आप यूं न रोईये , आंसू बहाइये |
आज़ाद देश के हैं जरा मुस्कुराइए ?
भुखमरी है देश में फैली तो क्या हुआ ?
सोने से भरी उनकी तिजोरी तो क्या हुआ ?
झोपड़ी है रोती-सिसकती तो क्या हुआ ?
बंगलों में कैद देश की हस्ती तो क्या हुआ ?
गोरे गए तो कालों की खिदमत बजाइए |
आज़ाद देश के ------------------------|
देखो चोर-माफिया आज़ाद हैं यहाँ |
भेड़ियों के झुण्ड ही आबाद हैं यहाँ |
आज़ाद हुए राज-काज देखनेवाले |
आज़ाद हैं वतन की लाज बेचनेवाले |
गद्दारों को अदब से जरा सर झुकाइए |
आज़ाद देश के हैं जरा मुस्कुराइए |
क्या बात है ............. सुरेन्द्र जी आपने तो आजाद भारत की पोल खोल कर रख दी है।
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