Saturday, February 19, 2011

संत भरत मुनि एवं संत रविदास जी क़ी शुभ जयंती ( १८ फरवरी ) पर.....

     आज हमारे देश की दो महान विभूतियों का जन्म दिवस है---

पहला ---नाट्यशास्त्र के प्रणेता महाज्ञानी भरत मुनि महाराज का |
दूसरा ----महान संत रविदास ( रैदास )जी का |
               इन दोनों महान आत्माओं का कोटि-कोटि वंदन करता हूँ | इन महापुरुषों का स्मरण उनके महान जीवन और अनुकरणीय सुकृत्यों के लिए युगों-युगों तक किया जाता रहेगा |

                                  भरत मुनि 
       भरत मुनि जी प्राचीनतम संगीतवेत्ता थे | पुराणों के अनुसार जब देवताओं ने ब्रह्मा जी से एक ऐसे वेद की रचना करने का अनुरोध किया जो सामान्य आदमी द्वारा समझा जा सके तो उन्होंने पंचम वेद की रचना की , जो नाट्य वेद कहलाया | इसमें शब्द ऋग्वेद से , अभिनय यजुर्वेद से , गीत-संगीत सामवेद से और रस आदि अथर्ववेद से शामिल किये गए | नाट्य वेद की रचना के बाद ब्रह्माजी ने संत भरत मुनि से धरती पर इसके प्रचार-प्रसार के लिए कहा | 
               संत भरत मुनि ने 'नाट्यशास्त्र ' का सृजन २००-३०० ई० पू० के बीच किया जो नाट्यकला का आदिग्रंथ 
माना जाता है |


                              संत रविदास  
           संत रविदास जी ने धर्म  से मानवता को जोड़ने का अभूतपूर्व कार्य किया | सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने का उनका प्रयास चिरस्मरणीय रहेगा | पंद्रहवीं शताब्दी में भक्ति आन्दोलन के प्रमुख संतों में उनका सर्वोच्च स्थान है | माना जाता है कि कबीर,मीरा,संत नामदेव जैसे महान भक्त कवि, संत रविदास  के समकालीन थे | कबीरदास जी ने उनकी प्रशंसा में लिखा था ,'साधुन में रविदास संत हैं ,सुपच ऋषि सौ मानिया|
हिंदू तुर्क दुई दीन बने हैं ,कछू नहीं पहचानिया |' मीरा जी ने भी लिखा ,' गुरु मिलिया रैदास जी ...' |
       संत रविदास जिन्हें संत रैदास भी कहा जाता है ,का जन्म बनारस के एक दलित (चर्मकार ) परिवार में हुआ था | वे  ईश्वर की भक्ति के साथ-साथ अपना पुश्तैनी व्यवसाय ( जूते बनाना ) भी  पूरे मन से जीवनपर्यंत करते रहे  | उन्होंने कहा कि कोई भी काम छोटा  या बड़ा नहीं होता , मेहनत और ईमानदारी से की हुई कमाई ही फलित होती है न क़ि शोषण और ठगी से | उनकी मान्यता थी क़ि घर-परिवार में रहकर अपने कर्तव्यों का सम्यक निर्वहन करके भी परमात्मा को पाया जा सकता है , उसे पाने के लिए कपडा रंगने या धूनी रमाने की कोई जरूरत नहीं | संत रविदास ने स्वच्छ मन और ईमानदारी से जीवन जीने वाले को ही सच्चा इन्सान बताया | उनका कहना था....".मन चंगा तो कठवत में गंगा "|
           संत जी ने  समाज को दिखाया कि व्यक्ति जन्म से नहीं बल्कि कर्म से महान बनता है | जाति-पांति के आधार पर ऊँच-नीच का भेदभाव करने वालों को उन्होंने कड़ी फटकार लगाई | उन्होंने कहा कि ऐसे विचार रखने वालों से  भगवान कभी खुश नहीं हो  सकता क्योंकि उसने तो सबको समान बनाया है , अहंकार मुक्त होने पर ही
सच्ची भक्ति संभव है |विभिन्न धर्मों में हो रहे पाखंड और अन्धविश्वास का उन्होंने जमकर विरोध किया | उन्होंने नफरत,और हिंसा का प्रतिकार प्रेम और अहिंसा से किया | इसीलिए वे लोगों के प्रेरणास्रोत बने |यह उनकी लोकप्रियता एवं भक्ति की पराकाष्ठा ही  थी कि उनके रचित चालीस भक्ति पद सिख धर्म के आदिग्रन्थ में शामिल किये गए | संत रविदास का जीवन एवं उनके विचार भारतीय समाज के लिए सदैव अनुकरणीय एवं प्रासंगिक रहेंगे | 





23 comments:

  1. bahut jankari se bhari post .aabhar .

    ReplyDelete
  2. स्वच्छ मन और ईमानदारी से जीवन जीने वाले को ही सच्चा इन्सान .

    @-स्वच्छ मन और ईमानदारी से जीवन जीने वाले को ही सच्चा इन्सान बताया | उनका कहना था....".मन चंगा तो कठवत में गंगा "|....

    यही धर्म है । सुरेन्द्र जी , आज इस प्रसंग की बहुत आवश्यकता है जन-जन तक पहुँचने की ।


    .

    ReplyDelete
  3. इन दोनों महान आत्माओं का कोटि-कोटि वंदन करता हूँ |
    jankariparak post hetu abhaar.........

    ReplyDelete
  4. dono manishiyon ko shrdasuman..
    bahut badiya saarthak prasuti ke liye aapka aabhar..

    ReplyDelete
  5. दोनो महान आत्माओं को कोटिश: नमन्…………सच ये संदेश जन जन तक पहुँचने की बहुत जरूरत है।…………आभार्।

    ReplyDelete
  6. आप बहुत ही अच्छा कार्य करते हैं। कम से कम आपके ब्लॉग द्वारा स्वमानधन्य महात्माओं, कवियों आदि के जन्मदिन के विषय में पता चलता है। इसके साथ-साथ इन महात्माओं पर आवश्यक चर्चा भी हो जाती है।

    ReplyDelete
  7. संत रविदास जी के बारे में बहुत ही बढ़िया जानकारी दी .
    आभार.

    ReplyDelete
  8. भरत -मुनि और संत रविदास जैसी महान विभूतियों से ही भारत को पूरी दुनिया में एक खास पहचान मिली है. उन पर केंद्रित इस प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक आलेख के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई और धन्यवाद .

    ReplyDelete
  9. इन दोनों महान आत्माओं का कोटि-कोटि वंदन

    ReplyDelete
  10. बहुत अच्छी जानकारी दी आपने दो महान आत्माओं के बारे में ...धन्यवाद

    ReplyDelete
  11. ज्ञानवर्द्धक आलेख है। एक सुझाव यह है कि स्वनामधन्य शब्द का प्रयोग अब व्यंग्यार्थ में ही होता है। इसलिए,जहां तक संभव हो,सकारात्मक अर्थ में अन्य समतुल्य शब्द का प्रयोग किया जाए।

    ReplyDelete
  12. bahut acchi jaankari

    jayanti ke dhero subkamnaye

    ReplyDelete
  13. इन दोनों विभूतियों के बारे में आपने ज्ञानवर्द्धक लेख प्रस्तुत किया है।
    मानवता के उत्थान के लिए संत रविदास का योगदान अनुकरणीय है।

    महान विभूतियों को मेरा नमन।

    ReplyDelete
  14. बहुत अच्छा आलेख देने के लिए आभार. दोनों विभूतियों को समय ने याद रखा है.

    ReplyDelete
  15. जानकारी के लिये बधाई

    ReplyDelete
  16. सुन्दर आलेख है .. दोनों विभूतियों को प्रणाम है ...

    ReplyDelete
  17. भरत -मुनि और संत रविदास दोनों महान विभूतियों ने समाज को महत्वपूर्ण दिशाएं दीं...दोनों महान विभूतियों का उनके जन्म दिवस पर स्मरण कराने के लिए आभार।

    ReplyDelete
  18. बहुत सुन्दर जानकारी शुक्रिया दोस्त |

    ReplyDelete
  19. संत रैदास के विषय में तो पता था और उनके प्रति मन में अगाध श्रद्धा है..परन्तु भरतमुनि के विषय में आज पहली बार ये तथ्य ज्ञात हुए...

    बड़ा अच्छा लगा...बहुत बहुत आभार आपका...

    इन गुणी लोगों ने कितना कुछ दिया संसार को...पर हम ऐसे हैं कि वेलेंटाइन दिवस तो याद रखते हैं,पर ऐसे विभूतियों की जयंतियां विस्मृत कर जाते हैं,या अधिकाँश तो जानते भी नहीं...

    ReplyDelete
  20. दोनो महान आत्माओं को कोटिश: नमन्…………सच ये संदेश जन जन तक पहुँचने की बहुत जरूरत है।…………आभार्।

    ReplyDelete
  21. संत रविदास जी के बारे में बहुत ही बढ़िया जानकारी दी .

    ReplyDelete