हँसता-रोता हुआ आदमी |
खुद को ढोता हुआ आदमी |
आसमान तक चढ़कर के भी '
कितना छोटा हुआ आदमी |
दूर से चमके सोने सा , पर-
सिक्का खोटा हुआ आदमी |
औरों के हिस्से खा-खाकर ,
कितना मोटा हुआ आदमी |
जाग रहा है फिर भी लगता -
जैसे सोता हुआ आदमी |
चिकना है पर बिन पेंदे का ,
जैसे लोटा हुआ आदमी |
वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteकभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
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