Tuesday, August 30, 2011

अलिखित

मुझे लिखना है 
हाँ , बहुत कुछ लिखना है
किन्तु 
कहाँ से शुरू करूँ ?
क्या लिखूँ प्रारंभ में ?

एक पंक्ति में
लटकते हुए 
अनगिनत
रंगीन बल्बों की तरह 
कई-कई बातें ....
शिकायतें , आक्रोश , क्षोभ-
ग्लानि , दुःख , पश्चाताप...
और 
इन्हीं के बीच 
दिपदिपाते जुगनू 
क्षणिक खुशियों के !

किस को कहाँ स्थान दूँ ?
कहाँ-कहाँ टाँक दूँ ?
किस-किस को ...

बस 
इसी कशमकश में 
जूझने लगता हूँ ..
जब भी उठाता हूँ-
कलम और कागज़  
और
हर बार रह जाता है 
अलिखित 
बहुत कुछ......


Tuesday, August 16, 2011

अन्ना का समर्थन करें

आप  सभी  को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ..

आइये हम सब  भ्रष्टाचार मुक्त भारत निर्माण के लिए-- सम्माननीय  अन्ना हजारे जी के नेतृत्व में-- जन लोकपाल बिल बनाने के लिए--संवेदनहीन एवं तानाशाह सरकार के विरुद्ध जारी देशव्यापी जन आन्दोलन को अपना पूर्ण समर्थन देकर इसे सफल बनाएँ.....

Friday, August 5, 2011

....बड़े लोग हैं !

चाँद   तारे  दिखाते,  बड़े   लोग  हैं |
देश   आगे   बढाते,  बड़े   लोग  हैं |
छीनकर रोटियाँ,हम गरीबों की ये ,
एक  टुकड़ा  दिखाते, बड़े  लोग  हैं |

माँगने   वोट  आते,  बड़े  लोग  हैं |
जीत संसद में जाते, बड़े  लोग  हैं |
झूठे वादों की घुट्टी पिलाकर हमें ,
कोठी अपनी बनाते,  बड़े  लोग हैं |

योजनायें    बनाते ,   बड़े लोग  हैं |
हक करोड़ों का खाते, बड़े  लोग हैं |
देखने  को   हमारी  फटी  जिंदगी ,
हेलीकाप्टर से आते, बड़े  लोग  हैं |

आग   पहले    लगाते,  बड़े   लोग   हैं | 
फिर  बुझाने  भी आते, बड़े   लोग   हैं |
राख हो जातीं जब अम्न की बस्तियाँ,
तब  कुआँ  ये   खुदाते, बड़े   लोग   हैं |

टू  जी   टेल्फोन  खाते,  बड़े   लोग  हैं |
राष्ट्र मंडल     चबाते ,    बड़े   लोग  हैं |
लाल बत्ती   मिले  या  मिलें  गड्डियाँ ,
रोज़  बिकते- बिकाते,  बड़े   लोग  हैं |