वीरों में है -
राम का वनवास 
एक विमाता की निष्ठुरता 
एक पिता की विवशता 
भरत और लक्ष्मण जैसे भाइयों का 
अनूठा   भ्रात्रिप्रेम 
तस्वीर फरफराती है -
 हवा के हल्के  झोंके  से 
हिलते-हिलते कह जाती है कहानी -
राम के सर्वस्व त्याग की 
शबरी और निषाद के प्रेम की 
जटायु के पौरुष की 
विद्वान् रावण के अहंकार की -
मोह    की 
और फिर उस महासंग्राम की 
उनीदी आँखें गीली हो जाती हैं -
जब आता है प्रसंग 
सीता-वनवास का !
नारी की विवशता तब और अब 
सीता की अग्निपरीक्षा 
तब    और   अब 
तब भी जली -  आग में नहीं 
घुटन भरे निर्वासित जीवन में 
और शायद आज भी 
जल ही रही है --अनवरत 
इन्हीं तस्वीरों में है- 
कृष्ण की रासलीला 
प्रेम का अद्भुत दर्शन 
मक्खन चुरा-चुरा कर खा रहा है वह 
और खिला भी रहा है -
अपने सखा ---ग्वाल-बालों को 
वह ब्रज के पौरुष को 
सबल बना रहा है 
दूध दही मक्खन बाहर जाने से रोककर 
गोपियों का चीरहरण करता है
जिससे वे दुबारा न नहा सकें -
निर्वस्त्र     होकर
लज्जाहरण से बचा रहा है -
      द्रौपदी को
वस्त्रों के अम्बार दे रहा है
चीर बढ़ती जा रही है
भरी सभा में हो रहे चीरहरण -
को रोक रहा है
नारी अस्मिता की -
रक्षा कर रहा है वह
मै देखता हूँ - देखता जाता हूँ
कल की द्रौपदी और आज की
कृष्ण कहाँ है ? खोज रहा हूँ
इन्हीं तस्वीरों में हैं -
नानक  बुद्ध   गाँधी
ईसा     और    कबीर
एक सम्पूर्ण     जीवन
जो जिया गया -
मानव और समाज के -
कल्याण     के लिए
हम उन्हें दीवारों पर टांगकर
शोभा   बढ़ा रहे हैं -
अपने कमरों    की
कभी-कभी निगाह पड़ती है -
      अचानक
नहीं तो सब कुछ चलता रहता है
और ये तस्वीरें टँगी रहती हैं
हँसती हैं ये तस्वीरें हम पर -
हमारी जिन्दगी पर
जो हम जी रहे हैं - इंसानी जिन्दगी कहकर
    आदर्शों     को     ओढ़कर
हँसती हैं ये तस्वीरें क्योंकि -
ये जानती हैं हमारी इस वितृष्णा से भरी
  सूअर  सी जिंदगी   का परिणाम
तस्वीरें   फरफराती हैं -
हवा के हल्के   झोंकों  से
और मै देखता जा रहा हूँ इन्हें
   उनीदी     आँखों    से 




2 comments:

  1. marvelous lines :

    हँसती हैं ये तस्वीरें हम पर -
    हमारी जिन्दगी पर
    जो हम जी रहे हैं - इंसानी जिन्दगी कहकर
    आदर्शों को ओढ़कर
    हँसती हैं ये तस्वीरें क्योंकि -
    ये जानती हैं हमारी इस वितृष्णा से भरी
    सूअर सी जिंदगी का परिणाम

    heart touching poetry !

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  2. kuch sochne par mazboor karti hai ye rachna

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