देश के लिए जिए जो , देश के लिए लड़े जो ,
देश के लिए मिटे जो , उनको नमन है |
सारे सुख-साज़-राज त्यागि ,कूदे देश की-
स्वतंत्रता की आग में जो उनको नमन है |
हो गए शहीद , आज तक गुमनाम हैं जो ,
भारती के भाल लाल, उनको नमन है |
देश की स्वतंत्रता ही जिनका था धर्म,
चूमे फाँसी फंद शान से जो उनको नमन है |
शान्ति , सदभाव , सर्वधर्म - समभाव की ,
सदा से मेरे देश में परम्परा महान है |
एक ओर श्याम की विरह में दिवानी मीरा ,
एक ओर श्याम रंग डूबा रसखान है |
राम का आदर्श , गुरु नानक का उपदेश ,
सार जिन्दगी में ढाई आखर का ज्ञान है |
आपसी लड़ाई में , मिटा दिया इसे कहीं ,
तो कैसे कह पाओगे कि भारत महान है ?
द्वेष रखने से फूट देश में बढ़ेगी मीत ,
हो सके तो द्वार-द्वार प्रेम उपजाइए |
एकता जरूरी है , भुला के सारा भेद आज ,
देश है पुकारता कि एक बन जाइए |
जाति या धरम चाहे भाषाएँ अनेक किन्तु ,
सारे भारती हैं , भारतीयता जगाइए |
राष्ट्र खतरे में , कहीं हो न जाए खंड-खंड ,
मीत आज देश की अखंडता बचाइए |
nice
ReplyDeleteसुन्दर कविता
ReplyDeleteराष्ट्र को बचाने के लिए एकता जरूरी है।
शुभकामनाये
जाति या धरम चाहे भाषाएँ अनेक किन्तु ,
ReplyDeleteसारे भारती हैं , भारतीयता जगाइए |
राष्ट्र खतरे में , कहीं हो न जाए खंड-खंड ,
मीत आज देश की अखंडता बचाइए
bahut sundar,
hum bhi aapke sath hain,
बिल्कुल सही कहा है आपने ..बेहतरीन ।
ReplyDeleteशान्ति , सदभाव , सर्वधर्म - समभाव की ,
ReplyDeleteसदा से मेरे देश में परम्परा महान है |
एक ओर श्याम की विरह में दिवानी मीरा ,
एक ओर श्याम रंग डूबा रसखान है |
सुरेन्द्र भाई जी
आपने सारा जीवन दर्शन समाहित कर दिया इन पंक्तियों में ..अब कहने को कुछ नहीं ...आपका आभार
शान्ति , सदभाव , सर्वधर्म - समभाव की ,
ReplyDeleteसदा से मेरे देश में परम्परा महान है |
एक ओर श्याम की विरह में दिवानी मीरा ,
एक ओर श्याम रंग डूबा रसखान है |
राम का आदर्श , गुरु नानक का उपदेश ,
सार जिन्दगी में ढाई आखर का ज्ञान है |
आपसी लड़ाई में , मिटा दिया इसे कहीं ,
तो कैसे कह पाओगे कि भारत महान है ?
waah surendra ji , desh ke ujle swaroop ko dikha diya
एकता जरूरी है , भुला के सारा भेद आज ,
ReplyDeleteदेश है पुकारता कि एक बन जाइए ।
जाति या धरम चाहे भाषाएँ अनेक किन्तु ,
सारे भारती हैं , भारतीयता जगाइए ।
राष्ट्र खतरे में , कहीं हो न जाए खंड-खंड ,
मीत आज देश की अखंडता बचाइए ।
वाह, सुरेन्द्र जी, बहुत बढ़िया।
देश भक्ति से परिपूर्ण यह रचना सार्थक संदेश भी दे रही है।
एकता जरूरी है , भुला के सारा भेद आज ,
ReplyDeleteदेश है पुकारता कि एक बन जाइए ।
जाति या धरम चाहे भाषाएँ अनेक किन्तु ,
सारे भारती हैं , भारतीयता जगाइए ।
राष्ट्र खतरे में , कहीं हो न जाए खंड-खंड ,
मीत आज देश की अखंडता बचाइए ।
bahut prernadayak ....
देश भक्ति से परिपूर्ण यह रचना सार्थक संदेश दे रही है। धन्यवाद|
ReplyDeleteराष्ट्रीयता से ओत-प्रोत, एकता का संदेश देती उत्तम कोटि की रचना।
ReplyDeleteजाति या धरम चाहे भाषाएँ अनेक किन्तु ,
ReplyDeleteसारे भारती हैं , भारतीयता जगाइए |
राष्ट्र खतरे में , कहीं हो न जाए खंड-खंड ,
मीत आज देश की अखंडता बचाइए
सार्थक ओजपूर्ण आव्हान ...बहुत सुंदर
बिल्कुल सही कहा है आपने
ReplyDelete.....एकता का संदेश देती........सार्थक और भावप्रवण रचना।
कुछ लोग तो हैं, जो इस प्रकार भी लिख रहे हैं। देश-भक्ति पूर्ण कविता सराहनीय है। आभार।
ReplyDeleteसुन्दर भाव ...अखंडता ज़रूरी है ..
ReplyDeleteद्वेष रखने से फूट देश में बढ़ेगी मीत ,
ReplyDeleteहो सके तो द्वार-द्वार प्रेम उपजाइए |
एकता जरूरी है , भुला के सारा भेद आज ,
देश है पुकारता कि एक बन जाइए |....
देश की एकता और अखंडता पर देशप्रेम की भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
बहुत सुन्दर कविता लिखी आपने
ReplyDeleteक्या आपने अपने ब्लॉग से नेविगेशन बार हटाया ?
जाति या धरम चाहे भाषाएँ अनेक किन्तु ,
ReplyDeleteसारे भारती हैं , भारतीयता जगाइए |
काश ! यह विचार सब के होते , सुन्दर रचना बधाई
वाह! झंझट भाई वाह!
ReplyDeleteक्या शानदार उद्गार हैं आपके.
जी करता है बार बार गाऊं
"द्वेष रखने से फूट देश में बढ़ेगी मीत ,
हो सके तो द्वार-द्वार प्रेम उपजाइए |
एकता जरूरी है , भुला के सारा भेद आज ,
देश है पुकारता कि एक बन जाइए |"
सुन्दर प्रेरणापूर्ण प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार आपका.
बहुत खूब.
ReplyDeleteसन्देश परक.
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ReplyDeleteराष्ट्र खतरे में , कहीं हो न जाए खंड-खंड ,
मीत आज देश की अखंडता बचाइए ....
देश-प्रेम से बढ़कर कोई प्रेम नहीं । कविता के माध्यम से एक सार्थक अपील । रचना का काव्य एवं उद्देश्य , दोनों ही उत्कृष्ट हैं। -बधाई।
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आद. झंझट जी,
ReplyDeleteदेश भक्ति में डूबे आपके छन्द देश- प्रेम की ज्योति बनकर दिल में उतर गए !
गति,लय,ताल,शब्द,भाव, अभिव्यक्ति और सम्प्रेषण सभी कुछ समाहित है इनमें !
आभार !
hamare desh me log khud ko ya to bengali samjhte hain ya bihaari ya rajasthani ya punjabi......
ReplyDeleteakhandta tab hogi jab sab khud ko pehle indian/bhartiye samjhenge.......
saarthak rachna ke liye badhaai......
सुरेन्द्र भाई बहुत सुंदर कविता बधाई |
ReplyDeleteHan! ham sabon ko desh ki akhandta bachani hai....sundar aahvahn...achchhi rachana
ReplyDeleteदेश भक्ति से परिपूर्ण यह रचना सार्थक संदेश भी दे रही है।
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुत कविताओं में देश प्रेम बाखूबी मुखर होकर उभरा है.बहुत सुन्दर पंक्तियाँ .
ReplyDeleteराष्ट्र हित में बहुत अच्छा सन्देश .....
ReplyDeleteइस कविता के लिए नमन है आपको ....
हाय!
ReplyDeleteक्या हो रहा है मैं अपना पुराना बलोग बदल गया है?
आप नीचे मेरी नई टिप्पणी है
और Plz मुझे एक नई टिप्पणी दे आपकी याद आती है.
मेरा नया बलोग है ... ..
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.
.http://smshindi-smshindi.blogspot.कॉम
"आगे "
दम हैं नई टिप्पणी दे
मिस करने के लिए...............आपका सोनू
बहुत अच्छी पोस्ट |बधाई
ReplyDeleteआशा
देश है पुकारता कि एक बन जाइए |
ReplyDeleteजाति या धरम चाहे भाषाएँ अनेक किन्तु ,
सारे भारती हैं , भारतीयता जगाइए |
राष्ट्र खतरे में , कहीं हो न जाए खंड-खंड ,
मीत आज देश की अखंडता बचाइए |
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..
सुरेन्द्र भाई जी ....आप मेरे संबल अगर है तो ऐसे ही थोड़े है मुझे आप पर नाज है.
आज किसे देश कि चिंता है..
बहुत सुन्दर भाई जी !
भाई जी आप आज्ञा दें तो मैं भी एक बार छंद लिखने का प्रयास करूं ?...मुझे मेल पर बताना भाई जी !
ReplyDeleteआपसी लड़ाई में , मिटा दिया इसे कहीं ,
ReplyDeleteतो कैसे कह पाओगे कि भारत महान है ?
bahut sarthak aahvan yadi ise sun le bharat kee janta to shayad desh ka kuchh bhala ho sakta hai.
well said .....
ReplyDeleteराष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत बहुत अच्छी रचना ।
ReplyDeleteआदरणीय सुरेन्द्र सिंहजी
ReplyDeleteअच्छी रचना और अच्छे भाव
आपका स्वागत है
ReplyDelete"गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिका!"
आपके सुझाव और संदेश जरुर दे!
द्वेष रखने से फूट देश में बढ़ेगी मीत ,
ReplyDeleteहो सके तो द्वार-द्वार प्रेम उपजाइए |
Bahut khoob....aapke vicharon,udgaron aur bhawnaon ko naman...
जाति या धरम चाहे भाषाएँ अनेक किन्तु ,
ReplyDeleteसारे भारती हैं , भारतीयता जगाइए ...
जितनी बार पढ़ती हूँ , मन एक नए ओज से भर जाता है । उल्लास का संचार करती अद्भुत पंक्तियाँ ।
नमन है कवि की लेखनी को ।
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Saarthak sandesh ... josh bharti rachna hai ...
ReplyDeleteवाह बंधु वाह, क्या खूब घनाक्षरी छन्द प्रस्तुत किए हैं आपने| बहुत खूब| बहुत बहुत बधाई| समस्या पूर्ति मंच पर आप को पढ़ने के लिए लालायित हूँ| घोषणा होते ही सूचना दूँगा|
ReplyDeleteनव-संवत्सर और विश्व-कप दोनो की हार्दिक बधाई .
ReplyDeletebahut hi badhiya rachna ..
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