(हम किसी शुभ अवसर,शुभ आरम्भ या नववर्ष पर एक दूसरे को हार्दिक शुभकामनायें सदा से देते चले आ रहे हैं | इस परंपरा में 'सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः' की सर्वकल्याण भावना निहित है ,जो हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है | हम दूसरों के दुःख में दुखी हों और दूसरों के सुख में सुखी- न कि ईर्ष्या करें | हम व्यक्ति , समाज और देश के उत्थान एवं मंगलमय भविष्य की कामना ही कर सकते हैं|क्या घटित होता है -शुभ अथवा अशुभ ? इस पर अपना बस कहाँ ! फिर भी हम तो यही कामना करेंगे कि सब कुछ अच्छा ही हो आनेवाले नए साल में !)
कुछ ऐसा हो जाये नए साल में | हर प्राणी सुख पाये नए साल में
छंटे अँधेरा मिटे उदासी
हर आँगन हो पूरनमासी
सूरज सोन लुटाये नए साल में | नया सवेरा आये नए साल में
मिटे घोटालों का घनचक्कर
सत्यनिष्ठ हों नेता , अफसर
भ्रष्टाचार लजाये नए साल में | रिश्वत शरण न पाए नए साल में
जीवित रहे न कोई दरिंदा
इंसानियत न हो शर्मिंदा
बिटिया कालेज जाये नए साल में | कुशल से वापस आये नए साल में
अख़बारों की खबर हो अच्छी
खबर- लूट , हत्या , दहेज़ की
छपकर कभी न आये नए साल में | सद्साहित्य समाये नए साल में
बहे ज्ञान-विज्ञान की गंगा
मान और सम्मान तिरंगा
गगन तलक लहराए नए साल में | देश की शान बढ़ाये नए साल में
कुछ ऐसा हो जाये नए साल में | हर प्राणी सुख पाये नए साल में
छंटे अँधेरा मिटे उदासी
हर आँगन हो पूरनमासी
सूरज सोन लुटाये नए साल में | नया सवेरा आये नए साल में
मिटे घोटालों का घनचक्कर
सत्यनिष्ठ हों नेता , अफसर
भ्रष्टाचार लजाये नए साल में | रिश्वत शरण न पाए नए साल में
जीवित रहे न कोई दरिंदा
इंसानियत न हो शर्मिंदा
बिटिया कालेज जाये नए साल में | कुशल से वापस आये नए साल में
अख़बारों की खबर हो अच्छी
खबर- लूट , हत्या , दहेज़ की
छपकर कभी न आये नए साल में | सद्साहित्य समाये नए साल में
बहे ज्ञान-विज्ञान की गंगा
मान और सम्मान तिरंगा
गगन तलक लहराए नए साल में | देश की शान बढ़ाये नए साल में