Monday, June 4, 2012

                      मुक्तक

आगे बढ़ने पर लगा प्रतिबन्ध है |
वापसी   का   रास्ता     भी   बंद  है |
परकटा पंछी    भला     जाए कहाँ ,
जिंदगी !   कैसा  तेरा   अनुबंध है ?

फूल   का  सौदा  करे, माली  चमन का |
पूछते हो हाल क्या? अपने  वतन   का |
अब   तो    मालिक के   भरोसे   जिंदगी ,
भेड़ियों  के  बीच है,  शावक   हिरन  का |