( आज एक बाल कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ जो सन २००० में प्रकाशित मेरे बाल कविता संग्रह 'बिल्ली का संन्यास' शीर्षक पुस्तक में संग्रहीत है )
मुखड़े को सुन्दरता देती -
है, चेहरे पर सुन्दर नाक |
सारे अंग जरूरी हैं , पर-
सारे अंग जरूरी हैं , पर-
नहीं किसी से कमतर नाक |
दो काली आँखों के नीचे ,
बीचे बांध सरीखी नाक |
मुख से पहले ऊपर बैठी ,
छोटी हो या बड़ी सी नाक |
देखो कितनी अच्छी लगती-
है , तोते की ठोर सी नाक |
अलग से जैसे छोपी लगती ,
होती जो कंडौर सी नाक |
कोई भिन्डी जैसी लम्बी ,
कोई दबी सी चिपटी नाक |
कोई फैले नथुनों वाली ,
ज्यों लुहार की भट्ठी नाक |
तरह-तरह आकारों वाली ,
मोटी हो या पतली नाक |
मुखड़े का भूगोल बनाती ,
होती बहुत जरूरी नाक |
अच्छे काम सदा करते जो ,
ऊँची रहती उनकी नाक |
बुरे काम करनेवालों की ,
बिना कटाए कटती नाक |