Friday, April 15, 2011

यही जिन्दगी , यही है जीना

( इस रचना को आज मैं पुनः पोस्ट कर रहा हूँ क्योंकि जब इसे ब्लाग पर पहली बार पोस्ट किया था तब मैं लगभग अपरिचय की स्थिति में ब्लाग जगत का नवागंतुक ही था | अतः यह रचना सुधी पाठकों और विद्वान रचनाकारों तक नहीं पहुँच पायी )


     गम     खाना    औ    आँसू   पीना |    
     यही    जिन्दगी ,  यही   है   जीना |

     पीर      पुरानी         घाव      पुराने ,
     नित्य   नयी     साँसों    से    सीना |

     पीते       पीते        उम्र       गुजारी,
     मगर   कहाँ   आ   सका    करीना ?

     बिखरी   लट  , आँखों   में   दहशत ,
     कहते    हैं    सब     उसे     हसीना |

     सभी    देश     की      बातें    करते ,
     अमर  शहीदों    का    हक   छीना |

     श्वेतवसन      चेहरे       ने      देखा ,
     दर्पण   को    आ    गया     पसीना |

     नागफनी      हो    गए     आचरण ,
     पल-पल  मरना   पल-पल  जीना |

40 comments:

  1. आप भी कमाल करते है झंझट साहब,शुरू में ही इतने झटके दे दिए थे कि तमाम ब्लॉग जगत ही हिल जाये.लेकिन साहब हम को तो झटका अब भी जोरसे ही लगा.
    "सभी देश की बातें करते
    अमर शहीदों का हक छीना"
    आप सदा सलामत रहें और सलामत रहें आपकी सुन्दर रचनाएँ.
    आपने अभी तक मेरे ब्लॉग का चक्कर हाल में नहीं लगाया लगता.
    जल्दी आओ भाई,रामजन्म पर आपको सादर निमंत्रण है.

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  2. पीर पुरानी घाव पुराने ,
    नित्य नयी साँसों से सीना |

    भाई वाह.....क्या बढ़िया लिखा है आपने! बधाई.

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  3. बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद

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  4. बहुत अच्छा किया आपने इसे पुन: प्रकाशित करके ...बहुत अच्छी गज़ल
    सभी देश की बातें करते ,
    अमर शहीदों का हक छीना |

    सटीक बात लिख दी है ..

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  5. झंझट जी बहुत खूब लिखा है.
    यह शेर तो खूब है.

    पीते पीते उम्र गुजारी,
    मगर कहाँ आ सका करीना ?

    पीने के बाद करीना रहता कहाँ है.
    सलाम.

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  6. नागफनी हो गए आचरण ,
    पल-पल मरना पल-पल जीना |
    phir se saajha karke aapne bahut achha kiya

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  7. कृपया निराशा की बातें न करे!
    हिम्मत करे इंसान तो क्या हो नहीं सकता |
    झंझट जी को ऐसे झंझटों में नहीं पड़ना चाहिए |
    आपको हार्दिक सुभकामनाएँ !!

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  8. भाई सुरेन्द्र जी बेहतरीन गज़ल के लिए आपको बधाई |

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  9. सभी देश की बातें करते ,
    अमर शहीदों का हक छीना |

    बिलकुल सही कहा है आपने ..जिस स्वतंत्रता की बात हम कर रहे थे उस स्वतंत्रता का क्या हुआ , स्थितियां सबके सामने हैं ...आपकी रचना का हर लफ्ज प्रभावी और अर्थपूर्ण है ....आपका आभार .

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  10. सभी देश की बातें करते,
    अमर शहीदों का हक छीना |
    ग़ज़ल न सिर्फ़ दिल पर बल्कि दिमाग पर भी असर करती है।

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  11. desh ke liye sochne per majbur karti hai apki panktiya...

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  12. प्रिय सुरेन्द्र जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    विश्वास नहीं दिला पाऊंगा … आपके यहां अपनी अनुपस्थिति के पीछे के हादसों का …

    आपकी पिछली दो पोस्ट्स पर इतने विस्तार से , तबीयत से कमेंट लिखे … दो दो दफ़ा डिलीट हो गए … :(
    एक बार मेरी अपनी गलती से , एक बार किसी तकनीकी गड़बड़ी से

    एक तो मेरी टाइपिंग गति ही कमज़ोर , फिर अनेक कारणों से नेट पर मैं अधिक सक्रिय और नियमित नहीं रह पा रहा …
    आपकी हर पोस्ट पढ़ता अवश्य हूं …
    स्नेह - विश्वास में कमी न आने दें ।

    आपकी यह ग़ज़ल भी आपकी अन्य रचनाओं की तरह ही बेहतरीन है … भाव पक्ष पर शिल्प भारी है …
    नागफनी हो गए आचरण ,
    पल-पल मरना पल-पल जीना


    बहुत ख़ूब !

    आपकी पुरानी पोस्ट्स के लिए भी मुबारकबाद कबूल फ़रमाएं ।
    * अनंत असीम शुभकामनाएं ! *


    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  13. प्रभावशाली रचना......

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  14. भई वाह क्या बात है? मुझे तो हर शेर बेहद पसंद आया.
    आपने इसे दुबारा लगाया है इसके लिए आपको धन्यवाद.

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  15. दोबारा पोस्ट कर के अच्छा किया ।प्रभावित कर गयी ।आभार ...

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  16. गम खाना औ आँसू पीना |
    यही जिन्दगी , यही है जीना |

    पीर पुरानी घाव पुराने ,
    नित्य नयी साँसों से सीना |

    पीते पीते उम्र गुजारी,
    मगर कहाँ आ सका करीना ?

    बिखरी लट , आँखों में दहशत ,
    कहते हैं सब उसे हसीना |

    बहुत ही सुंदर
    *********************

    "सुगना फाऊंडेशन जोधपुर" "हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम" "ब्लॉग की ख़बरें" और"आज का आगरा" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को " "भगवान महावीर जयन्ति"" की बहुत बहुत शुभकामनाये !

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  17. वाह्……………दोबारा प्रकाशित करके अच्छा किया कम से कम इतनी बढिया रचना तो पढने को मिली……………आभार्।

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  18. इतनी घबराई हुयी जिंदगी आखिर क्यों ?

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  19. सभी देश की बातें करते ,
    अमर शहीदों का हक छीना |

    बहुत बढ़िया .......सच और सटीक

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  20. नागफनी हो गए आचरण ,
    पल-पल मरना पल-पल जीना ।

    सचमुच, आज आचरण नागफनी जैसे हो गए हैं।
    मैं इसे पहले नहीं पढ़ पाया था। बहुत अच्छी ग़ज़ल है।

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  21. पीर पुरानी घाव पुराने ,
    नित्य नयी साँसों से सीना |


    हर शेर उम्दा....एक से बढकर एक......

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  22. सुरेन्द्र जी ,
    आपने बहुत अच्छा किया जो इस कविता को दुबारा ब्लौग पर लगाया अन्यथा हम वंचित रह जाते इस उम्दा रचना से। आप बहुत दिल से लिखते हैं , जो आपकी रचनाओं में बखूबी दिखता है।

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  23. आपको एवं आपके परिवार को भगवान हनुमान जयंती की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।

    अंत में :-

    श्री राम जय राम जय राम

    हारे राम हारे राम हारे राम

    हनुमान जी की तरह जप्ते जाओ

    अपनी सारी समस्या दूर करते जाओ

    !! शुभ हनुमान जयंती !!

    आप भी सादर आमंत्रित हैं,

    भगवान हनुमान जयंती पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ

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  24. औसत आदमी का जीवन ऐसा ही होता है। परिवर्तन-परिवर्द्धन सर्वथा संभव।

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  25. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 19 - 04 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  26. बहुत खूब ...शुभकामनायें !!

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  27. गम खाना औ आँसू पीना |
    यही जिन्दगी , यही है जीना |

    यथार्थ के धरातल पर रची गयी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल....
    हार्दिक बधाई.

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  28. bakai Jhanjhat Sahib, Jhanjhana diya apne to,

    achha prahaar kiya he , gazal ke madhyam se!
    badhai kabule

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  29. बेहतरीन गज़ल के लिए आपको बधाई.

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  30. सरल सहज भाव में बहुत खूबसूरत रचना.

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  31. bikhari lat. ankhon me dahshat'kahete hain sab use haseena;bahut achhi prastuti hai.apki rachana ke madyam se apse jaise mulakat hoti rahti hai isliye ap lagatar likhte rahen . bahut bahut dhanyavad

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  32. shukriya gazal ko dubara pesh kar ke ham tak pahuchane ke liye. bahut sunder sateek gazal sidi dimag par chot karti hui.

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  33. नागफनी हो गए आचरण ..
    पिए उम्र भर मगर सिखा कहाँ सलीका ..
    सुन्दर रचना !

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  34. बिखरी लट , आँखों में दहशत ,
    कहते हैं सब उसे हसीना ...

    वाह ... क्या बात कही है ... सच भाई हसीना जो है वो ...

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  35. नागफनी हो गए आचरण ,
    पल-पल मरना पल-पल जीना |

    waah bahut khub bahut sundar likha hai aapne shukriya

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  36. सरल, sahaj, khubsurat gazal... parhte ही banta है....
    सादर...

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  37. गम खाना औ आँसू पीना |
    यही जिन्दगी , यही है जीना |
    बहुत खूब कहा है आपने ।

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  38. Haseena ki khubsurati dil me utar gayi..bahut sundar likha hai..taareef kubul kare..

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  39. आप मेरे ब्लॉग पे आये अच्छा लगा और आपके विचारो पड कर मन प्रसन हो गया बस आप से येही आशा है की अप्प असे ही मेरा उत्साह बढ़ाते रहेंगे
    धन्यवाद्

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  40. क्या बात है भाई दिल मे दर्द भी है और कुछ करने का जज्बा भी बहुत ही कम लोगो मे ऐसा होता है , मुबारक हो आपको

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