मुक्तक
आगे बढ़ने पर लगा प्रतिबन्ध है |
वापसी का रास्ता भी बंद है |
परकटा पंछी भला जाए कहाँ ,
जिंदगी ! कैसा तेरा अनुबंध है ?
फूल का सौदा करे, माली चमन का |
पूछते हो हाल क्या? अपने वतन का |
अब तो मालिक के भरोसे जिंदगी ,
भेड़ियों के बीच है, शावक हिरन का |