जिंदगी जब उदास होती है |
तू मेरे आस-पास होती है |
बुझ गई गर तो प्यास ही कैसी ,
प्यास तो सिर्फ प्यास होती है |
तू जहाँ पर थी वहीँ , पदचिन्ह तेरे ढूंढता हूँ |
तू गयी पर मैं तेरी,यादों से तुझको पूंछता हूँ |
एक ज़माना पहले जैसी, अब भी लगती हो |
आँखों ही आँखों में बातें, करती लगती हो |
चाल वही-मुस्कान वही- नज़रों का बाँकापन ,
उम्र न कुछ कर सकी,उम्र को ठगती लगती हो |
बहुत खूब, बधाई.
ReplyDeleteपहले जैसी, अब भी लगती हो ....?
ReplyDeleteउम्र प्यार पर कब हावी हो पाई है सुरेन्द्र जी .....:))
वही चाल वही-मुस्कान वही बाँकापन मुबारक आपको ...
:))
तू जहां पर थी वहीं , पदचिन्ह तेरे ढूंढता हूं
ReplyDeleteबहुत ख़ूब ! … जैसे मेरी ही बात कही हो…
सुरेन्द्र जी
जिंदगी जब उदास होती है |
ReplyDeleteतू मेरे आस-पास होती है |
बुझ गई गर तो प्यास ही कैसी ,
प्यास तो सिर्फ प्यास होती है |
वाह... बहुत खूब कहा है आपने... शुभकामनाये
प्यास तो सिर्फ प्यास होती है
ReplyDeleteजिंदगी जब उदास होती है |
तू मेरे आस-पास होती है |
बुझ गई गर तो प्यास ही कैसी ,
प्यास तो सिर्फ प्यास होती है |
तू जहाँ पर थी वहीँ , पदचिन्ह तेरे ढूंढता हूँ |
तू गयी पर मैं तेरी,यादों से तुझको पूंछता हूँ |बेहद उदास करती सी रचना ऐसा ही होता है ज़िन्दगी में गर सन्दर्भ न बदलें तो ,सन्दर्भ बदले तो सब कुछ बदल जाता है .
shandaar.......waah !
ReplyDeleteवाह ....बहुत खूब कहा है आपने ।
ReplyDeleteक्या बात हैं बहुत सुंदर .....
ReplyDeleteवाह! सुरेन्द्र जी वाह!
ReplyDeleteअनुपम प्रस्तुति के लिए आभार....!
तीनों मुक्तक सुंदर हैं सुरेन्द्र भाई
ReplyDeleteबधाई
उम्र न कुछ कर सकी,उम्र को ठगती लगती हो....बहुत ही सुन्दर !
ReplyDeletesundar rachna badhaai
ReplyDelete.समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
सुंदर मुक्तक अच्छी पोस्ट,मेरी पोस्ट में आने का आभार .....
ReplyDeleteबेहतरीन मुक्तक हैं......
ReplyDeletebahut badhiyaa
ReplyDeleteबढ़िया रचना सुरेन्द्र भाई... वाह!
ReplyDeleteसादर बधाई...
तीनों ही तस्वीरें बेहतरीन.
ReplyDeleteतेरे चेहरे की झुर्रियां
उम्र का सवाल है.
अब भी लगती है तू हसीं
मेरी नज़रों का कमाल है.
अतिसुन्दर...वाह!
ReplyDeleteबहुत ही खुबसुरत....
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति. प्यार तो बस प्यार ही होता है.
ReplyDeleteशीर्षक ही बहुत कुछ कह गया ! बधाई ! मेरे ब्लॉग का लिंक बदल गया है - नया लिंक-www.gorakhnathbalaji.blogspot.com
ReplyDeleteबुझ गई गर तो प्यास ही कैसी ,
ReplyDeleteप्यास तो सिर्फ प्यास होती है |
मेरे प्रिय भ्राता की बात ही निराली है ......कितनी सही बात कही है है की जो बुझ जाए वो प्यास ही क्या.
तू जहाँ पर थी वहीँ , पदचिन्ह तेरे ढूंढता हूँ |
ReplyDeleteतू गयी पर मैं तेरी,यादों से तुझको पूंछता हूँ |..
behtreen likha hai sir ji...
jai hind jai bharat
क्या बात है इस मुक्तक की ... लाजवाब ...
ReplyDeleteएक ज़माना पहले जैसी, अब भी लगती हो |
ReplyDeleteआँखों ही आँखों में बातें, करती लगती हो |
चाल वही-मुस्कान वही- नज़रों का बाँकापन ,
उम्र न कुछ कर सकी,उम्र को ठगती लगती हो |
बहुत ही खुबसुरत |
बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteक्या बात है ...बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पे पहली बार आना हुआ !
बुझ गई गर तो प्यास ही कैसी ,
ReplyDeleteप्यास तो सिर्फ प्यास होती है |
bahut khoob!
बहुत खूब!
ReplyDelete.
ReplyDeleteतू जहाँ पर थी वहीँ , पदचिन्ह तेरे ढूंढता हूँ |
तू गयी पर मैं तेरी,यादों से तुझको पूंछता हूँ ...
loving the expression...
.
बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletebahut umda prastuti
ReplyDeleteये प्यास हमेशा बनी रहे तब तो सुन्दर रचना निकलेगी..
ReplyDeleteजिंदगी जब उदास होती है |
ReplyDeleteतू मेरे आस-पास होती है |
बुझ गई गर तो प्यास ही कैसी ,
प्यास तो सिर्फ प्यास होती है |
खूबसूरत रचना |
जिंदगी जब उदास होती है ।
ReplyDeleteतू मेरे आस-पास होती है ।
बुझ गई गर तो प्यास ही कैसी ,
प्यास तो सिर्फ प्यास होती है ।
बहुत अच्छा मुक्तक लिखा है आपने।
शुभकामनाएं।
bahut sundar prastuti, badhai.
ReplyDeleteMarvelous Lines -
ReplyDeleteबुझ गई गर तो प्यास ही कैसी ,
प्यास तो सिर्फ प्यास होती है |
wah kya baat hai. pyar kabhi boodha nahi hota.
ReplyDeleteतू जहाँ पर थी वहीँ , पदचिन्ह तेरे ढूंढता हूँ |
ReplyDeleteतू गयी पर मैं तेरी,यादों से तुझको पूंछता हूँ |
सुन्दर पंक्तियाँ ! लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.com/
मेरे नए पोस्ट "वजूद' में आपका स्वागत है ...
ReplyDeleteजिंदगी जब उदास होती है |
ReplyDeleteतू मेरे आस-पास होती है |
बुझ गई गर तो प्यास ही कैसी ,
प्यास तो सिर्फ प्यास होती है |
...bahut khoob!
sundar prastuti..
bahut sundar prastuti...
ReplyDeleteबुझ गई गर तो प्यास ही कैसी ,
ReplyDeleteप्यास तो सिर्फ प्यास होती है....theek to kahe.....
बहुत खूब कहा है आपने..
ReplyDeleteहमेशा की तरह एक और प्यारी रचना....
ReplyDeleteआभार आपका !
बहुत सुन्दर भाव ...
ReplyDelete.
ReplyDeleteबुझ गई गर तो प्यास ही कैसी ,
प्यास तो सिर्फ प्यास होती है...
waah !...Great lines...Loving it !
.
प्रेमपूर्ण सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
ReplyDeleteजब भी ये दिल उदास होता हैं ,,जाने कौन आसपास होता हैं ..बहुत खूब !
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