चन्द लफ़्ज़ों का असर हो.... ये जरूरी तो नहीं |
मेरे नगमों में हुनर हो...... ये जरूरी तो नहीं |
दिल से लिखता हूँ , ग़ज़ल है कि ग़ज़ल जैसी है ,
मेरी आहों में बहर हो...... ये जरूरी तो नहीं |
सिर्फ साँसों का सफ़र है ......ये जिंदगी अपनी ,
रोज़ घुट-घुट के गुज़र हो ...ये जरूरी तो नहीं |
उसके घर के बगल में. अपना घर है.. क्या कहना ,
अब उसकी मुझ पे नज़र हो....ये जरूरी तो नहीं |
दर्द पी पी के ही जीना है ...........जिंदगी यारों ,
उम्र जलवों में बसर हो ......ये जरूरी तो नहीं |
कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
सभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं |
अपनी दीवानगी से खुश हूँ ..क्यूँ अफ़सोस करूँ ,
होश में सारा शहर हो......ये जरूरी तो नहीं |
उसके घर के बगल में. अपना घर है.. क्या कहना ,
ReplyDeleteअब उसकी मुझ पे नज़र हो....ये जरूरी तो नहीं |
kya baat hai
कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
ReplyDeleteसभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं |
बहुत खूब... हर पंक्ति बहुत कुछ कहती है....
चन्द लफ़्ज़ों का असर हो.... ये जरूरी तो नहीं |
ReplyDeleteमेरे नगमों में हुनर हो...... ये जरूरी तो नहीं |
दिल से लिखता हूँ , ग़ज़ल है कि ग़ज़ल जैसी है ,
मेरी आहों में बहर हो...... ये जरूरी तो नहीं |
ह्रदय से प्रिय और मार्ग दर्शक भाई सुरेन्द्र जी....ये है ग़ज़ल...नाहक मेरी तुकबंदी की तारीफ कर आते हैं आप !
एक एक मिसरा....काटता हुआ निकल रहा है अन्दर तक किसी एक को कोट कैसे करूं भाई जी ...
मैं बड़ा खुस नसीब हूँ जो आप पहले ही दिन से मेरे साथ हैं......
हाँ इस शेर के लिए अलग से दाद लें भाई जी...
अपनी दीवानगी से खुश हूँ ..क्यूँ अफ़सोस करूँ ,
होश में सारा शहर हो......ये जरूरी तो नहीं |
...भाई जी एक दिन क्या मैं आप जैसी और कुंवर साहब (कुंवर कुसुमेश जी ) जैसी ग़ज़ल लिख सकूंगा क्या ??
कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
ReplyDeleteसभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं |
bahut sateek bat .badhai
कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
ReplyDeleteसभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं
aapki gazal padhi padhkar hosh me aayen ye zaroori to nahi.
कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
ReplyDeleteसभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं |
वाह ……………क्या बात कही है…………मन को छू गयी…………शानदार गज़ल्।
इसीलिए कहते है पांचो अंगुलिया बराबर नहीं होतीं ! बहुत सुब्दर...घाव गंभीर ......!
ReplyDeleteहोश में सारा शहर हो ये जरूरी तो नहीं वाकई सुरेन्द्र भाई लाजवाब गज़ल बधाई |
ReplyDeleteवाह सुरेन्द्र भाई बहुत सुन्दर भाव निम्न बहुत अच्छा लगा -बधाई हो सुन्दर रचना
ReplyDeleteदर्द पी पी के ही जीना है ...........जिंदगी यारों ,
उम्र जलवों में बसर हो ......ये जरूरी तो नहीं |
मेरी आहों में बहर हो. हमें समझ नहीं आया कठिन शब्द का अर्थ नीचे देंगे तो मजा आएगा ..
कहते हो आदमी जहरीला है साँपों सा मगर ,
ReplyDeleteसभी साँपों में ज़हर हो ये जरूरी तो नहीं ।
आदमी और सांप की तुलना एक अलग अंदाज़ में की है आपने, वाह, यह मौलिक प्रयोग अच्छा लगा।
जीवन दर्शन से भरपूर इस अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई।
कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
ReplyDeleteसभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं |
अपनी दीवानगी से खुश हूँ ..क्यूँ अफ़सोस करूँ ,
होश में सारा शहर हो......ये जरूरी तो नहीं |
भाई साहब क्या लिखा है। आह! दिल खुश कर दिया। इस पर क्या टिप्पणी करूं ... सिर्फ़ वाह-वाह करते रह्ने का मन कर रहा है।
BHUT KHUBSURAT GAZAL...
ReplyDelete.....फिर भी अच्छी लगी
ReplyDeleteएक शेर याद आ रहा है शायर का नाम अभी जहन में नहीं है
ReplyDeleteनींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है
उनकी आगोश में सिर हो अपना यह जरुरी तो नहीं |
आपके शेर इनसे उन्नीस नहीं है , बधाई
कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
ReplyDeleteसभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं
बहुत बढ़िया बात कही.... बेहतरीन अभिव्यक्ति
अपनी दीवानगी से खुश हूँ ..क्यूँ अफ़सोस करूँ ,
ReplyDeleteहोश में सारा शहर हो......ये जरूरी तो नहीं |
....
kya baat hai!...........itni khoobsurat nazm padhane ke liye shukriya..........
आपकी कविता तो पसंद आई है सभी को
ReplyDeleteपर सभी टिपण्णी करें यह जरूरी तो नहीं
मुझको तो यह बहुत पसंद आई इसीलिए टिपण्णी की,
अब आपको मेरी टिप्पणी पसंद आये ये जरूरी तो नहीं
क्या खूब लिखते हो झंझट भाई
सभी को झंझट में डाल देते हो.
'जरूरी नहीं' कह कर.
चन्द लफ़्ज़ों का असर हो.... ये जरूरी तो नहीं |
ReplyDeleteमेरे नगमों में हुनर हो...... ये जरूरी तो नहीं |
दिल से लिखता हूँ , ग़ज़ल है कि ग़ज़ल जैसी है ,
मेरी आहों में बहर हो...... ये जरूरी तो नहीं |
बहुत उम्दा शेर...
जि़न्दगी से बात करती ग़ज़ल... लाजवाब....
वाह ... बहुत खूब कहा है आपने ... हर पंक्ति लाजवाब ।
ReplyDelete"apni divaangee se khush hun ...kyoo afsos karoo
ReplyDelete,khabr tujhko bhi ho meri ...ye zaroori to nahin "
veerubhai .
khoobsoorat hain andaaaz aapke ,
daad ham dete rahen ...ye zaroori to nahin .
Mubarak ho bhaisahib .
बहुत उम्दा शेर...
ReplyDelete....वाह..क्या खूब लिखा है आपने।
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
ReplyDeleteअपनी दीवानगी से खुश हूँ ..क्यूँ अफ़सोस करूँ ,
ReplyDeleteहोश में सारा शहर हो......ये जरूरी तो नहीं |
Vaah..vaah...vaah.....vah.
kYa bAAt haI jHaNJHAt sAAb! gZal beHad psANd AYi.
दिल से लिखता हूँ , ग़ज़ल है कि ग़ज़ल जैसी है ,
ReplyDeleteमेरी आहों में बहर हो...... ये जरूरी तो नहीं |
bilkul sahi farmaya, ye zaroori nahi.......khoobsurat rachna.
बहुत अच्छी ग़ज़ल है। सुंदर रचना के लिए साधुवाद!
ReplyDeleteकहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
ReplyDeleteसभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं |
bahut khoob..
प्रभावशाली और सार्थक ग़ज़ल ....बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सरस गजल लगी आपकी. साधुवाद
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआप का दिल खूबसूरत है.
ReplyDeleteगुस्ताख़ी माफ़.
पर एक बात कहूँ ............
मुस्कुराना ज़रूरी है.
हर पल,
हालात चाहे जैसे भी हो.
मनोभावों की सुन्दर अभिव्यक्ति. आभार सहित...
ReplyDeleteटोपी पहनाने की कला...
गर भला किसी का कर ना सको तो...
कहते हो आदमी जहरीला है ...साँपों सा मगर ,
ReplyDeleteसभी साँपों में ज़हर हो......ये जरूरी तो नहीं |
कितनी सामान्य बात है यह...पर आपने जिस प्रकार इसका यहाँ प्रयोग किया...कितना गंभीर बना दिया...
बेहतरीन ग़ज़ल....
दिल से लिखता हूँ , ग़ज़ल है कि ग़ज़ल जैसी है ,
ReplyDeleteमेरी आहों में बहर हो...... ये जरूरी तो नहीं |
ओह, दिल की बात को बखूबी उकेर दिया है शब्दों में बन्धुवर
.
ReplyDeleteExcellent creation ! All the couplets are quite motivating and full of philosophy...Lovin' it.
Thanks.
.
हरेक शेर पर दिल वाह वाह करने को कह रहा है। आपकी लेखनी को शत शत नमन।
ReplyDeleteकविता अच्छी है, मैंने टिप्पणी तो कर दी पर....
ReplyDeleteसोचता हूं, आप को अच्छी लगे, यह ज़रूरी तो नहीं:)
बहुत बढ़िया झंझट जी...बहुत अच्छा लगा कम तारीफ करूँगा ज़्यादा समझिएगा...धन्यवाद
ReplyDeleteहर बात कहूँ दिल की, ज़रूरी तो नही है,
कह दूँ कि क्या हासिल की,ज़रूरी तो नही है,
ब्लॉगिंग जो करूँगा तो बिजली भी खर्च होगी,
चिंता करूँ मैं बिल की,ज़रूरी तो नही है,
बहुत बढ़िया झंझट जी...बहुत अच्छा लगा कम तारीफ करूँगा ज़्यादा समझिएगा...धन्यवाद
हर बात कहूँ दिल की, ज़रूरी तो नही है,
कह दूँ कि क्या हासिल की,ज़रूरी तो नही है,
ब्लॉगिंग जो करूँगा तो बिजली भी खर्च होगी,
चिंता करूँ मैं बिल की,ज़रूरी तो नही है,
हर शेर कुछ अलग ही कहानी कहता है .... बहुत लाजवाब ...
ReplyDeleteBAHUT JANDAR GAJAL HAI .HUM GHAR AA RAHEN HAIN.
ReplyDeleteदिल से लिखता हूँ , ग़ज़ल है कि ग़ज़ल जैसी है ,
ReplyDeleteमेरी आहों में बहर हो...... ये जरूरी तो नहीं |
the best lines !!
keep it up !
बेहद खूबसूरत गजल...हर एक शेर उम्दा लाजवाब ..लेकिन पढ़ने वाला जानकार हो यह जरूरी तो नहीं... :))
ReplyDeleteआप सभी विद्वान /विदुषी रचनाकारों ने मेरे ब्लाग पर आकर अपनी बहुमूल्य टिप्पड़ियों से मेरा उत्साहवर्धन एवं
ReplyDeleteमार्गदर्शन किया | आप सब के इस स्नेह और अपनापन पर मैं श्रद्धावनत हूँ | बहुत-बहुत आभार प्रकट करता हूँ |
इसी तरह प्रेमपूर्ण ब्लाग संवाद कायम रहे , आप सबका स्नेहाशीष मिलता रहे -यही कामना है |
सिर्फ साँसों का सफ़र है ......ये जिंदगी अपनी ,
ReplyDeleteरोज़ घुट-घुट के गुज़र हो ...ये जरूरी तो नहीं |
बहुत लाजवाब ...
दिल से लिखता हूँ , ग़ज़ल है कि ग़ज़ल जैसी है ,
ReplyDeleteमेरी आहों में बहर हो...... ये जरूरी तो नहीं
man ki baat kah dii aapne to ,
शब्दों का हरिश्चन्द हूँ ,जयचंद नहीं हूँ ||
बेबाक कलमकार हूँ ,अनुबंध नहीं हूँ || "
unique ,unchuaa khayal ,,,ni:shabd karti hai ye panktiyan
aapka blog tak aana shobhagy ki baat hai ,is hausla_afzaai ka tah-e-dil se shukria