Monday, October 4, 2010

ग़ज़ल


मिला जवाब नहीं   कैसे    अब  करार  आये |
पुकारने की हदों तक   तो  हम पुकार  आये |
पूरा का पूरा   अपना हिंद   वाह क्या कहना ,
मगर लुटने की जद में यूपी औ बिहार आये |
जिस्म   ये डेंट-पेंट     चमकता है   ऊपर से ,
छू के मेडम ने  कहा   मेरे   जांनिसार  आये |
गढ़ दिया जिसने है  खिलौना  आदमी जैसा ,
ज़ेहन में  उससे बड़ा   न कोई कुम्हार आये |
घर में  राशन   नहीं है    रोते हैं   भूखे बच्चे ,
उधारी  पहले  से है   कैसे  अब  उधार आये |



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